Margshisha Purnima 2025: आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत रखा जा रहा है. हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा बेहद पावन और शुभ मानी जाती है. यह पूर्णिमा भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित मानी जाती है. इस दिन विशेष रूप से भगवान सत्यनारायण की भी पूजा की जाती है और भक्त पूरे श्रद्धा भाव से व्रत रखते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर स्नान, दान और पूजा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 पूजन मुहूर्त (Margshirsha Purnima 2025 Pujan Muhurat)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की पूजा का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, शाम को पूजन का मुहूर्त 5 बजकर 21 मिनट से शाम 5 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. ज्योतिषियों के अनुसार, यह मुहूर्त सबसे ज्यादा शुभ माना जा रहा है.
स्नान-दान का मुहूर्त
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर आज स्नान-दान का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 54 मिनट से सुबह 9 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. जिसके दौरान पवित्र नदियों में स्नान किया जा सकता है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा क्यों है खास?
मार्गशीर्ष पूर्णिमा को खास इसलिए माना जाता है क्योंकि इस पूरे महीने का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि 'मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं' यानी उन्हें यह महीना सबसे पवित्र लगता है. इसी वजह से इस दिन उपवास रखना, मंत्रजप करना, दान देना और तप करना बेहद फलदायी माना जाता है. माना जाता है कि इस पूर्णिमा पर की गई पूजा और सत्कर्म साधक को आध्यात्मिक लाभ और दिव्य आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजन विधि (Margshirsha Purnima Pujan Vidhi)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भक्त भगवान विष्णु की सत्यनारायण स्वरूप में विशेष पूजा करते हैं. कई लोग पूरा दिन व्रत रखते हैं और रात में सत्यनारायण व्रत कथा को श्रद्धा से सुनते हैं. इस दिन चंद्र दर्शन यानी पूर्णिमा के चांद को देखकर पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत का महत्व (Margshirsha Purnima Significance)
नारद पुराण और स्कंद पुराण में बताया गया है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किया गया हर पुण्य साधारण दिनों की तुलना में सौ गुना अधिक फल देता है. इसलिए यह तिथि दान-धर्म और पूजा-अर्चना के लिए बेहद पावन मानी जाती है. इस दिन श्रद्धालु अन्न, वस्त्र, सोना और तिल का दान करते हैं. कई जगह ब्राह्मणों को गौ-दान करने की परंपरा भी है, जिसे अत्यंत शुभ माना गया है. इसके अलावा, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, पितरों के लिए तर्पण और पिंड-दान करना भी इस दिन का खास हिस्सा होता है. मान्यता है कि ऐसे कर्मों से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन आध्यात्मिक रूप से उन्नति का बेहतरीन अवसर माना जाता है. इस दिन सत्यनारायण पूजा, भोजन और वस्त्र दान तथा पितरों को याद करके श्रद्धा से तर्पण करने से मनोकामनाएं पूर्ण होने, दुर्भाग्य दूर होने और जीवन में सकारात्मक बदलाव आने की मान्यता है.
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