कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन के बाद यानी आज राधा अष्टमी मनाई जा रही है. इस दिन राधा का जन्म हुआ था इसलिए इसे राधा अष्टमी के तौर पर मनाते हैं. बरसाने में इसे धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि राधा बरसाने की ही थीं. बरसाना के सभी मंदिरों में राधा अष्टमी की खास रौनक दिखती है. इस दिन पति और बेटे की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने का भी नियम है.
राधा अष्टमी पर शुभ योग- आज दिन भर मूल नक्षत्र रहेगा. राधा अष्टमी पर एक विशेष शुभ योग भी बन रहा है. आज के दिन आयुष्मान योग बन रहा है. यानि राधा अष्टमी का व्रत और पूजा इसी योग में की जाएगी. इस योग में पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
राधा अष्टमी की पूजा विधि- स्नान करने के बाद साफ- सुथरे वस्त्र धारण करें. पूजा घर में कलश स्थापित करें. अब इस पर तांबे का बर्तन रखें. राधा जी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं. अब राधा जी को सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाएं. राधा जी की मूर्ति को कलश पर रखे पात्र पर विराजमान करें और धूप-दीप से आरती उतारें. राधा जी को फल, मिठाई और भोग में बनाया प्रसाद अर्पित करें. पूजा के बाद दिन भर उपवास करें. व्रत के अगले दिन सुहागिन महिलाओं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें.
राधा अष्टमी का महत्व- हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार आज के दिन व्रत रखने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. राधा अष्टमी का व्रत रखने से घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है और भगवान की कृपा बनी रहती है. संतान और पति की लंबी आयु के लिए भी इस व्रत का खास महत्व है.
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