नहाने जाने से पहले गैस और बिजली गीजर से जुड़ी ये गलती न करें वरना हो सकता है हादसा

सर्दियों में गर्म पानी करने के लिए बाथरूम में बिजली के गीजर व गैस गीजर हर कोई इस्तेमाल करता है लेकिन इसमें थोड़ी सी लापरवाही से आपकी जान जोखिम में पड़ सकती है. आइए जानते हैं कि इनको इस्तेमाल करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.

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सर्दियों में गीदर का इस्तेमाल सावधानी के साथ कैसे करें? सर्दियों में गीदर का इस्तेमाल सावधानी के साथ कैसे करें?

उस्मान चौधरी

  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:42 PM IST

सर्दियां शुरू हो गई हैं और अब लोग हाथ मुंह धोने और नहाने के लिए गीजर का इस्तेमाल कर रहे हैं . वहीं, इलेक्ट्रिक गीजर के साथ-साथ अब एलपीजी गीजर का भी चलन बढ़ गया है और ऐसे में लगातार गीजर से होने वाले हादसे भी सामने आ रहे हैं, कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां नहाते समय कोई बेहोश हो जाता है और कई ऐसे मामले भी आए हैं जहां जान तक चली गई है. 

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हमने इस पर मेरठ में गीजर बेचने, रिपेयर और सर्विस करने वाले एक्सपर्ट्स लोगों से बात की कि आखिर इन हादसों से कैसे बचा जा सकता है और एलपीजी गीजर और इलेक्ट्रिक गीजर को किस तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए ,क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.

सबसे पहले हमने बात की मेरठ के रहने वाले हारून से जो की गीजर बेचते हैं, रिपेयर करते हैं और सर्विस देते हैं. उन्होंने बताया कि गीजर से हादसे नहीं होते हैं बल्कि लापरवाही से हादसे सामने आते हैं . इलेक्ट्रिक गीजर के मुकाबले में जो गैस गीजर तुरंत ही गर्म पानी देता है, इसमें पानी स्टोर करने की जरूरत नहीं होती और एक सिलेंडर काफी दिन तक चल जाता है. गैस गीजर को अगर सही से इस्तेमाल किया जाए तो यह बहुत बेहतर है इलेक्ट्रिक गीजर से, लेकिन इसका रखरखाव भी जरूरी है, समय पर इसकी सर्विस होनी चाहिए.

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बहुत सारे लोग ऐसा करते हैं कि सर्दियों में गीजर लगवाते हैं और फिर जब सर्दियां चली जाती हैं तो गीजर को ऐसे ही छोड़ देते हैं और जब दोबारा सर्दी शुरू होती है तो दोबारा से बिना उसकी सर्विस किए ही उसको इस्तेमाल करने लगते हैं. उसमें बहुत सारे कीड़े पतंगे भी जा सकते हैं उसके पाइप भी ब्लॉक हो जाते हैं.

हमेशा ब्रांडेड गैस गीजर इस्तेमाल करना चाहिए. सेल भी हर साल नई डालनी चाहिए. अगर गैस गीजर इस्तेमाल में नहीं आ रहा है तो उसके सेल निकाल कर रख देने चाहिए .सेल भी हमेशा अच्छी कंपनी के ही लगाने चाहिए . उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन आने और जाने के लिए सुविधा होनी चाहिए, बाथरूम बंद नहीं होना चाहिए. जब गैस गीजर चलता है तो उसमें ऊपर से हीट निकलती है जिससे ऑक्सीजन खत्म हो जाती है. गैस गीजर को चलाने पर लगातार आग जलती है और उससे ही पानी गर्म होता है. समय पर सर्विस न करने से हादसे सामने आते हैं जैसे AC की सर्विस हर साल कराई जाती है, ऐसे ही गीजर की सर्विस भी होनी चाहिए . 

उन्होंने गीजर को दिखाते हुए बताया कि कभी भी लंबे पाइप इसमें नहीं लगाए जाने चाहिए. गैस गीजर में सिलेंडर की दूरी ज्यादा नहीं हो. लंबे इस्तेमाल से पाइप भी खराब हो जाते हैं. समय-समय पर पाइप भी बदलना चाहिए. लोग टाइम पर पाइप नहीं बदलते हैं जिससे हादसे हो जाते हैं. गैस गीजर में आग लगने की संभावना बहुत कम होती है क्योंकि उसमें लीकेज होने पर तुरंत गैस बंद हो जाती है, गैस गीजर में हमेशा दम घुटने के मामले ही सामने आते हैं.  उनका कहना है कि हमेशा कंपनी के रेगुलेटर ही इस्तेमाल करने चाहिए जो गैस को गैस गीजर तक पहुंचाते हैं और सरकारी ISI पाइप ही इस्तेमाल करना चाहिए.

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हमेशा हादसे उसे समय होते हैं जब बाथरूम बंद होता है और उसमें हवा आने का कोई रास्ता नहीं होता. जब गीजर चलता है तो ऑक्सीजन खत्म हो जाती है अगर दो वेंटिलेशन हो तो और अच्छा है. गीजर को हो सके तो बाथरूम के बाहर लगाया जाए.

इलेक्ट्रिक गीजर की बात करें तो अब ज्यादातर जो गीजर आ रहे हैं, उसमें करंट की कोई दिक्कत नहीं आती है लेकिन उसकी भी सर्विस होनी जरूरी है. जो पानी का टैंक होता है, उसकी भी सर्विस करानी चाहिए. हमेशा गीजर को बंद कर इस्तेमाल करना चाहिए. गैस गीजर में रेगुलेटर लीक होगा तो आग लग जाती है ,टाइम पर सर्विस नहीं कर रहे हैं तो हादसा हो सकता है. सबसे बड़ी बात ऑक्सीजन के आने-जाने की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.

