अरविंद केजरीवाल ने कर दिया इशारा, लोकसभा चुनावों में फ्रंट फुट पर खेलेंगे दिल्ली के CM

चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी का मेयर जीत जाता तो बीजेपी के लिए झटका होता, लेकिन कांग्रेस-AAP उम्मीदवार का हार जाना अरविंद केजरीवाल के लिए एक बड़ा मौका बन गया. दिल्ली के मुख्यमंत्री आम तौर पर अपने पार्टी दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने नहीं जाते, लेकिन इस हार के ठीक बाद केजरीवाल ने परिपाटी बदल दी.

Advertisement
Delhi Weekly Diary Delhi Weekly Diary

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:49 PM IST

चुनावी राजनीति में अरविंद केजरीवाल ने अपनी रणनीतिक समझदारी का लोहा कई बार मनवाया है. इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव उनकी इसी समझ की एक बड़ी अग्निपरीक्षा साबित होने वाले हैं. मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सरीखे अपने सिपहसालारों की अनुपस्थिति में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौती देना आसान नहीं है. वो भी तब जब अरविंद केजरीवाल कभी कट्टर विरोधी रही कांग्रेस के साथ चुनावी तालमेल कर इंडिया ब्लॉक के सदस्य के तौर पर चुनावी मैदान में कूदने की तैयारी कर चुके हैं. 

Advertisement

हालांकि कांग्रेस के साथ तालमेल की पहली कोशिश चंडीगढ़ मेयर चुनावों में की गई, लेकिन वहां वोटिंग में धांधली के आरोपों के बीच गठबंधन का संयुक्त उम्मीदवार चुनाव हार गया. विवाद अब बढ़ाने की तैयारी है क्योंकि केजरीवाल विवादों को भुनाने में बाकियों से कहीं बेहतर रहे हैं.

विवादों की बात है तो जब पिछले हफ्ते बिहार में नीतीश कुमार की "पलटने वाली सियासत" चल रही थी. उसी बीच आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर बीजेपी पर दिल्ली में अपने विधायकों को तोड़ने के लिए पैसे ऑफर करने का एक बड़ा आरोप लगा दिया. विवादों की बयार शांत होती, उससे पहले अरविंद केजरीवाल को इंफोर्समेंट डायरक्टरेट यानी ईडी ने आबकारी नीति मामले में पूछताछ के लिए 5वां समन भेज दिया. 

विवादों से बचेंगे नहीं, खुलकर खेलेंगे केजरीवाल 

चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी का मेयर जीत जाता तो बीजेपी के लिए झटका होता, लेकिन कांग्रेस-AAP उम्मीदवार का हार जाना अरविंद केजरीवाल के लिए एक बड़ा मौका बन गया. दिल्ली के मुख्यमंत्री आम तौर पर अपने पार्टी दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने नहीं जाते, लेकिन इस हार के ठीक बाद केजरीवाल ने परिपाटी बदल दी. बीजेपी के केंद्रीय कार्यालय से महज 200 मीटर की दूरी पर आम आदमी पार्टी के मुख्यालय में न सिर्फ केजरीवाल पहुंचे बल्कि प्रवक्ताओं की जगह खुद ही प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बीजेपी पर हमलावर हो गए. 

Advertisement

30 जनवरी को जब केजरीवाल बोल रहे थे तो उन्होंने चंडीगढ़ में हुई घटना को लोकतंत्र की हत्या बताया और उसे 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या से जोड़ दिया. चुनावी गड़बड़ी का आरोप इसलिए भी अहम हो गया क्योंकि बीजेपी पर लगातार विरोधी गैर-लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता हथियाने का आरोप लगाते रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने भी साफ कह दिया कि जो पार्टी एक शहर के मेयर चुनाव में धांधली कर सकती है उससे विधानसभा और लोकसभा चुनावों में निष्पक्ष चुनावों की क्या ही उम्मीद की जाए. 

आम आदमी पार्टी ने चंडीगढ़ की लड़ाई को दिल्ली की सड़कों पर उतारने का ऐलान कर दिया है और 2 फरवरी को पंजाब के सीएम भगवंत मान को साथ लेकर वो दिल्ली के बीजेपी हेडक्वार्टर पहुंचेंगे और धरना भी देंगे. तारीख इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि उसी दिन केजरीवाल को ईडी ने अपने दफ्तर पूछताछ के लिए 5वीं बार बुलावा भेजा है तो केजरीवाल इस बार किसी और राज्य में जाकर समन से नहीं बचेंगे बल्कि बीजेपी के मुख्यालय पर आर-पार की चुनौती देंगे.  

केजरीवाल के विधायकों को तोड़ने की कोशिश हुई या बिहार की वजह से मौका मिल गया?  

एक तरफ नीतीश कुमार का पाला बदलना देश की सियासत की सुर्खियां बटोर रहा था तो टाइमिंग के माहिर केजरीवाल ने भी लगे हाथों विधायकों की खरीद फरोख्त को लेकर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. ये कोई पहली बार नहीं है जब आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर ये आरोप लगाया हो कि केंद्र की सत्ताधारी पार्टी विधायकों को तोड़कर दिल्ली की केजरीवाल सरकार को अस्थिर करने का मंसूबा बना रही है.

Advertisement

शनिवार को जिस वक्त बिहार की सियासत में उलटफेर का दौर चल रहा था ठीक उसी वक्त आम आदमी पार्टी ने अपने 7 विधायकों को पैसा ऑफर करने का आरोप लगाया. एक तरफ पार्टी के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे तो वहीं दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल ने विधायकों को 25-25 करोड़ रुपए ऑफर करने वाला आरोप सोशल मीडिया के एक पोस्ट के जरिए लगा दिया. हालांकि बीजेपी लगातार ऐसे आरोपों को मनगढ़ंत बताती रही है और इस बार तो दिल्ली बीजेपी के सीनियर नेताओं ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर इन तथाकथित झूठे आरोपों की जांच करने की शिकायत भी दे दी है.  

ममता-नीतीश गए, अब केजरीवाल इंडिया ब्लॉक में रहेंगे या उनके मन में भी कुछ और है? 

ऐसे वक्त में जब इंडिया ब्लॉक को लेकर कई किस्म की अटकलों का बाज़ार गर्म है वैसे में अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ गठबंधन पर कायम रहेंगे या नहीं ये बड़ा सवाल है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ही दिल्ली में सीटों के तालमेल को लेकर तो आश्वस्त हैं लेकिन घोषणा बाकी राज्यों में गठबंधन को लेकर अटकी हुई है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने लगभग ये तय कर लिया है कि पंजाब में साथ चुनाव लड़ना दोनों ही पार्टियों के हित में नहीं है. इसलिए दिल्ली, गुजरात और हो सके तो हरियाणा में सीटों का तालमेल कर लिया जाए.  

Advertisement

कांग्रेस और आप के बीच गुजरात में भरूच सीट को लेकर फिलहाल मामला फंसा है जहां अरविंद केजरीवाल पहले ही अपने प्रत्याशी की उम्मीदवारी घोषित कर चुके हैं. कांग्रेस भी आदिवासी बहुल भरूच लड़ना चाहती है क्योंकि पार्टी का मानना है कि आदिवासी उसके पारंपरिक वोटर रहे हैं. हालांकि गुजरात में कांग्रेस आम आदमी पार्टी के लिए दो से तीन सीट छोड़ सकती है. हरियाणा में भी गठबंधन के तौर पर कांग्रेस का लोकल नेतृत्व केजरीवाल को कोई सीट नहीं देना चाहता है. ऐसे में क्या दिल्ली में 4-3 के फॉर्मूले के तहत केजरीवाल को एक अतिरिक्त सीट देकर डील फाइनल की जा सकती है.

3 फरवरी को कांग्रेस पूर्वी दिल्ली की गीता कॉलोनी से अपने चुनावी कैंपेन की शुरुआत करेगी, जहां कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे. मुमकिन है कि समझौता उससे पहले हो जाए और 3 फरवरी को खड़गे केजरीवाल के साथ सीटों के फॉर्मूले की आधिकारिक घोषणा भी कर दें.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement