पूरा देश उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के बाहर निकलने का इंतजार कर रहा है. खुद पीएम मोदी इस पूरे रेस्क्यू मिशन का एक एक अपडेट ले रहे हैं. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी खुद टनल में फंसे मजदूरों से बात की है. अब हर कोई यही जानना चाह रहा है कि रेस्क्यू टीम, टनल में फंसे मजदूरों से आखिर कितनी दूर है. दर्जनों देसी-विदेशी एक्सपर्ट सिलक्यारा सुरंग में मजदूरों को बचाने में जुटे हैं. फिर भी सुरंग के अंदर का मलबा हटने का नाम ही नहीं ले रहा.
हर किसी के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर सुरंग में अभियान का आखिरी चरण पूरा होने का नाम क्यों नहीं ले रहा? तो आपको बता दें कि खुशखबरी कभी भी आ सकती है, क्योंकि रेस्क्यू ऑपरेशन एक दम आखिरी पड़ाव में है. दरअसल, बुधवार को दोपहर डेढ़ बजे से 41 मजदूरों तक पहुंचने के लिए 18 मीटर की खुदाई शुरु की गई. लेकिन 1.8 मीटर की ड्रिलिंग के बाद मलबे में सरिया आने से खुदाई रोकनी पड़ गई. इसके लिए दिल्ली से हेलिकॉप्टर के ज़रिए 7 एक्सपर्ट को बुलाया गया. हालांकि रेस्क्यू टीम को अभी कई बाधाएं पार करनी हैं.
सरिया बन रहा सबसे बड़ी बाधा
अब सवाल ये है कि सुरंग की खुदाई में देरी क्यों हो रही है? बार-बार रेस्क्यू अभियान क्यों रोकना पड़ रहा है? आखिर आखिरी चरण को जल्द से जल्द खत्म करने में क्या बाधा आ रही है? तो मजदूरों के जल्द सुरंग से सुरक्षित बाहर आने में बाधा की सबसे बड़ी वजह मलबे में आ रही सरिया है, जिससे मशीन खराब हो गई. बुधवार रात भी ऑगर मशीन के सामने सरिया आ गया था, NDRF की टीम ने रात में ही सरिया काटकर अलग कर दिया था.
वेल्डिंग के कारण मजदूरों के पास हो रही ऑक्सीजन की कमी
जानकारी के मुताबिक हर 6 मीटर के पाइप को दूसरे पाइप से जोड़ने, उसके बाद उसको चालू करना और फिर उसे पुश करने में करीब 4 घंटे लगते हैं. सुरंग में पाइप डालने के दौरान वेल्डिंग किए जाने से सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों तक धुआं जाने लगा था. सुरंग के भीतर ऑक्सीजन कम होने के कारण सांस लेने में परेशानी होने लगी थी. इसके चलते इसे भी ध्यान में रखकर धीरे-धीरे किया जा रहा है.
अब सिर्फ 10 मीटर की खुदाई बाकी
गुरुवार सुबह ड्रिलिंग शुरु हुई और खबर लिखे जाने तक 48.6 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी थी, जबकि कुल 60 मीटर ड्रिलिंग के बाद मजदूरों तक पहुंचा जा सकता है. ऐसे में उम्मीद है कि चंद घंटे में बाकी ड्रिलिंग भी पूरी हो जाएगी, और किसी भी वक्त सुरंग में फंसे 41 मजदूर बाहर आ सकते हैं. गुरुवार को तीन मीटर तक खुदाई की गई. इसके बाद मजदूरों तक पहुंचने के लिए 10 मीटर की खुदाई ही बाकी रही.
ऐसे शुरू हुआ 41 जिंदगी बचाने का रेस्क्यू ऑपरेशन
- 12 नवंबर को मजदूर सुरंग में फंसे. कोई एक्शन प्लान काम नहीं आया.
- 13 नवंबर को सिर्फ मलबा रोकने के लिए कंक्रीट लगाया गया.
- 14 नवंबर को छोटी मशीन से ड्रिलिंग शुरु हुई.
- 15 और 16 नवंबर को ऑगर मशीन मंगवाई गई.
- 17 नवंबर से ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की गई.
- 18 नवंबर को इंदौर से और ऑगर मशीन एयरलिफ्ट की गईं.
- 19 नवंबर को NDRF, SDRF और BRO ने मोर्चा संभाला.
- 20 नवंबर को विदेश से टनलिंग एक्सपर्ट को बुलाया गया.
- 21 नवंबर को मजदूरों तक पहली बार पूरी डाइट पहुंचाई गई.
- 22 नवंबर को वर्टिकल ड्रिलिंग में बड़ी कामयाबी मिली.
- 23 नवंबर को रेस्क्यू टीम मजदूरों के काफी करीब पहुंची.
मजदूरों तक सुरंग में पहुंचेगी डॉक्टरों की टीम
आपको बता दें कि अमेरिकन ऑगर मशीन जैसे ही ड्रिलिंग पूरी करेगी, तो मजदूर पाइप से रेंगकर बाहर आते हुए बाहर निकलेंगे. ऐसे में उनके लिए बाहर स्वास्थ्य व्यवस्था भी पूरी कर दी गई है. सुरंग तक रेस्क्यू पाइप पहुंचने के बाद पहले डॉक्टर मजदूरों के पास जाएंगे. डॉक्टर लोगों को टनल से बाहर निकलने में मदद करेंगे क्योंकि रास्ते में कई नुकीले पत्थर हैं. एक चिंता का कारण ये भी है कि ये मज़दूर बीते 12 दिनों से टनल के भीतर हैं वो फलों को खाकर जी रहे थे, दो दिन पहले ही उन्हें पहली बार गर्म खिचड़ी दी गई है. ये भी संभव है कि उन्हें कमजोरी हो. सुरंग के भीतर तापमान बाहर के मुकाबले गर्म है और बचाव कर रही टीम इस बात को भी ध्यान में रख रही है. मजदूरों की सुरक्षा को लेकर सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. बस सुरंग में मलबे की दीवार गिरना बाकी है.
सीएम धामी ने मजदूरों से की बात
सुरंग में मलबे को हटाने में हो रही देरी से मजदूरों के परिवारों पर क्या गुजर रही होगी ये बताने की जरूरत नहीं है. सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों के हौसले बरकरार रहे इसके लिए भी कोशिश हो रही है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुरंग में फंसे मजदूरों से की बात. उन्होंने अंदर फंसे मजदूर गबर सिंह से फोन पर बात कर उनका हौसला बढ़ाया. बताया कि उन्हें पूरी तरह सुरक्षित बाहर लाने के लिए यहां पूरी टीम कोशिश कर रही है.
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