पाकिस्तान को जल संकट से बचा पाएगा चीन? ऑपरेशन सिंदूर के बाद बनने लगे हैं नए समीकरण

चीन को डर है कि जल संकट और भारत का दबाव पाकिस्तान को अमेरिका के करीब धकेल सकता है, जिससे CPEC, क्षेत्रीय प्रभाव, और सैन्य रणनीति को नुकसान होगा. चीन ने CPEC में 60 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जो PoK से होकर गुजरता है. पीओके का नाम जिस तरह भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी बार बार ले रहे हैं वह भी चीन की चिंता का बड़ा कारण है.

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एक तरफ भारत ने सिंधु का पानी रोक दिया है, दूसरी ओर पाकिस्तान के मौसम विभाग ने 38 परसेंट कम रेनफाल की भविष्यवाणी की है. एक तरफ भारत ने सिंधु का पानी रोक दिया है, दूसरी ओर पाकिस्तान के मौसम विभाग ने 38 परसेंट कम रेनफाल की भविष्यवाणी की है.

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:45 PM IST

आपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को लेकर चीन अचानक कुछ ज्यादा ही मेहरबान दिख रहा है. चाहे जल संकट की बात हो या सीपीईसी प्रोजेक्ट को अफगानिस्तान तक ले जाना हो , चीन अचानक पाकिस्तान को लेकर बहुत सीरियस हो गया है. भारत द्वारा सिंधु जल संधि के स्थगित होने के बाद पाकिस्तान में जल संकट बढता जा रहा है. सैटेलाइट तस्वीरों को सही माने तो सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियां सूख रही हैं, जिससे 80% कृषि और एक तिहाई जलविद्युत उत्पादन प्रभावित हुआ है. चीन को अपने दोस्त का यह कष्ट देखा नहीं जा रहा है.

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7 मई और 9 मई को भारत ने पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के पंजाब में नौ आतंकी ठिकानों पर हवाई और मिसाइल हमले करके पाकिस्तान के चीनी डिफेंस सिस्टम को तहस नहस कर दिया था. चीन के चिंता का एक कारण यह भी है. अब चीन अपने मित्र पाकिस्तान को जितना भी सहला सकता है सहला रहा है.पर भारत अब पहले जैसा चुप नहीं बैठा है. अब भारत भी उतना ही आक्रामक नजर आ रहा है. 22 मई 2025 को बीकानेर में पीएम नरेंद्र मोदी के वीर रस वाले भाषण ने पाकिस्तान और चीन दोनों को चैलेंज पर चैलेंज दिया है . शायद यही सब कारण है कि चीन अचानक अपने दोस्त पाकिस्तान के लिए प्रोटेक्टिव नजर आ रहा है. आइये देखते हैं अचानक बदले बदले दिख रहे चीन की कूटनीति इस तरह क्यूं दिख रही है.

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पाकिस्तान का जल संकट और चीन का खैबर पख्तूनवा में डैम का काम तेज करने की घोषणा

भारत द्वारा IWT को निलंबित करने के निर्णय से पश्चिमी नदियों से पाकिस्तान को मिलने वाला जल प्रभावित हुआ है. हालांकि प्राकृतिक प्रवाह जारी है, लेकिन भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में गर्मी के इस मौसम में पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है. यह कृषि क्षेत्र के लिए भी एक गंभीर खतरा बन गया है, विशेषकर पंजाब और सिंध जैसे क्षेत्रों में, जो सिंधु नदी प्रणाली पर अत्यधिक निर्भर हैं. टीओआई की एक रिपोर्ट बताती है कि इस्लामाबाद ने माला हेडवर्क्स पर जल प्रवाह में भारी गिरावट की बात कही है, इसके लिए भारत की तरफ से अस्थिर जल छोड़ने को जिम्मेदार ठहराया गया है.

इस बीच पाकिस्तान के लिए राहत की बात ये है कि उसका दोस्त चीन अस्थिर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मोहम्मद डैम के निर्माण को तेज करने की घोषणा की है.चीन की राज्य-स्वामित्व वाली चाइना एनर्जी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन, जो 2019 से इस जलविद्युत परियोजना पर काम कर रही है. कंपनी ने कंक्रीट भराई शुरू कर दी है.जैसा कि चीन की सरकारी ब्राडकास्टर चाइना सेंट्रल टेलीविजन (CCTV) की एक रिपोर्ट में कहा गया है. यह बहुउद्देश्यीय परियोजना, जो बिजली उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और शहरी जल आपूर्ति के लिए बनाई जा रही है, अगले साल पूरी होने की उम्मीद है.

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जाहिर है कि चीन का यह कदम भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच उसकी कूटनीतिक रणनीति को दर्शाता है. यह बीजिंग की इस्लामाबाद के साथ उसकी मजबूत रणनीतिक साझेदारी को भी दिखाता है. भारत के लिए यह सचेत रहने का और आगे की रणनीति चीन के हिसाब से तय करने के लिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है.

यह डैम परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की एक फ्लैगशिप परियोजना है.स्वात नदी पर स्थित मोहम्मद जलविद्युत परियोजना एक बहुउद्देश्यीय संरचना के रूप में डिज़ाइन की गई है. 800 मेगावाट की यह परियोजना बिजली उत्पन्न करने के साथ-साथ रोज़ाना करीब 1.13 अरब लीटर पेयजल पेशावर को आपूर्ति करेगी.

चीन सिंधु नदी पर दासू शहर के पास 4,320 मेगावाट की एक और जलविद्युत परियोजना भी बना रहा है, जो 2029 तक पूरी होगी.

