मध्य प्रदेश के सरकारी शिक्षक भर्ती में एक बड़ा घोटाला सामने आया है. फर्जी डी.एड. (डिप्लोमा इन एजुकेशन) सर्टिफिकेट के सहारे नौकरी हथियाने वाले लोगों का पर्दाफाश हुआ है. एमपी पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स (MP STF) की जांच में 28 से अधिक संदिग्धों की पहचान हुई है, और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके नौकरी पाने वाले 8 लोागें के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई. एमपी एसटीएफ के एक अधिकारी ने आजतक को बताया कि यह किसी संगठित गिरोह का काम लगता है, जो डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन को भी चकमा दे रहा था.
एमपी एसटीएफ को खुफिया जानकारी मिली थी कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में फर्जी डी.एड. सर्टिफिकेट से कुछ लोग सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनकर पढ़ा रहे हैं. इस पर एसटीएस की ग्वालियर यूनिट ने शिकायतों में मिले डीएड सर्टिफिकेट का वेरिफिकेशन शुरू किया. संबंधित कार्यालयों से मिले रिकॉर्ड में खुलासा हुआ कि ये सर्टिफिकेट फर्जी हैं- संबंधित कार्यालय से जारी नहीं की गई हैं या किसी अन्य व्यक्ति को जारी की गई हैं. जांच में पाया गया कि इन जाली दस्तावेजों से कई उम्मीदवारों ने शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर नौकरी हासिल कर ली है. एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि फर्जी डी.एड. सर्टिफिकेट से सरकारी टीचर बनने वाले लोग मुरैना, शिवपुरी, ग्वालियर, इंदौर जिलों में पोस्टेड हैं, जिसके बाद 8 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है.
इन शिक्षकों के खिलाफ हुई एफआईआर
- गंधर्व सिंह रावत पुत्र संतोष सिंह रावत
- साहब सिंह कुशवाह पुत्र खेमराज
- बृजेश रोरिया पुत्र भान सिंह रोरिया
- महेन्द्र सिंह रावत पुत्र लक्ष्मण सिंह रावत
- लोकेन्द्र सिंह पुत्र जगन्नाथ सिंह
- रूबी कुशवाह पुत्री शिव कुमार
- रविन्द्र सिंह राणा पुत्र उदयभान सिंह
- अर्जुन सिंह चौहान पुत्र बुलाखी सिंह चौहान
संदेह के घेरे में कई अन्य सरकारी शिक्षक
आठ शिक्षकों के खिलाफ भले ही नामजद एफआईआर दर्ज हो गई है पर आजतक को मिली जानकारी के अनुसार एमपी एसटीएफ के रडार पर अभी ऐसे करीब 28 और सरकारी टीचर हैं, जिनके डीएड सर्टिफिकेट की गोपनीय रूप से जांच चल रही है. एसटीएफ को शक है कि फर्जी डी.एड. सर्टिफिकेट बनाने के पीछे एक पूरा संगठित गैंग है. इस खुलासे के बाद कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया है. वहीं, राज्य के शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को आदेश जारी कर शिक्षकों के दस्तावेजों का दोबारा सत्यापन करने को कहा है.
रवीश पाल सिंह