Chandra Darshan 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में कुल 12 अमावस्या तिथियां होती हैं, और हर अमावस्या का अपना खास महत्व होता है. अमावस्या की रात के बाद जब आसमान में पहली बार हल्की-सी चांद की कली दिखाई देती है, उसे चंद्र दर्शन कहा जाता है. हिंदू शास्त्रों में प्रतिपदा के चंद्र दर्शन को अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि इसी दिन पहली बार चंद्रमा अपने नए रूप में दिखाई देता है. इसी तरह मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन यानी 20 नवंबर के अगले इन 21 नवंबर 2025 को भी प्रतिपदा तिथि मनाई जाएगी. इस दिन चंद्र दर्शन का विशेष योग बन रहा है, जिसके कारण इस दिन चंद्रमा की पूजा और दर्शन बेहद खास रहने वाला है.
अमावस्या के बाद कब दिखेगा चांद?
22 नवंबर 2025 को शाम 5:25 बजे से 6:39 बजे तक चंद्र दर्शन होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा शीतलता, सौम्यता, समृद्धि और मानसिक शांति का प्रतीक है. इसलिए प्रतिपदा को पहली बार दिखने वाले चांद का दर्शन अत्यंत शुभ माना जाता है.अमावस्या के अंधकार के बाद प्रतिपदा का उगता चांद नई शुरुआत, प्रकाश और दिव्यता का संकेत देता है. माना जाता है कि चंद्र दर्शन से मन की अशांति दूर होती है और जीवन में सौभाग्य, ऊर्जा और खुशहाली आती है. इस दिन चंद्रमा की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है.
मार्गशीर्ष प्रतिपदा 21 नवंबर 2025 को चंद्र दर्शन का महत्व
21 नवंबर को प्रतिपदा तिथि पर चंद्र दर्शन अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन चंद्रमा का उदय अर्थ लाभ, मानसिक शांति और वैवाहिक सुख को बढ़ाने वाला योग बनाता है. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा मन का कारक और शांति का प्रतीक माना जाता है. इस दिन चंद्र दर्शन और चंद्र पूजन करने से मन की अशांति, क्रोध और चिंता दूर होती है, निर्णय क्षमता बढ़ती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
चंद्र दर्शन पर क्या करें?
प्रतिपदा के उगते चंद्रमा को देखना अत्यंत शुभ माना जाता है, सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में चांद देखें. चंद्र देव को प्रणाम कर मन में कोई शुभ संकल्प लें. सफेद वस्तुओं का दान करें.चावल, मिठाई, दूध या कपड़ा आदी दान करें.
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