भाग्य के नहीं अपने कर्म के भरोसे रहना चाहिए. जैसे कर्म आप करेंगे भाग्य वैसा ही होगा. आप जब कोई काम करते हैं तो उसे करने के लिए कदम उठाने से पहले उसके बारे में सोचते हैं. इसी दौरान यह भी तय हो जाता है कि आप उस काम को कर पाएंगे या नहीं. यानी उस काम के प्रति आपके मन का विश्वास ही उस काम का अंत तय कर देता है.