हम आपको बता रहे हैं कि आप कैसे एक अच्छे पैरेंट्स साबित हो सकते हैं, बस कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर.
अगर आप अपने बच्चे को किसी से कमतर बताते हैं तो वह धीरे-धीरे हीनभावना का शिकार हो सकता है और उसका आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे को उसी रूप में स्वीकार करें जैसे वो हैं. वे अपनी जिंदगी में जो बनना चाहते हैं, उन्हें बनने दें. उन्हें जिस चीज में दिलचस्पी है, उन्हें करने दें.
4-उन्हें समझाने के लिए स्वाभाविक नतीजे बताएं-
आप चाहे कितना भी डांट लें और धमकी दें उन्हें कभी भी अपनी गलती समझ नहीं आएगी. सबसे अच्छा तरीका है कि उन्हें समझाने के लिए व्यावहारिक नतीजे देखने दें. उदाहरण के तौर पर- आपने अपने बच्चे को कमरा साफ रखने की हिदायत देती है तो छोड़ दें. जब उसकी चीजें खोने लगेंगी तो उसे खुद ही यह बात समझ आएगी. इसमें वक्त तो ज्यादा लगेगा लेकिन तरीका कारगर जरूर है.
5-हमेशा याद रखें कि आपके बच्चे की उम्र कितनी है-
सबसे अहम बात यह है कि आपको अपने बच्चे की परवरिश में उनकी उम्र का ख्याल रखना चाहिए. अगर आप अपने टीनेज बच्चे को टॉडलर की तरह ट्रीट कर रही हैं तो यह नुकसानदायक साबित हो सकता है. उम्र बढ़ने के साथ हर बच्चे को आजादी चाहिए होती है इसलिए अपने बच्चे की उम्र के हिसाब से उनकी जरूरतों का ध्यान रखें और उन्हें पर्याप्त स्पेस मुहैया कराएं. हालांकि यह इतना आसान नहीं होता है कि आपका व्यवहार तेजी से बदल जाए लेकिन समय की मांग यही है कि परवरिश में बच्चों की उम्र का खास ख्याल रखें.
6-दूसरों की सलाह पर ना करें पैरेंटिंग-
जब आफ पैरेंट्स बन जाते हैं तो हर कोई आपको अपनी सलाह देने आ जाता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको जो कोई जो सलाह दे, आफ उसे मान लें. आपको यह समझने की जरूरत है कि हर परिवार की अलग कहानी है और हर घर की अलग परिस्थितियां. हो सकता है उनके बच्चे के लिए जो चीज कारगार साबित हुई हो, वह आपके बच्चे के लिए ना हो.
आप दूसरों की सलाह सुनें लेकिन उन पर अमल तभी करें जब वह आफके परिवार के अनुकूल हों, आपसे ज्यादा आपके बच्चे को कोई नहीं समझ सकता है इसलिए आपसे बेहतर कोई यह तय नहीं कर सकता है कि आपके बच्चे के लिए क्या सही है और क्या गलत.
7-आपके काम आपके शब्दों से ज्यादा बोलते हैं.
कई पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो अपने बच्चों से बहुत अच्छी-अच्छी बातें करते हैं लेकिन खुद उन पर अमल नहीं करते हैं. यह पैरेंट्स की सबसे बड़ी गलती होती है क्योंकि आपका बच्चा वही कुछ सीखता है जो वह आपको करते हुए देखता है. यकीन मानिए कई बातें वह आपके बिना सिखाए आपको देखकर ही सीख जाता है. अपने बच्चों के सामने अपने बर्ताव में खास सावधानी बरतें.
