आज से शुरू आषाढ़ मास, जानें इसका महत्व, बरतें ये सावधानियां

हिन्दू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ का महीना है. हिंदू धर्म के अनुसार, ये महीना पूजा-पाठ के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने से वर्षा ऋतु का आगमन होता है. मौसम में बदलाव होने की वजह से इस महीने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सचेत रहने की जरूरत होती है. इस बार आषाढ़ 25 जून से 24 जुलाई तक रहेगा.

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आषाढ़ मास शुरू आषाढ़ मास शुरू

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2021,
  • अपडेटेड 8:08 PM IST
  • 25 जून से आरंभ आषाढ़ का महीना
  • हिंदू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ का महीना होता है
  • इस दौरान पूजा-पाठ का विशेष महत्व

हिन्दू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ का महीना है. हिंदू धर्म के अनुसार, ये महीना पूजा-पाठ के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने से वर्षा ऋतु का आगमन होता है. मौसम में बदलाव होने की वजह से इस महीने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सचेत रहने की जरूरत होती है. इस बार आषाढ़ 25 जून से 24 जुलाई तक रहेगा. आइए जानते हैं ज्योतिर्विद करिश्मा कौशिक से कि क्या है आषाढ़ के महीने का महत्व और इस दौरान किस भगवान की पूजा करनी चाहिए.

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भगवान विष्णु की पूजा करें:
हिंदू धर्म में आषाढ़ का महीना बेहद महत्व रखता है. इस दौरान मंगल और सूर्य की उपासना करना शुभ माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार, इस महीने में मंगल की पूजा करने से कुंडली में बैठा मंगल अशुभ प्रभाव की जगह शुभ प्रभाव देना शुरू कर देता है. इसी के साथ सूर्य भी शुभ प्रभाव देना आरंभ कर देता है. आषाढ़ महीने में मंगल और सूर्य दोनों ग्रहों की पूजा करने से आप ऊर्जावान हो जाते हैं. इसी के साथ भगवान विष्णु की उपासना करना शुभ होता है.

जल युक्त फल खाएं:
ज्योतिर्विद करिश्मा कौशिक कहती हैं कि आषाढ़ मास शुरू होने पर शरीर में मौजूद एंजाइम, बैक्टीरिया, फंगस आदि उभरने लग जाते है. ऐसे में हैजा जैसी पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं इसी महीने में होती हैं. इसके अलावा, जल से जुड़ी बीमारियां भी इसी महीने में होती हैं. इसलिए इस दौरान जल को उबालकर या फिल्टर करके ही पिएं. जल युक्त फल जैसे तरबूज, खीरा, आम जरूर खाएं.

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क्या है महत्व:
इसी महीने से वर्षा ऋतु का आरंभ होता है. इसलिए ये महीना किसानों के लिए बहुत महत्व रखता है. आषाढ़ के महीने में पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है. इस महीने में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है. इसे कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है. इस महीने में भगवान विष्णु की उपासना करना शुभ होता है. इस महीने में देवशयनी एकादशी मनाई जाती है और इसी महीने से चतुर्मास भी लग जाता है. यानी आने वाले चार महीनों के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवउठनी एकादशी) तक हर मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि आषाढ़ मास से कार्तिक मास तक का ये चार महीनों का समय केवल पूजा-पाठ के लिए होता है.

दान का महत्व:
आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ये महीना तीर्थ यात्रा करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है. इस महीने में दान और ध्यान दोनों का महत्व होता है. नमक, तांबा, कांसा, मिट्टी का पात्र, गेहूं, गुड़, चावल, तिल दान करना शुभ माना जाता है. 

 

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