सुप्रीम कोर्ट अब अपने अहम फैसलों को हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी वेबसाइट पर जारी करने लगी है. इस फैसले की खूब सराहना हो रही है. इसके जरिए सुप्रीम कोर्ट की कोशिश है कि इंसाफ के लिए कतार में खड़े देश के अंतिम नागरिक तक कोर्ट और इसके फैसले की पहुंच सरल की जा सके. यह मुहिम चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने शुरू की है जो कि अब रंग लाने लगी है.
CJI का यह ऐसा कदम है, जो देश की न्यायपालिका को सीधे आम लोगों तक पहुंचाएगा. अब लोग खुद ही अपनी भाषा में फैसले पढ़कर कानूनी प्रक्रिया के भागीदार बन सकेंगे. बता दें कि इस नए कदम के जरिए लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा और लिपि में कोर्ट के फैसलों को पढ़ सकते हैं.
2 हजार से ज्यादा फैसले वेबसाइट पर हुए अपलोड
गणतंत्र दिवस से इस पहल की शुरुआत हुई थी. 74वें गणतंत्र दिवस पर 1000 से ज्यादा फैसलों का अनुवाद अपलोड किया गया, जिसके बाद अब यह सिलसिला काफी आगे बढ़ चुका है. सुप्रीम कोर्ट के पोर्टल eSCR पर सिर्फ हिंदी में अनुवादित महत्वपूर्ण फैसलों की संख्या शनिवार शाम 2000 पार कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट की e-कोर्ट कमेटी के सूत्रों के मुताबिक रविवार शाम तक 550 नए फैसले अपलोड हो गए हैं.
26 जनवरी से हुई शुरुआत
बता दें कि इंसाफ को लेकर देशभर के लोगों की आस न्यायपालिका पर टिकी रहती है. इस बेचैनी और उत्सुकता को महसूस करते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने पिछले हफ्ते ये ऐलान किया था और 26 जनवरी से इस पर काम शुरू हो चुका है. गणतंत्र दिवस और अपने स्थापना दिवस को और यादगार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 जनवरी को एक हजार से ज्यादा फैसलों का 10 भाषाओं में अनुवाद जारी किया था.
इतनी भाषाओं में जारी हुआ अनुवाद
इसमें हिंदी के अलावा ओड़िया, गुजराती, तमिल, असमी, खासी, गारो, पंजाबी, नेपाली और बांग्ला भाषाएं शामिल हैं. धीरे-धीरे सुप्रीम कोर्ट अन्य भाषाओं में भी इसे अपलोड करेगी. सुप्रीम कोर्ट की e-कोर्ट्स कमेटी के मुताबिक अनुवाद के लिए आधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है. लेकिन फैसलों का अनुवाद सही हो, इसके लिए न्यायिक अफसरों की मदद भी ली जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की खुद पीएम मोदी ने भी तारीफ की है. वहीं कानूनी पेशे से जुड़े लोग भी मानते हैं कि इससे आम लोगों के साथ-साथ दूसरों को भी फायदा होगा.
संजय शर्मा