दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए जिस तरह का रुख कांग्रेस ने शुरू में दिखाया उससे लगा कि वो आम आदमी पार्टी के खिलाफ खम ठोंककर इस बार चुनाव लड़ने वाली है. पर चुनावों का नोटिफिकेशन जारी होने तक कांग्रेस इस तरह सुस्त पड़ती नजर आ रही है जैसे उसने आम आदमी पार्टी के सामने हथियार डाल दिए हों. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों के ही स्थानीय कार्यकर्ता और नेता किसी भी कीमत पर एक साथ नहीं आना चाहते हैं. इसके ठीक विपरीत दोनों ही पार्टियों के बड़े नेताओं में साथ चुनाव लड़ने की इच्छा रखते रहे हैं. यह भी सही है कि दोनों पार्टियां मिलकर ही दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी को हरा सकतीं हैं. हरियाणा में एक प्रतिशत से भी कम मतों के अंतर के चलते कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ गया था. अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा होता तो वहां की तस्वीर कुछ और होती. कुछ दिन पहले तक कई बार ऐसा लगा किं केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस भी बीजेपी के सुर में सुर मिला रही है. पर क्या अब भी वैसी ही स्थित है? आइये देखते हैं.
1-ऐसा क्यों लग रहा है कि कांग्रेस सरेंडर कर रही है?
इस बार के दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने जिस तरह अरविंद केजरीवाल और सीएम आतिशी के खिलाफ अपने कैंडिडेट उतारे उससे यही लगा कि अब कांग्रेस का दिल्ली में पुनर्जीवन होने जा रहा है.कांग्रेस भी दिल्लीवालों के लिए एक से बढ़कर एक गारंटी की घोषणा कर रही थी. कांग्रेसी नेताओं का मिजाज देखकर लग रहा था कि इस बार पूरे दमखम के साथ अरविंद केजरीवाल को टक्कर देंगे. कांग्रेस नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को देशद्रोही कहा और प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बात के सुबूत दिखाने की भी बात की थी. पर अचानक सब कुछ बदल गया. कांग्रेस नेता अजय माकन की आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ देशद्रोह के सबूत सार्वजनिक करने वाली प्रेस कान्फ्रेंस अचानक रद्द हो जाने पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
कहा जा रहा कि बीजेपी के ताबड़तोड़ हमले के बाद आम आदमी पार्टी बैकफुट पर आ गई है. ऐसे में कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं होने से पार्टी को नुकसान का डर सता रहा है. इंडिया गठबंधन के कुछ वरिष्ठ नेताओं की मानें तो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता एक-दूसरे के संपर्क में हैं. ऐसा भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली कांग्रेस के नेताओं को अरविंद केजरीवाल पर आक्रामक अंदाज में हमला नहीं करने की सलाह दी है. शायद यही कारण है कि अजय माकन को अपना प्रेस कॉन्फ्रेंस को अनिश्चितकालीन के लिए टालना पड़ा.
इंडिया गठबंधन सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली कांग्रेस के नेताओं को इस बारे में सख्त हिदायत दी है कि वह केजरीवाल पर व्यक्तिगत हमले करने से बचें. कहा तो यहां तक जा रहा है कि दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की भी कवायद फिर से शुरू हो गई है, पर इस बात को कोई कन्फर्म नहीं कर रहा है.
2-कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव मैदान से नदारद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां बीजेपी के कैंपेन की अगुवाई कर रहे हैं और योजनाओं का उद्घाटन कर नए प्रोजेक्ट्स का ऐलान कर रहे हैं. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले दिल्ली की गलियों की खाक छान रहे थे फिर हर रोज पीसी करके बीजेपी के हमलों का जवाब दे रहे हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के बड़े नेता बयानों में भी नहीं दिख रहे हैं. राहुल गांधी विदेश गए हुए हैं, प्रियंका हिमाचल में छुट्टियां मना कर वापस आ गईं हैं पर अभी एक्टिव नहीं हुईं हैं.
सूत्र बताते हैं पार्टी की ओर से गारंटी योजनाओं का ऐलान कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा किया जाना था. लेकिन सोमवार को कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने 'प्यारी दीदी योजना' लॉन्च की, जिसमें महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया है. इसे AAP की 'महिला सम्मान योजना' का जवाब माना जा रहा है, जिसमें 2,100 रुपये प्रति माह देने की बात कही गई है. सवाल यह है कि क्या कांग्रेस खुद को कमजोर दिखाने की कोशिश कर रही है? अगर ऐसा नहीं है तो महिलाओं के लिए गारंटी योजना का ऐलान पार्टी की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा से क्यों नहीं कराया गया, जो महिलाओं के मुद्दों को प्रमुखता से उठाती रही हैं?
3-'शीशमहल' विरोध की केवल औपचारिकता
दिल्ली शराब घोटाले को जिस तरह सबसे पहले कांग्रेस ने उठाया था उसी तरह सीएम आवास के मुद्दे पर भी कांग्रेस ने ही सबसे आवाज बुलंद की थी. 8 मई, 2023 को वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय माकन की शिकायत के आधार पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार को सीएम के बंगले में कथित उल्लंघनों और बेहिसाब खर्च की जांच करने के लिए कहा था. पर कांग्रेस इस उधेड़बिन में रह गई कि आम आदमी पार्टी के साथ रहना है या नहीं रहना है. कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल को देखकर लगता है कि पार्टी दिल्ली में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रही है. मुश्किल से ही ऐसे ट्वीट मिलते हैं जो दिल्ली सरकार के खिलाफ हों. शीशमहल के मुद्दे को कांग्रेस ने ही उठाया था पर इससे संबंधित केवल दो ट्वीट हैं. एक जुलाई महीने का है दूसरा इस हफ्ते का है. मतलब साफ है कि कांग्रेस शीशमहल मुद्दे पर विरोध का केवल औपचारिकता ही निभा रही है.
4-आम आदमी पार्टी ही नहीं, बीजेपी के खिलाफ भी कांग्रेस का रुख समझ से परे
बीजेपी नेता और कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी ने पिछले दिनों प्रियंका गांधी और सीएम आतिशी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया. बिधूड़ी ने दोनों के खिलाफ बयान केवल 24 घंटे के अंतराल पर दिया था. पर आम आदमी पार्टी ने रमेश बिधूड़ी के खिलाफ आसमान उठा लिया. पर प्रियंका के अपमान पर बोलने के लिए कांग्रेस के निचले लेवल के नेता ही नजर आए. कांग्रेस के प्रचार अभियान में सिर्फ दूसरे स्तर के नेता, सांसद और कांग्रेस-शासित राज्यों के मंत्री सक्रिय नजर आ रहे हैं.
संयम श्रीवास्तव