क्‍या अजित पवार महाराष्‍ट्र में बीजेपी-शिवसेना से अलग होने की जमीन तैयार कर रहे हैं? | Opinion

अजित पवार के ताजा एक्ट से तो यही लगता है कि वो महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन में खुद को सहज नहीं पा रहे हैं, और अलग होने का कोई बहाना खोज रहे हैं. वरना, राहुल गांधी के फेवर में बोलने और बीजेपी नेता के प्रोजेक्ट में रोड़ा अटकाना का क्या मतलब है?

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अजित पवार का राहुल गांधी के पक्ष में खड़े हो जाना, और बीजेपी नेता के ट्रस्ट को जमीन आवंटित न होने देना - एनसीपी का ताजा रुख ऐसा ही है. अजित पवार का राहुल गांधी के पक्ष में खड़े हो जाना, और बीजेपी नेता के ट्रस्ट को जमीन आवंटित न होने देना - एनसीपी का ताजा रुख ऐसा ही है.

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:48 PM IST

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से काफी बदले बदले नजर आ रहे हैं. नतीजे तो मनमाफिक नहीं ही आये थे, केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री की पोस्ट न मिलने से निराश और भी बढ़ने लगी थी. वैसे तो सूत्रों के हवाले से खबर ये भी आ रही है कि महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन महायुति में सीटों के बंटवारे पर सहमति बन गई है, लेकिन औपचारिक तौर पर ये बताये न जाने से संशय बना हुआ है. हालांकि, India Today Mumbai Conclave में आए अजित पवार ने स्‍पष्‍ट किया कि सीट शेयरिंग पर औरंगाबाद में उनकी और अमित शाह की बात हुई है. कुछ दिनों में पता चल जाएगा कि बीजेपी, शिव सेना और उनकी पार्टी कितनी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रही है. लेकिन, सबसे दिलचस्‍प बात उन्‍होंने महायुति में बने रहने को लेकर कही. तमाम असहमतियों के सवालों को नजरअंदाज करते हुए वे कहते गए कि हम महायुति की सरकार वापस लाने के लिए कोशिश करेंगे.

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अजित पवार कभी यात्रा के बहाने तो कभी किसी कार्यक्रम में शामिल होने के कारण लगातार लोगों के बीच रहने को कोशिश कर रहे हैं, और बीच बीच में ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे बीजेपी पर दबाव बढ़ाया जा सके - राहुल गांधी के मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी के एक नेता का सरेआम विरोध, और महाराष्ट्र बीजेपी के एक बड़े नेता का प्रोजेक्ट नामंजूर कराने में उनकी भूमिका तो यही कहती है कि किसी न किसी तरीके से वो अलग होने का बहाना खोज रहे हैं. 

बारामती से पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनाव लड़ाये जाने के मामले में तो वो पहले ही अफसोस जता चुके हैं - और सच तो ये भी है कि संघ भी बीजेपी के अजित पवार के साथ आने से खासा नाराज है. 

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राहुल गांधी पर हुई टिप्‍पणी के खिलाफ भड़के

महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट पर हुई पारिवारिक लड़ाई पर अजित पवार का अफसोस जताना तो चलेगा, लेकिन राहुल गांधी के आरक्षण पर आये बयान का सपोर्ट तो बिलकुल ही अलग मामला हो जाता है. 

अमेरिकी दौरे में राहुल गांधी के बयान पर काफी विवाद हुआ था. INDIA ब्लॉक के कुछ नेताओं ने तो सपोर्ट किया था, लेकिन मायावती और बीजेपी नेता तो धावा ही बोल दिये थे. 

और सबसे आगे तो एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ नजर आये. संजय गायकवाड़ ने तो सीधे सीधे राहुल गांधी की जीभ काटने वाले को 11 लाख रुपये का इनाम देने की ही घोषणा कर डाली. महाराष्ट्र कांग्रेस कार्यकर्ताओं का बुलढाणा थाने में संजय गायकवाड़ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना तो उनका हक बनता है, लेकिन अजित पवार की तरफ से इस मामले में नाराजगी जताया जाना तो हैरान ही करता है. 