जब हम किसी चीज से सुविधा ले रहे हैं तो उसके कुछ नेगेटिव पॉइंट्स भी होते हैं जिनको ध्यान में रखना चाहिए. अगर आप सस्ते के मुकाबले कोई अच्छा गीजर ले तो उसमें बहुत ज्यादा कोई रेट में फर्क नहीं है, 1000 रुपए से ₹1200 का फर्क आता है . लोकल गीजर गैस ज्यादा लेता है उससे जीवन को खतरा होता है. कंपनी हमेशा अच्छा सामान रखती है ISI सामान लगती है और सेफ्टी भी उसी में होती है. अगर आग लग जाए तो ऑटोमेटिक गीजर बंद हो जाए, ऐसा होना चाहिए.

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वहीं इलेक्ट्रिक गीजर और गैस गीजर सर्विस करने वाले आरिफ ने बताया कि हमेशा गीजर को नहाने से पहले ऑन करें और जब उसका इस्तेमाल हो तो उसको बंद रखें. गीजर को हमेशा बाथरूम से बाहर लगाना चाहिए. जब तक सर्विस न कराई जाए, तब तक गीजर को इस्तेमाल न किया जाए. इलेक्ट्रिक गीजर को जिस समय इस्तेमाल किया जाए, उसे समय उसका करंट की सप्लाई बंद होनी चाहिए.

वहीं हमने मेरठ के जाने-माने डॉक्टर तनु राज सिरोही से इस बारे में बात की कि आखिर यह हादसे किस वजह से होते हैं. उन्होंने बताया कि अक्सर देखने में मिलता है कि छोटे से बड़े तक इस हादसे का शिकार हो जाते हैं. सबसे बड़ी गलती यह होती है कि गीजर को बाथरूम में लगाया जाता है. नहाते समय उसको चालू रखना भी एक वजह सामने आई है. उसमें से जो गैस निकलती है, वह कार्बन मोनोऑक्साइड कहा जा सकता है ,इससे मिलती-जुलती गैस भी हो सकती है, जो दिमाग के ऊपर असर कर देती है, इसके लक्षण नहीं पता चलते हैं और यह अपनी चपेट में ले लेती है. कोई नहाने में ज्यादा टाइम लेता है तो उसको खुद नहीं पता चला कि कब वह निष्क्रिय हो जाता है, क्योंकि गैस सीधी दिमाग पर असर करती है. उसको पता नहीं चलता और बेहोश हो जाता है.

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अक्सर जब टाइम ज्यादा हो जाता है तो तोड़कर निकालना पड़ता है, इसका उपाय यह है गीजर हमेशा बाहर लगा होना चाहिए. उसके पानी का कनेक्शन ही सिर्फ टॉयलेट या बाथरूम में होना चाहिए. अगर किसी कारणवश बाहर जगह नहीं है नहाते समय उसको बंद रखना चाहिए. अगर कोई बेहोशी की हालत में आता है तो उसको तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचना चाहिए, जिससे उसकी जान बचाई जा सके. ठीक होने की संभावनाएं ज्यादा रहती है ,समय से अगर भाग दौड़ की जाए है तो मरीज को बचाया जा सकता है. गीजर को बाहर ही लगाना चाहिए.

डॉ तनु राज सिरोही ने बताया कि गैस का कंपटीशन हो जाता है कि कौन ज्यादा अब्जॉर्ब होगी और बॉडी की ताकत कार्बन मोनोऑक्साइड लेने की क्षमता कई गुना ज्यादा होती है. ऑक्सीजन इसमें पीछे रह जाती है और वह चली जाती है तो वह दिमाग पर असर करती है, उसकी आवाज तक नहीं निकलती. अक्सर गाड़ी में भी ऐसा होता है जब लोग गाड़ी बंद करके बैठ जाते हैं तो ऐसे हादसे सामने आते हैं.

गाड़ी के अंदर और गीजर चलाते वक्त हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि समय कम लगना चाहिए या उस समय गीजर बंद हो. कार्बन डाई ऑक्साइड और ऑक्सीजन कंपटीशन करती है. कार्बन डाई ऑक्साइड कंपटीशन में कई गुना आगे निकल जाती है, आपको एहसास ही नहीं होगा कि आपके साथ ऐसा हादसा हो गया है. कभी जीवन में पता नहीं चलता है कार्बन डाई ऑक्साइड गैस फेफड़ों में जाने की क्षमता ऑक्सीजन से ज्यादा होती है, 40 से 50 गुना तक ज्यादा होती है. वह अपने आप ही चली जाती है जिससे बेहोश हो जाते हैं.

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नहाते-नहाते लोग बेहोश हो जाते हैं, उसके अंदर उठने तक की क्षमता नहीं होती. वेंटीलेशन हमेशा खुला रहना चाहिए गीजर नहाते वक्त चालू नहीं होना चाहिए और जहां तक हो सके गीजर बाथरूम के बाहर ही लगाना चाहिए. उसका पानी का कनेक्शन ही सिर्फ अंदर होना चाहिए, इन उपायों से ही बचा जा सकता है. इस समय में गैस गीजर की बात ज्यादा कर रहा हूं. नहाने जाने से पहले गीजर ऑन कर दें, पानी को गर्म कर लें और उसको फिर जब इस्तेमाल करें तो उसको डिस्कनेक्ट कर दें. आपको एहतियात जरूर रखनी चाहिए.

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