BMC चुनाव में 'ठाकरे बंधु बनाम सब' की जंग, बाकी धुरंधरों की क्‍या है तैयारी

बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों के लिए नया इम्तिहान लेकर आया है. सबका मकसद अलग अलग है. बीजेपी को वर्चस्व साबित करना है, एकनाथ शिंदे और अजित पवार को अपना हक हासिल करना है, और ठाकरे बंधुओं को अस्तित्व बनाए रखने के लिए नई लड़ाई लड़नी है.

Advertisement
बीएमसी की लड़ाई महाराष्ट्र के सत्ता समीकरण की तरह नहीं, बल्कि उलझी हुई है. (Photo: AI Generated) बीएमसी की लड़ाई महाराष्ट्र के सत्ता समीकरण की तरह नहीं, बल्कि उलझी हुई है. (Photo: AI Generated)

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

BMC चुनाव की उलटी गिनती तो पहले ही शुरू हो चुकी थी. अब तो जैसे रफ्तार पकड़ चुकी है. लेकिन, बहुत सारी चीजें काफी हद तक उलझी हुई हैं. कुछ कुछ सुलझी हुई भी लगती हैं. जब तक नामांकन वापसी की तारीख खत्म नहीं हो जाती, कौन किसके साथ है, और कौन नहीं - मालूम होना काफी मुश्किल लगता है. 

जिस तरह मौजूदा सत्ता समीकरण महाराष्ट्र में साफ साफ दिखाई देता है, बीएमसी चुनाव से पहले सबकुछ बदला हुआ नजर आ रहा है. विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाड़ी का जो हाल है, सत्ताधारी गठबंधन महायुति का हाल भी कोई अलग नहीं है. 

Advertisement

सीटों के बंटवारे पर दोनों गठबंधनों का दावा है कि सब कुछ फाइनल है, लेकिन तभी एक बात ऐसी होती है जो जोर जोर से बता रही होती है कि कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है - लेकिन, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच गठबंधन पक्का हो गया है. 

महाराष्ट्र में BMC सहित 29 नगर निगमों के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 23 दिसंबर से शुरू हो गई है. वोट 15 जनवरी, 2026 को डाले जाएंगे, और वोटों की गिनती 16 जनवरी को होगी. 

1. उद्धव और राज ठाकरे का गठबंधन

शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत लगातार दावा करते रहे कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच मिलकर बीएमसी चुनाव लड़ने का एक्शन प्लान बन चुका है, और आखिरकार अब उनका दावा हकीकत भी बन चुका है. उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने सामने आकर सारी शंकाओं को खत्म कर दिया है. 

Advertisement

राज ठाकरे के साथ मीडिया के सामने आए उद्धव ठाकरे का कहना है, हमारी सोच एक है और हम साथ हैं. ये महाराष्ट्र के लिए बड़ा संघर्ष है. महाराष्ट्र से मुंबई को तोड़ने की कोशिश हो रही है. दिल्ली में बैठे लोग मुंबई को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. 

ठाकरे बंधुओं ने साफ कर दिया है कि वे मराठी के मुद्दे पर ही चुनाव मैदान में उतर रहे हैं, और जीते तो मेयर भी मराठी ही होगा. दोनों भाइयों की बातों से लगता है कि सीटों का बंटवारा तो अब भी नहीं फाइनल हुआ है, बस साथ आ गए हैं. 

उद्धव ठाकरे का कहना है कि सीटों के बंटवारे पर जल्दी ही फैसला हो जाएगा. और, राज ठाकरे कहते हैं, सीटों का बंटवारा मायने नहीं रखता. 

2. महायुति पूरी तरह साथ, या पर्दे के पीछे सब अलग

2 दिसंबर और फिर 20 दिसंबर को महाराष्ट्र की 288 नगर परिषद और नगर पंचायतों के लिए वोटिंग हुई थी. अगले दिन, 21 दिसंबर को जो नतीजे आए उसमें बीजेपी 117 सीटें जीतने के साथ ही महायुति में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 53, एनसीपी (अजित पवार) को 37 सीटें मिलीं. 

स्थानीय निकाय चुनावों में, 207 नगर अध्यक्ष पद जीतकर महायुति ने विपक्षी महाविकास आघाड़ी को एक तरीके से किनारे ही लगा दिया, और महाराष्ट्र विधानसभा की तरह सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद महायुति में फिर से बीजेपी का दबदबा हो गया. 

Advertisement

अब पूरा जोर बृहन्मुंबई कॉर्पोरेशन के चुनाव पर है. महायुति का असली इम्तिहान मुंबई में ही है, क्योंकि स्थानीय निकाय के चुनाव तो पूरे महाराष्ट्र में हुए थे. 227 सदस्यों वाले बीएमसी में महायुति ने 150 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. बताते हैं कि  150 सीटों पर सहमति भी बन चुकी है, जबकि 77 सीटों पर माथापच्ची अभी जारी है.

सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबर बताती है, बीजेपी 150 सीटों पर खुद अपना उम्मीदवार चाहती है. एकनाथ शिंदे की शिवसेना के हिस्से में 50 सीटें आ सकती हैं, और 27 सीटें अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को मिल सकती हैं. 

मुश्किल ये है कि एकनाथ शिंदे और अजित पवार की डिमांड हाई है. सीट शेयरिंग को लेकर मुंबई में बीजेपी की तरफ से अशीष शेलार और अमित साटम बातचीत कर रहे हैं. एकनाथ शिंदे की शिवसेना की तरफ से उदय सामंत और अजित पवार की तरफ से सुनील तटकरे मोलभाव कर रहे हैं. 

3. एकनाथ शिंदे भी जोर लगाए हुए हैं

बीजेपी के साथ बातचीत में एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 100 सीटों पर दावा जताया है. ये करीब करीब वैसे ही है जैसे विधानसभा चुनाव में बातचीत चल रही थी. एकनाथ शिंदे का कहना है कि बीएमसी में तो शिवसेना का ही दबदबा रहा है, लिहाजा उसके हिस्से भी सम्मानजनक सीटें आनी चाहिए. 

Advertisement

ये बात एकनाथ शिंदे इसलिए भी कह रहे हैं, क्योंकि ये तो हर तरीके से साबित हो चुका है कि असली शिवसेना वही है जिसका वो नेतृत्व कर रहे हैं. नगर निकाय चुनाव के ताजतरीन नतीजे भी ऐसे ही संकेत देते हैं. 

4. अजित पवार भी अपनी राह पकड़ चुके हैं

अभी ये सस्पेंस बना हुआ है कि मुंबई में अजित पवार महायुति के साथ चुनाव लड़ेगी या आगे का चुनावी सफर अकेले तय करेंगे. बताते हैं, अजित पवार के सामने महायुति में शर्त रखी गई है कि मुंबई में उनकी पार्टी को गठबंधन के साथ चुनाव लड़ना है, तो नवाब मलिक के अलावा कोई नया चेहरा सामने लाना होगा. और, उनके हिस्से की सीटें भी 10 से 14 के बीच ही हो सकती हैं. 

खबर है कि बीजेपी चाहती है कि अजित पवार तो साथ रहें, लेकिन आरोपों और विवादों की वजह से नवाब मलिक दूर रहें. हालांकि, अब बताया जाता है कि आलाकमान के दखल के बाद अजित पवार से जुड़े मसलों का हल निकाल लिया गया है, और तीनों के मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना मानी जाने लगी है. ऐसे में अजित पवार को 27 सीटें दिए जाने की बात आ रही है.

5. कांग्रेस MVA से बाहर, वंचित विकास आघाड़ी के साथ

Advertisement

महाविकास आघाड़ी में कांग्रेस को राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने से दिक्कत है. पहले तो कांग्रेस अकेले चुनाव मैदान में उतरने की बात कर रही थी, लेकिन अब वो प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित विकास आघाड़ी के साथ गठबंधन पर भी बात और मुलाकातें हो रही हैं. ऊपर से, शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस नेता मीडिया के सामने आकर एक दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं.

कांग्रेस के मुंबई प्रभारी यूबी वेंकटेश कह रहे हैं कि प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित विकास आघाड़ी के साथ चुनाव में जा रहे हैं. यूबी वेंकटेश का कहना है, 'हम अकेले लड़ रहे हैं, और प्रकाश आंबेडकर जी के साथ जाने की सोच रहे हैं.' 

संजय राउत के भी सुर बदल गए हैं. उनका कहना है, मुंबई महानगरपालिका चुनाव को लेकर कांग्रेस के साथ बातचीत अब बंद हो चुकी है. लेकिन, पुणे, नासिक और मीरा-भाएंदर को लेकर कांग्रेस से चर्चा अभी चल रही है. 

और पवार की पावर प्रैक्टिस भी चालू है

संजय राउत का ये भी दावा है कि शरद पवार की एनसीपी भी उनके साथ है. संजय राउत के मुताबिक उद्धव ठाकरे और एनसीपी (एससीपी) नेता जयंत पाटिल के साथ बातचीत चल रही है. कहा है, चर्चा पूरी हो जाती है तो हमारी इच्छा है कि शरद पवार भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहें. आमंत्रण दिया जाएगा.

Advertisement

प्रेस कॉन्फ्रेंस भी हो गई, और संजय राउत का दावा भी हवा हो गया. शरद पवार तो आए नहीं. हालांकि, एनसीपी के शरद पवार गुट के नेता शशिकांत शिंदे कह चुके हैं, सत्ताधारी महायुति के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए बीजेपी विरोधी सभी पार्टियों को साथ लाने पर चर्चा हो रही है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement