Adhik Maas 2026: नए साल 2026 का ये महीना सबसे अशुभ! इसमें भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां

Adhik Maas 2026: वैसे तो साल में कुल 12 महीने ही होते हैं, लेकिन नए वर्ष में 12 नहीं 13 महीने होंगे. दरअसल, नए साल में एक अधिक मास भी पड़ रहा है. यह महीना 17 मई 2026 से प्रारंभ होगा और 15 जून 2026 को इसका समापन होगा.

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नए साल में अधिक मास 17 मई 2026 से प्रारंभ होगा और 15 जून 2026 को इसका समापन होगा. (Photo: Pixabay) नए साल में अधिक मास 17 मई 2026 से प्रारंभ होगा और 15 जून 2026 को इसका समापन होगा. (Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:00 PM IST

Adhik Maas 2026: नया साल 2026 शुरू होने वाला है और इस वर्ष को लेकर लोगों में अभी से बहुत उत्सुकता देखी जा रही है. वैसे तो साल में कुल 12 महीने ही होते हैं, लेकिन नए वर्ष में 12 नहीं 13 महीने होंगे. दरअसल, अभी विक्रम संवत 2082 चल रहा है और 2026 में विक्रम संवत 2083 शुरू होगा, जिसमें एक अधिक मास भी पड़ रहा है. ये अधिक मास ज्येष्ठ के महीने में पड़ेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, विक्रम संवत 2083 में ज्येष्ठ के दो महीने होंगे. एक सामान्य ज्येष्ठ और दूसरा अधिक ज्येष्ठ.

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नए साल में अधिक मास 17 मई 2026 से प्रारंभ होगा और 15 जून 2026 को इसका समापन होगा. सनातन परंपरा में इसे पुरुषोत्तम मास या अधिक मास कहा जाता है. अधिक मास 32 महीने और 16 दिन के अंतराल में शुरू होता है. यह समय ध्यान, स्नान और दान के लिए तो शुभ होता है. लेकिन इस अवधि में कुछ विशेष कार्य वर्जित होते हैं. आइए जानते हैं वो कार्य क्या हैं.

मांगलिक कार्यों से परहेज
इस अवधि में विवाह, सगाई, मुंडन संस्कार, नामकरण, गृह प्रवेश, भूमि पूजन या नया घर खरीदने जैसे शुभ कार्यों को करने से बचें.

तामसिक भोजन
अधिक मास में मांस, मछली, मदिरा, लहसुन, प्याज, उड़द और मसूर दाल, मूली, बासी भोजन या तामसिक चीजों का सेवन निषिद्ध माना जाता है, इसलिए इन चीजों का उपयोग न करें.

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नए कार्य की शुरुआत
इस समय किसी नए व्यापार, व्यवसाय, प्रोजेक्ट या आर्थिक निवेश को शुरू करना उचित नहीं माना जाता, क्योंकि इससे नुकसान की संभावना रहती है.

सुबह देर तक सोना
अधिक मास सुबह में देर से उठने की आदत को त्यागें. रोजाना ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान करना और पूजा-पाठ करना शुभ माना जाता है. इस दौरान चटाई या भूमि पर सोना अधिक पवित्र माना गया है.

नए व्रत आरंभ न करें
अधिक मास में किसी नए व्रत की शुरुआत या किसी व्रत का उद्यापन करने की भी मनाही होती है, इसलिए इस नियम का पालन करें.

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