हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है. यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना के लिए समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दौरान मां दुर्गा की पूजा, उपवास और साधना करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नवरात्र के दौरान हवन करना बेहद शुभ माना गया है. विशेषकर अष्टमी और नवमी के दिन किया गया हवन मां दुर्गा को अति प्रिय होता है.
किस दिन करें हवन?
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि 30 सितंबर, मंगलवार को पड़ रही है. ऐसे में अष्टमी तिथि पर व्रत पारण करने वाले भक्त इस दिन हवन करें. नवमी तिथि इस साल 01 अक्टूबर, बुधवार को पड़ेगी. नवमी तिथि पर व्रत पारण करने वाले भक्त 01 अक्टूबर को हवन करें.
हवन का महत्व
नवरात्र में हवन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. यह मां दुर्गा को प्रसन्न करता है और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि अष्टमी-नवमी हवन से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है. साथ ही जीवन से बाधाएं दूर होती हैं और मन को शांति मिलती है.
हवन सामग्री सूची
नवरात्र में हवन के लिए निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है. जैसे हवन कुंड, आम की लकड़ी, शुद्ध देसी घी, सूखा नारियल, पान के पत्ते और सुपारी, कपूर, लाल कपड़ा, गंगाजल, चरणामृत, कलावा, आम के पत्ते, लोबान, गुग्गल, जौ, काले तिल, चावल शहद, लौंग और सूखी लकड़ियां.
नवरात्र हवन विधि
इस दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद हवन कुंड की स्थापना करें और इसके चारों ओर कलावा बांधें. फिर देसी घी का दीपक जलाएं और आम की लकड़ी रखकर कपूर या घी से अग्नि प्रज्वलित करें. इसके बाद तीन बार आचमन करें और फिर हाथ में जल लेकर शरीर पर छिड़काव करके शुद्ध करें.
फिर "ॐ श्री गणेशाय नमः स्वाहा" मंत्र बोलकर आहुति दें और इसके बाद "ॐ दुं दुर्गायै नमः स्वाहा" और अन्य दुर्गा मंत्रों का जप करे और साथ ही घी, चावल, गुग्गल, तिल आदि अग्नि में अर्पित करें. अंत में मां दुर्गा से घर-परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करें. हवन के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें.
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