'जय संविधान' पर प्रियंका गांधी की पोस्ट, कांग्रेस के अटैकिंग मोड का सबूत है

लोकसभा चुनावों में संविधान बचाओ के नारे पर मिली सफलता को कांग्रेस समझ रही है. यही कारण है कि संविधान को लगातार राजनीतिक के केंद्र में रख रही है. शशि थरूर के शपथ ग्रहण के बाद यह संविधान पर विवाद खड़ा करना भी इसी रणनीति का हिस्सा लगता है.

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2024,
  • अपडेटेड 7:52 PM IST

संविधान के मुद्दे पर कांग्रेस लगातार खुल कर खेल रही है. यही कारण है कि बीजेपी को डिफेंसिव मोड में आना पड़ रहा है, या फिर गेंद इधर उधर मारने को विवश हो रही है. गुरुवार को प्रियंका गांधी ने शशि थरूर के लोकसभा सदस्यता की शपथ के दौरान 'जय संविधान' बोलने पर सोशल साइट X पर पोस्ट करके जबरन विवाद खड़ा कर दिया, जिसे निश्चित तौर पर तिल का ताड़ बनाना ही कहा जाएगा. 

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लेकिन राजनीति में यह जायज है क्योंकि ऐसा सभी करते हैं. भारतीय जनता पार्टी भी इसी तरह राई का पहाड़ बनाती रही है, पर आजकल समय कांग्रेस का है. वह बीजेपी को उसी की भाषा में तगड़ा जवाब ही नहीं दे रही है सवाल उठाकर जवाब देने को मजबूर कर रही है. दरअसल, शपथ ग्रहण समारोह में देश भर के सांसदों ने अपने अपने तरीके से शपथ ग्रहण किया. और खुद को चर्चा में रखने और अपने कोर वोटर्स को ध्यान में रखकर शपथ के दौरान बोले जाने वाले शब्दों का चयन किया. इसी क्रम में जब केरल की तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए कांग्रेस के शशि थरूर सांसद के रूप में शपथ ग्रहण करने के बाद लौट रहे थे कि ये घटना घट गई. 

कांग्रेस ने बढ़िया खेला

हुआ ये कि संसद सत्र के चौथे दिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने के बाद 'जय संविधान' का नारा लगाया. शपथ ग्रहण करने के बाद शशि थरूर जब स्पीकर ओम बिरला से हाथ मिलाकर अपनी सीट की ओर लौट रहे थे, स्पीकर ने उन्हें टोका. स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि संविधान की शपथ तो ले ही रहे हैं. ये संविधान की शपथ है. स्पीकर की इस बात पर कांग्रेस के ही सांसद दीपेंद्र हुड्डा अपनी जगह खड़े हुए और कहा कि इस पर आपको आपत्ति नहीं होनी चाहिए थी सर.

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स्पीकर ओम बिरला ने दीपेंद्र हु़ड्डा से कहा कि 'किस पे आपत्ति, किस पे आपत्ति न हो सलाह मत दिया करो', चलो बैठो. 

जाहिर है उन्होंने बहुत हल्के फुल्के लहजे में ये बात कही. और दीपेंद्र हुड्डा ने भी बहुत सुलझे हुए अंदाज में अपनी बात कही थी. न ओम बिरला के अंदाज में ही किसी भी प्रकार की तल्खी थी. ओम बिरला ने भी शशि थरूर के जय संविधान बोलने पर आपत्ति नहीं जताई थी. उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि जो शपथ आपने ली है वह भी संविधान की शपथ है. इसलिए ही दीपेंद्र हुड्डा को अपने स्थान पर बैठने के लिए कह दिया.

पर कांग्रेस के मीडिया सेल की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने मामले को लपक लिया. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने सोशल साइट एक्स पर सवालिया लहजे में कहा कि भारत की संसद में 'जय संविधान' नहीं बोला जा सकता? उन्होंने स्पीकर की आपत्ति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए लिखा, संसद में सत्ता पक्ष के लोगों को असंसदीय और असंवैधानिक नारे लगाने से नहीं रोका गया, लेकिन विपक्षी सांसद के 'जय संविधान' बोलने पर आपत्ति जताई गई.

उन्होंने आगे यह भी लिखा कि चुनावों के दौरान सामने आया संविधान विरोध अब नये रूप में सामने है ,​जो हमारे संविधान को कमजोर करना चाहता है. प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि जिस संविधान से संसद चलती है, जिस संविधान की हर सदस्य शपथ लेता है, जिस संविधान से हर नागरिक को अधिकार और जीवन की सुरक्षा मिलती है, क्या अब विपक्ष की आवाज दबाने के लिए उसी संविधान का विरोध किया जाएगा?

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कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने अपने लहजे में और आक्रामक पोस्ट किया, अब स्पीकर महोदय को संसद में 'जय संविधान' कहने पर भी दिक्कत है. गजब है, जिस संविधान से उनको सदन चलाना है, उसी की जय होने पर आपत्ति कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि टोके जाने पर पांच बार के सांसद दीपेंद्र हुड्डा से 'तू-तड़ाक' कर रहे हैं. सुप्रिया ने चुनाव नतीजों का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि मान्यवर, आप 41,974 और वो (दीपेंद्र हुड्डा) 3,45,298 वोट से चुनाव जीत कर आए हैं.

बीजेपी अब भी पुराने मोड में  

दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और विपक्ष ने संविधान बचाने को मुद्दा बना दिया. राजनीतिक विश्वेषकों का मानना है कि संविधान बदलने की हवा ऐसी चली कि बीजेपी को मिलने वाला एक बड़ा वोट बैंक इंडिया गठबंधन के दलों की ओर शिफ्ट हो गया. मतलब साफ है कि विपक्ष आम जनता के सामने संविधान बदले जाने का हौव्वा क्रिएट करने में सफल रहा. बीजेपी भी इस खेल में उस्ताद रही है. पर संविधान बचाने के मुद्दे पर डिफेंसिव गेम खेलती रही है. पार्टी चुनावों में बार-बार ये वादा करती रह गई कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. चुनाव के बाद जब विपक्ष के सांसद संविधान की प्रतियां लेकर संसद में पहुंच रहे हैं तब बीजेपी आज से 49 साल पहले लगी इमरजेंसी पर खेलने की कोशिश कर रही है.

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शपथ ग्रहण समारोह में सांसदों के बीच नारे लगाने को लेकर होड़ मची रही. 'जय भीम', 'जय फिलिस्तीन' और 'जय काली' से लेकर 'जय हिंदू राष्ट्र', 'जय श्री राम' और 'नरेंद्र मोदी जिंदाबाद' तक के नारे लगे. असदुद्दीन ओवैसी के 'जय फिलीस्तीन' नारे पर बीजेपी ने लोकसभा में तो खूब हल्ला किया पर उसको मुद्दा बनाने में सफल नहीं हो सकी. 

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