Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी पर भद्रा का साया, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम

Mokshada Ekadashi 2025: इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर को रखा जाएगा. इस दिन भद्रा का साया भी रहने वाला है. यह भद्रा धरती लोक पर ही लगने वाली है. भद्रा के समय पूजा-पाठ, शुभ-मांगलिक कार्य या धार्मिक अनुष्ठान वर्जित माने जाते हैं.

Advertisement
मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. इसलिए इसे मुक्तिदायी दिन माना गया है. (Photo: Pixabay) मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. इसलिए इसे मुक्तिदायी दिन माना गया है. (Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST

Mokshada Ekadashi 2025: सालभर में कुल 24 एकादशियां आती हैं. एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. इन्हीं में से एक है मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में आने वाली मोक्षदा एकादशी. मान्यता है कि इस पावन तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. इसलिए इसे मुक्तिदायी दिन माना गया है. इस दिन की गई पूजा और दान से इंसान के पुण्य कई गुना बढ़ जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्ति का वरदान मिलता है. हालांकि इस साल मोक्षदा एकादशी पर भद्रा का साया रहने वाला है.

Advertisement

मोक्षदा एकादशी की तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी 30 नवंबर की रात 9:29 बजे से लेकर 1 दिसंबर 2025 की शाम 7:01 बजे तक रहने वाली है. उदिया तिथि को ध्यान में रखते हुए मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर को रखा जाएगा.

मोक्षदा एकादशी पर भद्रा का साया
इस साल मोक्षदा एकादशी पर सुबह 8:20 बजे से लेकर शाम 7:01 बजे तक भद्रा का साया रहने वाला है. यह भद्रा धरती लोक पर ही लगने वाली है. भद्रा के समय पूजा-पाठ, शुभ-मांगलिक कार्य या धार्मिक अनुष्ठान वर्जित माने जाते हैं.

मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि
मोक्षदा एकादशी की सुबह स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें और भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा करें. पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. श्रीकृष्ण के मंत्रों का जप करें या गीता का पाठ पढ़ें. इस दिन किसी जरूरतमंद को वस्त्र या अन्न का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है. यह व्रत निर्जला रखना सर्वोत्तम माना गया है.

Advertisement

इस दिन क्या करें और किन बातों से बचें
एकादशी से पहले की रात सूर्यास्त के बाद भोजन न करें. रात में सोने से पहले भगवान का स्मरण या मंत्र का जाप जरूर अवश्य करें. व्रत के दौरान मन पूरी तरह शांत रखें और किसी के प्रति क्रोध या नकारात्मक भावना न आने दें. इस दिन भूलकर भी किसी की निंदा न करें. मोक्षदा एकादशी के दिन अनाज का सेवन वर्जित है.

शाम की पूजा के बाद फलाहार किया जा सकता है. यदि व्रत न भी कर पाएं तो कम से कम चावल न खाएं. रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है. अगले दिन सुबह व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर ही स्वयं भोजन ग्रहण करें.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement