फास्टिंग के 24 घंटे: शरीर में क्या होता है बदलाव? डॉ. श्रद्धेय कटियार ने बताया

फास्टिंग केवल भूखा रहने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह शरीर को बायोलॉजिकली रिसेट करने का तरीका है. डॉ. श्रद्धेय कटियार ने बताया है कि 24 घंटे की फास्टिंग के दौरान शरीर में क्या-क्या बदलाव आते हैं.

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फास्टिंग शरीर को रिसेट करना का एक तरीका है. (Photo: Pixabay) फास्टिंग शरीर को रिसेट करना का एक तरीका है. (Photo: Pixabay)

आजतक लाइफस्टाइल डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:00 PM IST

अक्सर लोग फास्टिंग को सिर्फ 'भूखा रहना' या कैलोरी कम करना समझते हैं लेकिन मेडिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो यह उससे कहीं बढ़कर है. हाल ही में मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. श्रद्धेय कटियार (MBBS MD, इंटरनल मेडिसिन) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर फास्टिंग के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों को स्टेप-बाय-स्टेप समझाया है. उन्होंने बताया कि फास्टिंग केवल भोजन को छोड़ना नहीं है, बल्कि ये शरीर को बायोलॉजिकली रूप से रिसेट करने की प्रोसेस होती है. डॉ. कटियार ने ये भी बताया कि फास्टिंग से शरीर पर कैसा-कैसा असर होता है. तो आइए समझते हैं.

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फास्टिंग के पहले 1 से 4 घंटे

जैसे ही आप फास्टिंग शुरू करते हैं तो सबसे पहले खून से ग्लूकोज का लेवल कम होना शुरू हो जाता है और इंसुलिन का प्रोडक्शन होने लगता है. ऐसे में शरीर आपके द्वारा खाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट के बजाय एनर्जी के दूसरे सोर्स की तलाश शुरू कर देता है.

चौथे घंटे तक आपके शरीर का 'मेटाबॉलिक स्विच' ऑन होता है यानी शरीर एनर्जी के लिए शुगर (चीनी) पर निर्भरता छोड़ देती है और शरीर में जमे हुए फैट का इस्तेमाल करना शुरू कर देती है.

फास्टिंग के 12 घंटे

फास्टिंग के 12 घंटे पूरे होते ही शरीर में बदलाव की गति तेज हो जाती है. आपके खून में शुगर लेवल काफी कम हो जाता है और शरीर में ग्रोथ हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है. यह हार्मोन न केवल मसल्स को बनाए रखने में मदद करता है बल्कि एंटी-एजिंग (उम्र के असर को कम करना) और फैट बर्निंग में भी अहम भूमिका निभाता है.

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फास्टिंग के 14 से 16 घंटे

यह फास्टिंग का सबसे अच्छा हिस्सा होता है क्योंकि 14-16 घंटों के बीच शरीर में 'ऑटोफैगी' (Autophagy) की प्रक्रिया शुरू होती है. इसका मतलब है कि शरीर की कोशिकाएं अपने अंदर मौजूद खराब और पुराने प्रोटीन्स या डैमेज हिस्सों को खुद ही साफ करने और रीसायकल करने लगती हैं. यह शरीर को गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है.

फास्टिंग के 18 से 20 घंटे

इस दौरान शरीर पूरी तरह से 'फैट बर्निंग मोड' में आ जाता है जिससे लिवर फैट को तोड़कर 'कीटोन्स' (Ketones) बनाने लगता है जो दिमाग और शरीर के लिए एनर्जी का एक बहुत ही साफ और बेहतर सोर्स माने जाते हैं. इससे मेंटल क्लियरिटी बढ़ती है.

फास्टिंग 24 घंटे

जब आप फास्टिंग के 24 घंटे पूरे कर लेते हैं तो शरीर अपने सबसे ऊंचे रिपेयर मोड पर होता है. इस स्थिति में स्टेम सेल रीजेनरेशन (Stem Cell Regeneration) यानी शरीर नई स्टेम सेल्स बनाना शुरू करता है जो पुरानी और बीमार कोशिकाओं की जगह लेती हैं. आंतों की सेहत अच्छी होती है क्योंकि उन्हें आराम मिल चुका होता है. इसके बाद आंतों की परत खुद को रिपेयर करती है जिससे डाइजेशन और इम्युनिटी मजबूत होती है.

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