मध्य प्रदेश के दमोह में फर्जी दस्तावेजों के जरिए सर्जरी करने वाले डॉक्टर नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन कैम का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब फर्जी दस्तावेजों पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO), कलेक्ट्रेट में क्लर्क और सेना की व्हीकल फैक्ट्री में कई पदों पर लोगों के नौकरी करने का मामला सामने आया है. यह मामला दमोह कलेक्टर के पास पहुंचा, जिन्होंने जांच के निर्देश देकर मूल दस्तावेजों की फाइल तलब की है.
दमोह में फर्जी दस्तावेजों की बाढ़-सी आ गई है. कुछ लोग हिंदी में अपनी जाति के नाम पर बिंदु जोड़कर उसे बदल लेते हैं और आदिवासियों के लिए आरक्षित पदों का लाभ उठाकर बड़े-बड़े पदों पर नौकरी हासिल कर लेते हैं.
मामला 'मुड़ा' जाति से जुड़ा है, जहां लोग 'मुड़ा' पर बिंदु लगाकर 'मुंडा' बनकर आदिवासी बिरसा मुंडा के वंशजों की जाति में शामिल हो गए. उदाहरण के लिए, जय श्री मुड़ा, 'मुंडा' बनकर जबलपुर के पाटन की मुख्य नगर पालिका अधिकारी बनी हुई हैं. उनका भाई विक्रम मुड़ा, 'मुंडा' बनकर जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री में नौकरी कर रहा है.
वहीं, कलेक्ट्रेट में क्लर्क जयदीप मुड़ा ने भी आरक्षण का लाभ लेकर 'मुड़ा' से 'मुंडा' बनकर नौकरी हासिल की है. अब इनका एक सगा भाई चाहता है कि उसके बच्चों को भी इसी फर्जी जाति का लाभ मिले.
दूसरी ओर, अरविंद नामक व्यक्ति इस फर्जीवाड़े के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है. अरविंद का यह संघर्ष पुराना है, क्योंकि प्रभावशाली लोग जांच को प्रभावित कर देते हैं. इस बार उसने अधिवक्ता के साथ प्रमाणित दस्तावेज कलेक्टर के सामने प्रस्तुत किए हैं. देखें Video:-
दरअसल, दमोह का आदिम जाति विभाग यह अधिसूचना जारी कर चुका है कि दमोह में 'मुंडा' जाति के लोग निवास नहीं करते. फिर भी सैकड़ों लोग फर्जी दस्तावेजों के जरिए जाति बदलकर सरकारी नौकरी कर रहे हैं. इस वजह से वास्तविक हकदारों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता. पीड़ित पक्ष ने फर्जी दस्तावेजों की सूची के साथ दमोह कलेक्टर से मामले की शिकायत की है.
दमोह कलेक्टर ने मामले की जटिलताओं को समझा है और ऐसे उजागर हो रहे मामलों की जांच के लिए दस्तावेजों के परीक्षण का आदेश दिया है. कलेक्टर का कहना है कि सरकार की अधिसूचना में स्पष्ट है कि दमोह में 'मुंडा' जाति नहीं है, फिर भी लोग 'मुड़ा' से 'मुंडा' बनकर सरकारी नौकरी कैसे कर रहे हैं. जांच शुरू हो चुकी है.
शांतनु भारत