Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकादशी है कल, भूलकर भी न करें ये 6 गलतियां, श्रीहरि हो जाएंगे नाराज

Utpanna Ekadashi 2025: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता है. यह दिन माता एकादशी के जन्म से जुड़ा है. मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु के शरीर से देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए, पूजा-पाठ व दान-दक्षिणा के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है.

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उत्पन्ना एकादशी की गलतियां (Photo: AI Generated) उत्पन्ना एकादशी की गलतियां (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:47 PM IST

Utpanna Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इस बार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर को रखा जाएगा. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा और व्रत रखने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि इसी दिन एकादशी देवी का उद्भव हुआ था, जो सभी पापों का नाश करने वाली मानी जाती हैं. लेकिन शास्त्रों में बताया गया है कि यदि इस पावन एकादशी पर कुछ गलतियां हो जाएं, तो व्रत का फल अधूरा रह जाता है. इसलिए, इस दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. 

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- तामसिक भोजन से परहेज करें

उत्पन्ना एकादशी के दिन तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन वर्जित है. यह भोजन मन को अशांत करता है और व्रत के पुण्य को घटाता है. इस दिन सात्विक भोजन और फलाहार ही ग्रहण करें.

- झूठ या कटु वचन न बोलें

उत्पन्ना एकादशी का व्रत मन और वाणी की पवित्रता से जुड़ा है. इस दिन झूठ बोलना, कटु शब्द कहना या किसी की निंदा करना व्रत की ऊर्जा को कमजोर करता है. कोशिश करें कि पूरे दिन शांत और संयमित रहें.

- जरूरतमंद को अपमानित न करें

एकादशी का असली फल तब मिलता है जब हम दया, करुणा और सेवा का भाव अपनाते हैं. इस दिन किसी गरीब, वृद्ध या जरूरतमंद को अपमानित करना या दान से मुंह मोड़ लेना बहुत बड़ा दोष माना जाता है.

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- तुलसी दल अर्पित करना भूल जाना

उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन तुलसी दल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है. यदि इस दिन तुलसी नहीं चढ़ाई जाए तो पूजा अपूर्ण मानी जाती है.

- दीपक जलाना न भूलें

उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजा के समय दीपक जलाना और शाम को भगवान विष्णु के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाना अनिवार्य माना गया है. बिना दीपक जलाए पूजा करने से पूर्ण फल नहीं मिलता है.

- चावल खाना वर्जित है

एकादशी तिथि पर अनाज, विशेषकर चावल, का सेवन निषेध है. शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी के दिन अनाज ग्रहण करना पाप समान होता है. इस दिन केवल फलाहार या सात्त्विक भोजन ही ग्रहण करें.

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