एनसीपी नेता अजित पवार ने संजय गायकवाड़ के बयान से इतने नाराज हुए कि वो उनको मर्यादा में रहने की नसीहत देने लगे. अजित पवार का कहना था, सभी को अपने विचार रखने का अधिकार है… ये अधिकार संविधान बनाने वाले बाबा साहेब अंबेडकर ने हमें दिया है, लेकिन कोई भी… सत्ताधारी हो, विरोधी हो या और कोई भी हो… जुबान पर नियंत्रण न रखने वालों को मर्यादा का पालन करना चाहिए. 

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जब बीजेपी नेता ही नहीं बल्कि मायावती जैसी नेता भी राहुल गांधी के खिलाफ खड़े हों, ऐसे में अजित पवार का आगे बढ़ कर कांग्रेस नेता का पक्ष लेना, शक तो पैदा करता ही है. महाराष्ट्र में कांग्रेस विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी का हिस्सा है, जिसमें अजित पवार के चाचा शरद पवार वाली एनसीपी भी शामिल है.

सेक्‍यूलरिज्‍म पर शपथ कायम है 

पुणे में एनसीपी की तरफ से संविधान सभा कार्यक्रम हुआ था. कार्यक्रम में अजित पवार का धर्मनिरपेक्षता की बात पर खास जोर दिखा था. ये ज्यादा खास इसलिए भी लगा क्योंकि महाराष्ट्र में बीजेपी नेता हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. 

लेकिन अजित पवार की तरफ से ये साफ करने की कोशिश लगती है कि वो बीजेपी के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे से खुद को पूरी तरह अलग रखना चाहते हैं. 

एनसीपी नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत में अजित पवार कहते हैं, हमें राष्ट्रवाद के मामले में किसी प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है… हम अपने संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद के मूल्यों के साथ खड़े हैं.

निश्चित रूप से ये बीजेपी नेतृत्व का अजित पवार की तरफ से साफ साफ संदेश है - पहली वजह तो ये महायुति से अलग रास्ता अख्तियार करने की ही लगती है, एक वजह सीटों के बंटवारे में दबाव बनाने की कोशिश भी हो सकती है. 

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अब बीजेपी नेता के प्रोजेक्ट में रोड़ा तो खुला चैलेंज है

चंद्रशेखर बावनकुले महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष हैं, और गठबंधन सरकार में अजित पवार के हिस्से वाले वित्त विभागव ने चंद्रशेखर बावनकुले से जुड़ी आवेदन की एक फाइल ही लौटा दी है. 

नतीजा ये हुआ है कि महाराष्ट्र कैबिनेट ने चंद्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता वाले एक सार्वजनिक ट्रस्ट को नागपुर में 5 हेक्टेयर जमीन के आवंटन के राजस्व विभाग के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, 29 नवंबर, 2023 को ट्रस्ट की तरफ से कौशल विकास केंद्र के निर्माण के लिए जमीन मांगी गई थी. 

महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष बावनकुले का कहना है कि ट्रस्ट काफी पुराना है और वो सिर्फ दो साल तक ही उसके अध्यक्ष रहे हैं. कहते हैं, ये कोई व्यक्तिगत मामला नहीं है… मैं धार्मिक उद्देश्य के लिए काम कर रहा हूं… ये एक नेक काम है… ट्रस्ट जमीन की कीमत का भुगतान करेगा, और उसे लीज पर लेगा… ये मेरी निजी संपत्ति नहीं होगी.

देखा जाये तो अजित पवार की तरफ से बीजेपी को ये खुला चैलेंज ही है, लेकिन बीजेपी भी काफी फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रही है. जिस कैबिनेट ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी है, उसमें बीजेपी के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी होंगे, और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी - फिर भी अजित पवार ने जो कदम उठाया है, सोच समझकर ही उठाया है.

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