Govardhan Puja 2025 Shubh Muhurt: गोवर्धन पूजा पर शाम का शुभ मुहूर्त क्या है? जानें महत्व और पूजन विधि

Govardhan Puja 2025 Shubh Muhurt: यदि आप भी शाम के वक्त गोवर्धन पूजा करना चाहते हैं तो बता दें कि आज शाम 5:44 बजे से शाम 6:10 बजे तक गोधूली वेला रहने वाली है. आप इस अबूझ घड़ी में पूजा कर सकते हैं.

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गोवर्धन पूजा का त्योहार ब्रज भूमि से निकलकर आज पूरे देश में मनाया जाने लगा है. (Photo: Getty Images) गोवर्धन पूजा का त्योहार ब्रज भूमि से निकलकर आज पूरे देश में मनाया जाने लगा है. (Photo: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:01 PM IST

Govardhan Puja 2025 Shubh Muhurt: आज गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जा रहा है. यह पर्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का प्रतीक है. वृंदावन और मथुरा में इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि यह त्योहार ब्रज भूमि से निकलकर आज पूरे देश में मनाया जाने लगा है. यह पर्व भगवान कृष्ण की दिव्य लीलाओं से जुड़ा है. इस अवसर पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है. साथ ही, इस दिन गौ पूजा का भी इस दिन विशेष महत्व होता है. कहते हैं कि इस दिन भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र का अहंकार तोड़ा था.

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गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा पर सुबह और शाम के वक्त पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. यदि आप भी शाम के वक्त गोवर्धन पूजा करना चाहते हैं तो बता दें कि आज शाम 5:44 बजे से शाम 6:10 बजे तक गोधूली वेला रहने वाली है. आप इस अबूझ घड़ी में पूजा कर सकते हैं.

गोवर्धन पूजा का महत्व
इस दिन इंद्र देव, वरुण देव और अग्नि देव की आराधना की जाती है. साथ ही, इस दिन गौ पूजन का भी विशेष महत्व बताया गया है. गोवर्धन पूजा के अवसर पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक आकृति बनाई जाती है और उसकी पूजा पुष्प, धूप, दीप तथा नैवेद्य से की जाती है. परिवार के सभी सदस्य इस दिन एक ही रसोई में विविध व्यंजन तैयार करते हैं और उन व्यंजनों को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.

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पूजा की विधि
घर के प्रवेश द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का रूप बनाएं. उसके पास ग्वाल-बाल, वृक्ष और पशुओं के प्रतीक बनाएं तथा बीच में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें. फिर श्रीकृष्ण, ग्वाल-बाल और गोवर्धन पर्वत की श्रद्धा से पूजा करें. पूजा के बाद विभिन्न पकवानों और पंचामृत का भोग लगाएं, कथा सुनें और प्रसाद का वितरण करें. अंत में परिवार और मित्रों के साथ मिलकर भोजन करें.

गौ पूजन का महत्व और विधि
गोवर्धन पूजा के बाद गौशाला जाएं. यदि संभव हो तो गाय को स्नान कराएं और उसे सुंदर वस्त्रों और फूलों से सजाएं. घर से बने भोजन या मिठाइयां लेकर जाएं और गाय को खिलाएं. श्रद्धा भाव से हरा चारा भी अर्पित करें. पूजा के अंत में गाय के चरणों के पास की थोड़ी मिट्टी लेकर उसका तिलक अपने माथे पर लगाएं.

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