Latest Jokes: जब एक आदमी ने 2 शादियां करने की सोची, हुआ ऐसा हाल कि सुनकर नहीं रुकेगी हंसी!

Latest Funny Viral Jokes: हंसना हमारे लिए बहुत जरूरी है. हंसकर, मुस्कुरा कर भी खुद को स्वस्थ रखा जा सकता है. ऐसे में हम आपके लिए लेकर आये हैं कुछ मज़ेदार चुटकुले जिन्हें पढ़कर आप भी बिना हंसे नहीं रह पाएंगे...

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:04 AM IST

Latest Funny Viral Jokes: हंसने से इंसान का मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं. अगर मन प्रसन्न रहता है तो दिन अच्छा बीतता है और चेहर पर खुशी रहती है. इंसान के अच्छे स्वास्थ्य के लिए हंसना बेहद जरूरी है. अगर हमेशा चिंतित रहते हैं, तो मानसिक तनाव से होने वाली बीमारियों की चेपट में आ सकते हैं. इसलिए हम सभी को हंसते-मुस्कुराते रहना चाहिए जिससे मानसिक तनाव की वजह से होने वाली बीमारियों से बचा जा सके. इसलिए हम आपके लिए मजेदार जोक्स लेकर आए हैं जिन्हें पढ़ने के बाद आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे.

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> सोचा था दो शादियां करूंगा

1 पीटेगी तो दूसरी बचाएगी
रात को सपना देखा, एक ने पकड़ रखा था,
दूसरी पीट रही थी.

लुंगी पहनी देहाती लड़की को पेड़ पर बैठा देख एक आंटी बोली...
वहां क्यों बैठी है?
लड़की-सेब खाने
आंटी-पर यह तो आम का पेड़ है!
लड़की-ओ, आंटी 
सेब लेकर आई हूं.

ऐसे ही मज़ेदार जोक्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

> रोहित कॉलेज से जल्दी घर आ गया..... 
मां: क्या हुआ बेटा, आज जल्दी घर आ गए.
रोहित - हां मां, मैंने एक मक्खी को मार दिया, तो मैडम ने भगा दिया.
मां- क्या? एक मक्खी को मारने पर कॉलेज से भगा दिया.
रोहित - मक्खी मैडम के गाल पर बैठी थी.

> लड़की ने अचानक ही लड़के को थप्पड़.जड़ दिया
लड़का तिलमिला उठा और पूछा- मैंने क्या गलती की?
लड़की - तुम कोई गलती करो, उसके लिए मैं इंतजार थोड़े ही करती रहूंगी...

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> चिंटू दर्जी के पास गया और उससे पूछा- पैंट की सिलाई कितने की है?
दर्जी - 300 रुपए...
चिंटू  - और निक्कर की...?
दर्जी - 100 रुपए...
चिंटू  (कुछ देर सोचकर) - तो फिर निक्कर ही सिल दो, बस लंबाई पैरों तक कर देना...

(डिस्क्लेमरः इस सेक्शन के लिए चुटकुले वॉट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर हो रहे पॉपुलर कंटेंट से लिए गए हैं. इनका मकसद सिर्फ लोगों को थोड़ा... गुदगुदाना है. किसी जाति, धर्म, मत, नस्ल, रंग या लिंग के आधार पर किसी का उपहास उड़ाना, उसे नीचा दिखाना या उसपर टीका-टिप्पणी करना हमारा उद्देश्य बिल्‍कुल भी नहीं है)

 

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