Sawan Putrada Ekadashi 2025: सावन की पुत्रदा एकादशी है आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

Sawan Putrada Ekadashi 2025: 5 अगस्त 2025 यानी आज पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ सावन की पुत्रदा एकादशी मनाई जा रही है. इस बार रवि योग और गजलक्ष्मी राजयोग का संयोग एकादशी को और भी खास बना रहा है.

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सावन पुत्रदा एकादशी 2025 (File Photo: Getty Image) सावन पुत्रदा एकादशी 2025 (File Photo: Getty Image)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:07 AM IST

Sawan Putrada Ekadashi 2025: 5 अगस्त 2025 यानी आज पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ पुत्रदा एकादशी मनाई जा रही है. आज के दिन रवि योग और गजलक्ष्मी राजयोग भी बन रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन जो दंपत्ति संतान सुख की कामना रखते हैं, विशेष रूप से पुत्र की इच्छा रखते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत शुभ होता है.

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इस व्रत के प्रभाव से न केवल संतान प्राप्ति होती है, बल्कि सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. यह व्रत रक्षाबंधन से चार दिन पहले आता है और जीवन में ग्रह दोषों के निवारण के लिए भी लाभकारी माना गया है.

सावन पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त (Sawan Putrada Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

सावन पुत्रदा एकादशी की तिथि 4 अगस्त यानी सुबह 11 बदकर 41 मिनट पर शुरू हो गई थी और तिथि का समापन 5 अगस्त यानी आज दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर होगा. 

व्रत का पारण- 6 अगस्त यानी कल सुबह 5 बदकर 45 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 26 मिनट तक होगा.

  • ब्रह्मा मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 41 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 38 मिनट से 03 बजकर 36 मिनट
  • गोधूलि मुहूर्त- शाम 07 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 37 मिनट तक
  • निशिता मुहूर्त- रात 12 बजे से 12 बजकर 41 मिनट तक

पुत्रदा एकादशी पर भद्रा का साया

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इस बार पुत्रदा एकादशी पर भद्रा का साया रहने वाला है. भद्रा को हिंदू धर्म में मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम नहीं माना गया है. इस बार 05 अगस्त को पुत्रदा एकादशी पर भद्रा का साया सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर प्रारंभ होगा, और दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी. 

पूजा की विधि (Sawan Putrada Ekadashi Pujan Vidhi)

  • प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें.
  • गंगाजल से अभिषेक करें और चंदन का तिलक लगाएं.
  • पीले फूल, फल, मिठाई, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें.
  • दीप-धूप दिखाएं और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.
  • पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और अंत में विष्णुजी की आरती करें.
  • व्रत के दौरान निराहार या फलाहार रहें और अगले दिन पारण करें.

पूजा की सामग्री (Sawan Putrada Ekadashi Pujan Samagri)

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र
  • लकड़ी की चौकी, पीला वस्त्र बिछाने हेतु
  • बैठने के लिए आसन
  • शुद्ध जल या गंगाजल, पीले फूल, पीले फल
  • तुलसी दल, पंचामृत, घी, दीपक, धूप
  • चंदन, मिठाई, व्रत कथा की पुस्तक
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