बिहार में 17 अगस्त से 'वोटर अधिकार यात्रा' शुरू होने जा रही है. करीब दो हफ्ते की प्रस्तावित यात्रा की भूमिका हाल ही हुई INDIA ब्लॉक की बैठक में तय की गई, और अब सब कुछ अंतिम रूप में सामने आ रहा है. बिहार में चुनाव आयोग के SIR और राहुल गांधी के वोटों की चोरी के आरोपों के साये में ये यात्रा 1 सितंबर को पटना में खत्म होगी.
राहुल गांधी के डिनर के बाद ही खबर आई थी कि तेजस्वी यादव SIR पर बिहार में मुहिम चलाने जा रहे हैं. बिहार में एसआईआर पर मचे बवाल के साथ साथ राहुल गांधी कर्नाटक से केस स्टडी लाकर वोटों की चोरी का इल्जाम लगा रहे हैं. संसद से लेकर सड़क तक विरोध प्रदर्शन देखा जा चुका है - और खास बात ये भी देखने को मिली है कि वोटों के मुद्दे पर पूरा विपक्ष एकजुट नजर आया है.
बिहार की वोटर अधिकार यात्रा SIR के मुद्दे को बिहार विधानसभा चुनाव तक बनाये रखने की कवायद है. कांग्रेस की तरफ से कहा जा रहा है कि ये यात्रा राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जानी है, और तेजस्वी यादव सहित इंडिया ब्लॉक के सभी नेता वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं. पहले खबर आई थी कि तेजस्वी यादव ने SIR पर अपनी मुहिम में इंडिया ब्लॉक के सभी नेताओं को आमंत्रित किया था.
बिहार चुनाव से पहले वोटर अधिकार यात्रा
बिहार वोटर अधिकार यात्रा के बारे में बताया जा रहा है कि ये पहले ही शुरू होने वाली थी, लेकिन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन के कारण हफ्ता भर टालना पड़ा. बिहार में रोहतास के सासाराम रेलवे स्टेडियम से शुरू होने वाली वोटर अधिकार यात्रा पटना के गांधी मैदान में एक रैली के साथ समाप्त होगी. यात्रा के बीच में तीन दिन ब्रेक भी होगा.
बिहार के करीब दो दर्जन जिलों से होकर गुजरने वाली यात्रा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल होंगे. साथ ही, बिहार में इंडिया ब्लॉक में शामिल सभी 6 राजनीतिक दलों के नेता भी यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं. बिहार की इस चुनावी यात्रा के दौरान विपक्षी नेताओं की कोशिश लोगों को चुनाव आयोग के SIR के बारे में जागरुक करना है - मतलब, ये समझाने की कोशिश होगी कि कैसे ये सब बीजेपी के फायदे के लिए हो रहा है.
निश्चित तौर पर एसआईआर के मुद्दे पर इंडिया ब्लॉक सबसे ज्यादा एकजुट नजर आया है, लेकिन वोटर अधिकार यात्रा का क्रेडिट किसके हिस्से में आएगा, समझ पाना थोड़ा मुश्किल हो रहा है - और इसकी सबसे बड़ी वजह है राहुल गांधी का कर्नाटक में हुई केस स्टडी को विरोध प्रदर्शनों के दौरान ज्यादा महत्व दिया जाना.
ये यात्रा कांग्रेस की है या INDIA ब्लॉक की
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी काफी दिनों से महाराष्ट्र में वोटों की चोरी का इल्जाम लगाते रहे हैं. हाल के दिनों में वो कर्नाटक की बात करने लगे, और अपनी तरफ से सबूत पेश कर रहे हैं. चुनाव आयोग राहुल गांधी की तरफ से उपलब्ध कराये जा रहे आंकड़ों को खारिज करता आ रहा है. और, आयोग का कहना है कि राहुल गांधी शपथ पत्र के साथ अपना केस स्टडी जमा करें, ताकि जांच की जा सके. राहुल गांधी का कहना है कि जब आंकड़े चुनाव आयोग के ही हैं, तो भला वो क्यों शपथ दाखिल करें.
इंडिया ब्लॉक को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले खड़ा करने की कोशिश की गई थी. पहल नीतीश कुमार की तरफ से हुई थी, जब वो महागठबंधन के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. विपक्षी गठबंधन तो खड़ा हो गया, लेकिन मनमाफिक महत्व न मिलने के कारण नीतीश कुमार चुनावों से ठीक पहले एनडीए में लौट गए.
जब अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा था, तभी राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा सीजन न्याय यात्रा शुरू की थी. न्याय यात्रा के बिहार में दाखिल होने के वक्त ही नीतीश कुमार ने विपक्षी खेमे से फिर से तौबा कर लिया था - क्योंकि वो खुद भी और सहयोगी दलों के नेता भी राहुल गांधी की न्याय यात्रा से नाराज थे.
ऐसे नेताओं का कहना था कि जब विपक्ष मिलकर बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव के मैदान में उतर रहा है, तो कांग्रेस ये मुहिम अकेले क्यों शुरू कर रही है. वैसे भी तब तो न्याय यात्रा इंडिया ब्लॉक की तरफ से ही निकाली जानी चाहिए थी. लेकिन, राहुल गांधी को तो कांग्रेस का दबदबा साबित करना होता है. तय कार्यक्रम के तहत वो न्याय यात्रा पर निकल पड़े. शुरुआत असम से हुई थी, और पश्चिम बंगाल में दाखिल होने से पहले ही ममता बनर्जी की नाराजगी भी सामने आ गई. ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा का चुनाव टीएमसी के अकेले लड़ने की घोषणा कर दी थी.
ये सब राहुल गांधी के उस रवैये का असर था, जिसमें वो क्षेत्रीय दलों के पास कोई विचारधारा न होने का दावा करते हैं. राहुल गांधी चाहते हैं कि कांग्रेस को सभी क्षेत्रीय दल कदम कदम पर फॉलो करें. क्षेत्रीय दलों का कहना है कि जो भी क्षेत्रीय राजनीतिक दल अपने इलाके में प्रभाव रखते हैं, कांग्रेस उनके लिए ड्राइविंग सीट वहां छोड़ दे. और, साथ बने रहे. कांग्रेस को ये मंजूर ही नहीं होता. बिहार के मामले में कई और भी चीजें देखने को मिली हैं. मसलन, राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव के जातिगत गणना का श्रेय नहीं लेने दिया था. अब तो खैर, केंद्र सरकार ही कराने जा रही है, राहुल गांधी कांग्रेस की सरकार आने पर कास्ट सेंसस कराने की बात कर रहे थे. माई-बहिन योजना के मामले में भी कांग्रेस को आरजेडी से आगे बढ़कर श्रेय लेते देखा जा चुका है.
SIR के मामले में भी ऐसा ही देखने को मिल रहा है. राहुल गांधी का ज्यादा जोर कर्नाटक की केस स्टडी पर होता है, लेकिन विपक्ष का साथ लेने के लिए एसआईआर पर भी विरोध जारी रखते हैं - अब सवाल ये है कि बिहार में वोटर अधिकार यात्रा का नेतृत्व कौन करने जा रहा है?
महागठबंधन का नेता होने के नाते तो ये हक तेजस्वी यादव को मिलता है, लेकिन बड़ा नेता होने के चलते महफिल लूट लेने की कोशिश राहुल गांधी की ही होगी - और इंडिया ब्लॉक की सबसे कमजोर कड़ी यही रही है.
मृगांक शेखर