अब देखते हैं कि चीन अचानक कुछ ज्यादा ही पाकिस्तान पर क्यों मेहरबान हो गया है?

1- पाकिस्तान के अमेरिकी कैंप में जाने का खतरा

चीन को डर है कि जल संकट और भारत का दबाव पाकिस्तान को अमेरिका के करीब धकेल सकता है, जिससे CPEC, क्षेत्रीय प्रभाव, और सैन्य रणनीति को नुकसान होगा. चीन ने CPEC में 60 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जो PoK से होकर गुजरता है. पाकिस्तान का 72% बाहरी कर्ज चीन का है. लेकिन अमेरिका ने 2025 में पाकिस्तान के लिए 101 मिलियन डॉलर का बजट प्रस्तावित किया और IMF बेलआउट में भूमिका निभाई. यह आर्थिक सहायता पाकिस्तान को अमेरिका के करीब ला सकती है.

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ऑपरेशन सिंदूर में चीनी हथियारों (J-10C, PL-15) की कथित विफलता ने चीन की सैन्य विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाई . पाकिस्तान के काम आज भी अमेरिका के दिए जेट आ रहे हैं. पाकिस्तानी नेता और सेना अमेरिकी प्रभाव में हैं, क्योंकि उनकी संपत्तियां अमेरिका और यूरोप में हैं. अगर पाकिस्तान अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाता है, तो चीन का सैन्य प्रभाव कमजोर होना तया है.

2-भारत की बढ़ती ताकत और कूटनीति

भारत की बढ़ती सैन्य ताकत और कूटनीतिक प्रभाव, विशेष रूप से 2025 के भारत-पाक तनाव के बाद, ने चीन को पाकिस्तान के पक्ष में अधिक खुलकर आने के लिए प्रेरित किया है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने 22 मिनट में PoK और पाकिस्तान के पंजाब में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया. बीकानेर में मोदी के बयान, जैसे पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया और सिंदूर बारूद बन जाता है ने भारत की सैन्य और स्वदेशी तकनीकी क्षमता (HAL तेजस, ब्रह्मोस) को उजागर किया है. भारत ने चीनी राडार और J-10C/PL-15 हथियारों को बेअसर किया, जिसने चीन की सैन्य विश्वसनीयता को ठेस पहुंची है.

चीन ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान यह भी देखा कि चाहे इस्लामी राष्ट्र हों या पूरा वेस्ट , कोई भी पाकिस्तान के साथ नहीं आया. यह भारत की बढ़ती ताकत का ही परिणाण था. चीन समझ रहा है कि भारत को नियंत्रित करने के लिए उसके सबसे पुराने दुष्मन पाकिस्तान को मजबूत करना जरूरी है.

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10 मई 2025 को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान की संप्रभुता का समर्थन किया और कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों से हल करने की वकालत की. 21 मई को बीजिंग में त्रिपक्षीय बैठक (चीन-पाकिस्तान-तालिबान) में CPEC को अफगानिस्तान तक विस्तार देने का फैसला हुआ. 

3-चीन के आर्थिक हित

चीन के महत्वपूर्ण आर्थिक हित पाकिस्तान के साथ हैं, जो मुख्य रूप से चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) और व्यापक बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से प्रकट होते हैं. CPEC, BRI का एक प्रमुख हिस्सा है. इसमें चीन ने 60 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. यह ग्वादर पोर्ट (बलूचिस्तान) को चीन के शिनजियांग तक सड़कों, रेलवे, और ऊर्जा परियोजनाओं से जोड़ता है, जो पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है. यह चीन को हिंद महासागर तक पहुंच और मध्य पूर्व व अफ्रीका के बाजारों तक कम दूरी का मार्ग प्रदान करता है.

चीन ने मोहम्मद डैम (स्वात नदी, 800 मेगावाट) और दीयामिर-भाषा डैम (सिंधु नदी, 4,500 मेगावाट) जैसी परियोजनाओं में निवेश किया है. ये डैम पाकिस्तान के जल और बिजली संकट को कम करने में मदद करते हैं, जो IWT स्थगन के बाद गहरा गया है. 

4-भारत को घेरने की रणनीति 

चीन भारत को रणनीतिक रूप से घेरने के लिए पाकिस्तान का उपयोग कई स्तरों पर कर रहा है, जिसमें सैन्य, आर्थिक, कूटनीतिक, और क्षेत्रीय प्रभाव शामिल हैं. चीन ने पाकिस्तान को J-10C लड़ाकू विमान, PL-15 मिसाइलें, और ड्रोन जैसी उन्नत सैन्य तकनीक प्रदान की. ऑपरेशन सिंदूर में इनका उपयोग भारत के राफेल और S-400 के खिलाफ टेस्ट था. हालांकि भारत ने चीनी राडार बेअसर किए. 21 मई 2025 को त्रिपक्षीय बैठक (चीन-पाकिस्तान-तालिबान) में CPEC को अफगानिस्तान तक विस्तार देने का फैसला भारत को घेरने की रणनीति है. 

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चीन ने कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों से हल करने की वकालत की, जो भारत की द्विपक्षीय नीति (शिमला समझौता) को चुनौती देता है. चीन ने बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में सुरक्षा बढ़ाने की मांग की, जहां BLA और TTP ने CPEC परियोजनाओं पर हमले किए. कहा जा रहा है कि सुरक्षा के बहाने चीन ग्वादर में सैन्य उपस्थिति बना सकता है. 

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