बिहार में सात निश्चय कार्यक्रम तीसरे पड़ाव पर पहुंच चुका है, और अब जोर विकसित बिहार बनाने पर है. केंद्र सरकार पहले से ही विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चल रही है. अब तो मनरेगा की जगह लेने वाले कानून का नाम भी विकसित भारत से शुरू होता है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में सात निश्चय कार्यक्रम के तीसरे चरण को मंजूरी दी गई. 7 निश्चय 3.0 के जरिए बिहार की एनडीए सरकार ने 2025-2030 के विकास का रोडमैप पेश किया है.
7 निश्चय 3.0 के तहत अगले 5 साल में बिहार के युवाओं के लिए एक करोड़ नौकरियां और रोजगार के मौके बनाने, 50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निजी निवेश लाने और लोगों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया गया है. साथ ही, शिक्षा, स्वास्थ्य और राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के अलावा पर्यटन को बढ़ावा देने पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 निश्चय 3.0 लागू किए जाने का ऐलान करते हुए सोशल साइट X पर लिखा है, '24 नवंबर, 2005 को जब से हम लोगों की सरकार बनी, तब से राज्य में कानून का राज है. लगातार 20 वर्षों से सभी क्षेत्रों और सभी वर्गों के विकास के लिए काम किया गया है. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि राज्य में सुशासन के कार्यक्रमों के अंतर्गत सात निश्चय (2015-2020) और सात निश्चय-2 (2020-2025) में न्याय के साथ विकास से जुड़े निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के बाद बिहार को सर्वाधिक विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल करने हेतु अब सात निश्चय-3 कार्यक्रमों को लागू करने का निर्णय लिया गया है.
2030 तक के लिए नीतीश के 7 निश्चय
जैसा कि नाम से भी जाहिर है 'सात निश्चय-3' नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट का लेटेस्ट वर्जन है. खुद नीतीश कुमार ने अपने X हैंडल से तीसरे सात निश्चय के बारे में विस्तार से जानकारी दी है - और कहा है, 'मुझे पूरा भरोसा है कि सात निश्चय-3 के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से 'विकसित बिहार' के संकल्प को पूरा करने में मदद मिलेगी, तथा बिहार सर्वाधिक विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा.'
1. रोजगार और आय पर ज्यादा जोर
पहला निश्चय 'दोगुना रोजगार-दोगुनी आय' बताया गया है. नीतीश कुमार बताते हैं, उद्देश्य राज्य की प्रति व्यक्ति औसत आय को दोगुना करना है... इसके लिए कई कार्यक्रमों एवं योजनाओं को लागू किया गया है. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को स्वरोजगार के लिए 10 हजार रुपये दे रहे हैं... 2023 में जाति आधारित गणना के साथ सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण भी कराया था, जिसमें चिह्नित 94 लाख गरीब परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार योजनाओं से आच्छादित किया जाएगा, आवश्यकतानुसार अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी... अगले पांच वर्षों में 1 करोड़ युवाओं के लिए नौकरी और रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है... अलग से युवा, रोजगार एवं कौशल विकास विभाग का गठन किया जा चुका है.
2. बिहार में औद्योगिक क्रांति की कोशिश
बिहार सरकार के दूसरे निश्चय को 'समृद्ध उद्योग-सशक्त बिहार' नाम दिया गया है. बकौल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राज्य में तेजी से उद्योगों के विकास के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन उच्चस्तरीय समितियों का गठन किया जा चुका है. समितियों के गठन का मुख्य उद्देश्य है - बिहार को पूर्वी भारत का नया टेक हब बनाना, बिहार को विश्वस्तरीय वर्क प्लेस के रूप में विकसित करना और राज्य के प्रतिष्ठित उद्यमियों तथा प्रतिभाशाली युवाओं को उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित करना.
घोषणा के अनुसार, बिहार के सभी जिलों में उद्योग लगाने के लिए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है. उद्योग विभाग के अंतर्गत छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग निदेशालय का गठन किया गया है. स्थानीय उत्पादों के निर्यात एवं बाजार विकास के लिए एक नए बिहार विपणन प्रोत्साहन निगम की स्थापना की गई है. बंद पड़ी 9 चीनी मिलों को धीरे धीरे चालू किया जाएगा, और 25 नई चीनी मिलों की स्थापना भी की जाएगी.
