नए साल में दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी लगातार कांग्रेस को नजरअंदाज करती दिख रही है. पिछले दो हफ्तों में दूसरी बार, आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच कोई गठबंधन नहीं होगा. अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर चल रही अटकलों के जवाब में X पर पोस्ट किया कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस के साथ किसी भी प्रकार के गठबंधन की कोई संभावना नहीं है.पर इसके बावजूद कांग्रेस को लगता है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी उनसे समझौता जरूर करेगी.
1- अरविंद केजरीवाल अपनी अनिच्छा बार-बार दिखा रहे हैं
एक दिसंबर को अरविंद केजरीवाल ने यह क्लीयर कर दिया था कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं होगा. मंगलवार शाम को केजरीवाल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख और INDIA गठबंधन के नेता शरद पवार से मुलाकात की, फिलहाल कांग्रेस को अनौपचारिक तौर पर भी नहीं पूछा गया. AAP के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा, जो पहले कई INDIA गठबंधन की बैठकों में हिस्सा ले चुके हैं, ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, मैं यह स्पष्ट कर रहा हूं कि AAP आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी. गठबंधन का कोई सवाल ही नहीं उठता. AAP और कांग्रेस के बीच किसी भी प्रकार के गठबंधन की खबरें निराधार हैं. AAP ने पिछले तीन दिल्ली चुनाव अकेले अपने दम पर जीते हैं.जब 2025 में विधानसभा चुनाव होंगे, AAP अपने काम और अरविंद केजरीवाल के नाम पर चुनाव लड़ेगी और जीतेगी. गठबंधन की कोई संभावना नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस अपने सूत्रों के आधार पर लिखता है कि पिछले महीने तक बातचीत जारी थी, लेकिन अब AAP को स्पष्ट है कि दिल्ली में गठबंधन से कोई लाभ नहीं होगा. सबसे बड़ा कारण तो यही है कि दोनों पार्टियों की स्थानीय इकाइयां गठबंधन नहीं चाहती हैं. दूसरे आप नेतृत्व को लगता है कि कांग्रेस से कई लोग AAP में शामिल होना चाहते हैं, ऐसे में गठबंधन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा. आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी चिंता यह है कि दिल्ली में कांग्रेस अपने मतदाता आधार को पुनः प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही है. ऐसे में सीटें छोड़ने से कांग्रेस फिर से मजबूत हो सकती है. आम आदमी पार्टी को यह भी लगता है कि एंटी इंकंबेंसी से लड़ने के लिए सबसे बेहतर यही होगा कि कांग्रेस दिल्ली के लोगों के लिए तीसरे विकल्प के रूप मे मौजूद रहे. इससे आम आदमी पार्टी से नाराज लोगों के सामने 2 विकल्प होंगे. इस तरह नाराजगी वाले सारे वोट बीजेपी को ओर नही जाएंगे.
2- कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कर लिया दिल्ली न्याय यात्रा से किनारा
दिल्ली में कांग्रेस की स्थानीय इकाई ने बहुत जोर-शोर से न्याय यात्रा निकाली. इस् यात्रा में शामिल होने के लिए मध्य दर्जे से लोकर सर्वोच्च लेवल तक के नेताओं को बुलावा भेजा गया पर किसी ने भी आने में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई. दिल्ली कांग्रेस नेताओं ने उम्मीद जताई थी कि समापन के अवसर पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जरूर आएंगे. पर बताया जा रहा है कि ऐन मौके पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने इस न्याय यात्रा से अपने को अलग कर लिया. इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि यह केवल इसलिए किया गया ताकि अरविंद केजरीवाल तक यह संदेश जाए कि दिल्ली न्याय यात्रा में कांग्रेस के बड़े नेता इन्वॉल्व नहीं थे. दरअसल दिल्ली न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस की स्थानीय इकाई लगातार आम आदमी पार्टी सरकार की नाकामियों को टार्गेट कर रही थी.कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अरविंद केजरीवाल तक यह संदेश देना चाहता है कि हम अब भी दिल्ली विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ सकते हैं.
3- राहुल -प्रियंका का सारा जोर यूपी पर
यह बात समझ में नहीं आ रही है कि जब उत्तर प्रदेश में अभी कोई चुनाव नहीं होने हैं तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश को लेकर इतने पजेसिव क्यों हो गए हैं. चाहे संभल विजिट को लेकर बात रही हो या संभल पीड़ितों से मुलाकात की बात हो. राहुल और प्रियंका ने इसके लिए टाइम निकाल लिया. इतना नहीं हाथरस में पिछले साल हुई दलित लड़की से रेप के बाद मौत हो गई थी. पीड़िता के परिजनों से मिलने आज गुरुवार को राहुल गांधी हाथरस पहुंचे थे. पर दिल्ली में न्याय यात्रा के लिए टाइम नहीं निकाल सके. साफ जाहिर है कि कांग्रेस की प्रॉयरिटी में दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं है. काग्रेस दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के सहारे ही नैय्या पार करना चाहती है . अभी उसके टार्गेट में अपने सहयोगी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ही हैं.
4- कांग्रेस की स्थानीय इकाई का जोर या दबाव की रणनीति
हालांकि कांग्रेस की स्थानीय इकाई का अब भी मानना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव कांग्रेस अकेली ही लड़ेगी और वो इसके लिए पूरी तरह से तैयार है.दिल्ली कांग्रेस के मुखिया देवेंद्र यादव कहते हैं कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव अकेले ही लड़ेंगे और हम फिर से सत्ता में आने के लिए मजबूत स्थिति में हैं. हम किसी भी प्रकार का गठबंधन दिल्ली की भ्रष्ट सरकार के साथ नहीं करने जा रहे हैं. देवेंद्र यादव का यह भी कहना है कि आगामी 10 दिनों के अंदर कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आ जाएगी. कांग्रेस का दावा है कि पहली सूची आने के बाद आम आदमी पार्टी दबाव में आ जाएगी. यादव का कहना है कि कांग्रेस उन सीटों पर अपने प्रत्याशियों का घोषणा करने जा रही है जहां से अभी आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी तय नहीं हुए हैं.
देवेंद्र यादव की बातचीत से लगता है कि कांग्रेस पार्टी भी दबाव की रणनीति पर काम कर रही है. स्थानीय इकाई आम आदमी पार्टी की हार्डकोर विरोधी है. दूसरे कांग्रेस अपनी पहली सूची में उन जगहों पर प्रत्याशी उतारने जा रही है जहां से आम आदमी पार्टी ने अपने प्रत्याशी नहीं बनाएं हैं. मतलब भविष्य में दोनों पार्टियों के बीच बातचीत की गुंजाइश बनी रहे.
संयम श्रीवास्तव