9-हद से ज्यादा लाड ना करें-
माता-पिता में सबसे बड़ी खासियत होती है कि उनके अंदर असीम और बेशर्त प्यार और स्नेह हो लेकिन वो हर चीज की एक हद तक ही अच्छी होती है. अगर हद से ज्यादा आप उसे प्यार करेंगे तो आप अपने बच्चे को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. ऐसा अक्सर कहा जाता है कि ज्यादा दुलार से बच्चे बिगड़ जाते हैं और पैरेंट्स के कंट्रोल से बाहर निकल जाते हैं. पैरेंट्स के लिए जितना जरूरी है प्यार-दुलार दिखाना, उतना ही जरूरी है उन्हें सही मूल्यों को सिखाना. पैरेंट्स को कभी भी बहुत ज्यादा ढील नहीं देनी चाहिए और उनकी हर छोटी-बड़ी मांग को पलक झपकते पूरा नहीं करना चाहिए.
10-अपने बच्चों को घर पर सुरक्षित महसूस कराएं-
हर बच्चा अपने पैरेंट्स के पास सुरक्षित महसूस करता है इसलिए घर पर कभी भी ऐसा माहौल ना बनाएं कि वह असुरक्षित महसूस करने लगे. बच्चे अक्सर बहस, और पैरेंट्स के बीच लड़ाई से डरते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो ना केवल आपाक बच्चा बहस करना सीख जाएगा बल्कि उसके अंदर सुरक्षा की भावना भी खत्म हो जाएगी.
11-सुनें, सुनें और सुनें-
अच्छा पैरेंट्स बनने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी बात यही है. हमेशा अपने बच्चों के साथ संवाद कायम करें. उनसे हमेशा बातें करें. उनके डर, भावनाएं और परेशानियों को सुनें और समझें. पैरेंट्स होने का सबसे बड़ा दायित्व है कि आप अपने बच्चे की हर चीज में दिलचस्पी लें और वे क्या कहना चाह रहे हैं, उसमें भी. अगर वह कभी मुसीबत या परेशानी में होगा तो दोस्तों या दूसरे लोगों के पास जाने के बजाए आपके पास आएगा. अगर आप चाहते हैं कि वे आपकी सुनें तो इसके लिए भी जरूरी है कि आप पहले उनकी सुनें.
12-उन पर किसी चीज का दबाव डालने से पहले उन्हें एक्सप्लेन करें-
अधिकतर पैरेंट्स को लगता है कि ये उनका अधिकार है कि वे अपने बच्चों के लिए नियम बनाएं और उनकी सजा भी तय करें. लेकिन आप कई बार यह बात भूल जाते हैं कि आपके बच्चे को भी वजहें जानने का हक है. आप उन पर क्या करें और क्या ना करें की लिस्ट जबरन नहीं थोप सकती हैं. नियमों क्यों जरूरी है, क्या वजह है अगर आप इन चीजों को अपने बच्चों को बताएंगे तो आसानी होगी. नियम बनाते समय एक बार बच्चों की बात भी जरूर सुनें.
सच बोलने के बावजूद भी डांटना-
मान लीजिए कि आपके बच्चे ने कोई
गलत काम किया और फिर खुद आकर अपनी गलती मान ली लेकिन इसके बावजूद आप उसे
डांटते हैं. आप यह भूल जाते हैं कि उसने कम से कम सच बोलने की हिम्मत
जुटाई.
10-आप उसे रास्ता तो दिखाती हैं पर रास्ते पर चलना नहीं-
आपको केवल अपने
बच्चे को सही रास्ता बताकर नहीं छोड़ देना है बल्कि अपने बच्चे के साथ कुछ
कदम चलना भी है. जैसे आप बच्चे को साइकिल चलाने के लिए कुछ दिन हैंडल
थामती हैं, वैसे ही हर एख चीज में पहले उसके साथ कुछ कदम चलें. शब्दों से
ज्यादा आपकी मदद उसके लिए जरूरी है.
अपने बच्चों को पर्याप्त समय दें- अगर आप अपने बच्चों के साथ पर्याप्त समय नहीं दे रहे हैं तो सबसे बड़ी गलती कर रहे हैं. बच्चों और आपके बीच दूरी बनती चली जाती है और आपके बीच की अंडरस्टैंडिंग खत्म होती चली जाती है.