3. खेती और किसान कल्याण के लिए क्या
तीसरे निश्चय का स्लोगन है, 'कृषि में प्रगति-प्रदेश की समृद्धि'. बताते हैं, किसानों की आय बढ़ाने के लिए 2024-2029 के लिए बने चौथे कृषि रोड मैप के काम में और तेजी लाई जाएगी. मखाना रोड मैप बनाकर मखाना के उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जाएगा. डेयरी और मत्स्य पालन पर विशेष जोर देने के साथ ही, हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के काम को आगे बढ़ाया जाएगा.
4. शिक्षा से भविष्य सुधारने का प्रयास
'उन्नत शिक्षा-उज्ज्वल भविष्य' का लक्ष्य हासिल करने के लिए बिहार में अलग उच्च शिक्षा विभाग का गठन किया गया है. पुराने प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों को अब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जाएगा, और राज्य में नई एजुकेशन सिटी का निर्माण भी किया जाएगा.
5. तंदुरुस्ती हजार नियामत है
पूरे बिहार में प्रखंड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को 'सुलभ स्वास्थ्य-सुरक्षित जीवन' कार्यक्रम के तहत विशिष्ट चिकित्सा केंद्र के रूप में, और जिला अस्पतालों को सुपर स्पेशलिटी चिकित्सा केंद्र का रूप देने की कोशिश होगी.
बिहार के नए मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में बेहतर पढ़ाई और इलाज के लिए प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप को बढ़ावा दिया जाएगा. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टरों को अलग से प्रोत्साहन की व्यवस्था की जाएगी. साथ ही, सरकारी चिकित्सकों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए पॉलिसी बनाई जाएगी.
6. नए शहर और सस्ते आवास की व्यवस्था
सात निश्चय के तीसरे चरण में ‘मजबूत आधार-आधुनिक विस्तार’ के तहत बिहार के शहरी क्षेत्रों का विस्तार होगा, औप नागरिक सुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी. नए आधुनिक नियोजित शहरों के विकास के साथ ही शहरी गरीबों के लिए सस्ते आवास की व्यवस्था की जाएगी.
महत्वपूर्ण स्थलों पर हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में फिल्मों की शूटिंग के लिए फिल्म सिटी का निर्माण होगा, ताकि फिल्म व्यवसाय को प्रोत्साहित किया जा सके.
7. जिंदगी जीने की सुविधाएं
7 निश्चय 3.0 का सातवां तथा अंतिम निश्चय ईज ऑफ लिविंग (Ease of Living) है - और उसके लिए स्लोगन है, ‘सबका सम्मान-जीवन आसान’.
बिहार के लोगों को नीतीश कुमार ने जिंदगी जीने और उसके लिए जरूरी सुविधाओं का भी एक खाका खींचा है. ‘सबका सम्मान-जीवन आसान’ के तहत बिहार में आधुनिक तकनीक, नवाचार और संवेदनशील सुशासन के जरिए सभी नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के मकसद से काम किए जाएंगे.
नीतीश कुमार के 7 निश्चय के तीनों चरणों में फर्क
1. सात निश्चय 3.0 (2025-2030): ये विकसित बिहार का सरकारी विजन है. पांच साल में 1 करोड़ रोजगार, और 50 लाख करोड़ के निवेश जैसे बड़े लक्ष्य रखे गए हैं. ये दोगुना रोजगार और आमदनी, किसान समृद्धि, उन्नत शिक्षा-स्वास्थ्य और आधुनिक आधारभूत संरचना पर केंद्रित है.
2. सात निश्चय 2.0 (2020-2025): ये आत्मनिर्भरता और सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश थी. साथ में, युवा और महिला सशक्तिकरण, स्वच्छता, सिंचाई, शहर-गांव विकास और स्वास्थ्य पर जोर था.
3. सात निश्चय 1.0 (2015-2020): ये बिहार के बुनियादी विकास की नींव रखने वाली योजना थी. पहले निश्चय में बुनियादी सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, सड़क, शौचालय और युवा-महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया था.
बिहार में 7 निश्चय कार्यक्रम की नींव 2015 में पड़ी थी. नीतीश कुमार तब लालू यादव की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे, और महागठबंधन की सरकार बनी थी. नीतीश कुमार का सात निश्चय पहली बार चुनावी वादे के रूप में सामने आया था. आरजेडी और कांग्रेस ने सात निश्चय को महागठबंधन का चुनावी वादा बताया था.
2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ दिया, और बीजेपी के साथ एनडीए के मुख्यमंत्री बन गए. लेकिन, सात निश्चय न रुका न बदला गया. नीतीश कुमार के साथ बीजेपी ने भी सात निश्चय अपना लिया - और 2020 का चुनाव आते आते ये सर्वदलीय घोषणा पत्र बन चुका था.
मृगांक शेखर