धधक रहे उत्तराखंड के जंगल... अल्मोड़ा के वन्य क्षेत्रों में लगी भीषण आग, सैकड़ों पेड़ जलकर खाक

हैरानी की बात यह है कि कई घंटे बीत जाने के बावजूद आग पर काबू पाने की कोई ठोस कोशिश नहीं की गई है और जंगल अभी भी धधक रहे हैं. गर्मियों की शुरुआत होते ही पहाड़ों के चीड़ के जंगल आग की चपेट में आने लगते हैं. हर साल जंगल में लगने वाली आग की घटनाएं लाखों पेड़ों को निगल जाती हैं, जिससे करोड़ों की वन संपदा बर्बाद हो जाती है.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

aajtak.in

  • देहरादून,
  • 25 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 4:21 AM IST

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की द्वाराहाट तहसील में तल्ली मिरई और किरौली के बीच घने जंगलों में भीषण आग लग गई है, जिससे सैकड़ों पेड़ जलकर खाक हो गए हैं. आग इतनी भयानक है कि इसकी लपटें दूर-दूर से साफ दिखाई दे रही हैं. 

अभी भी धधक रहे जंगल

हैरानी की बात यह है कि कई घंटे बीत जाने के बावजूद आग पर काबू पाने की कोई ठोस कोशिश नहीं की गई है और जंगल अभी भी धधक रहे हैं. गर्मियों की शुरुआत होते ही पहाड़ों के चीड़ के जंगल आग की चपेट में आने लगते हैं. 

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हर साल जंगल में लगने वाली आग की घटनाएं लाखों पेड़ों को निगल जाती हैं, जिससे करोड़ों की वन संपदा बर्बाद हो जाती है. इसके साथ ही हजारों वन्य जीवों का आशियाना उजड़ जाता है या उनकी जान चली जाती है.

पिछले साल कई वन्य क्षेत्रों में लगी थी भयानक आग

पिछले साल पहाड़ों पर आग लगने की घटना से लाखों की वन संपदा जल कर खाक हो गई थी. कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ में सबसे अधिक आग लगने की घटनाएं सामने आई थीं. इसके अलावा अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर जैसे जिलों के कई जंगली क्षेत्र भी आग की चपेट में आए थे.

वहीं गढ़वाल मंडल की बात करें तो यहां नरेंद्र नगर, उत्तरकाशी, मसूरी, कोटद्वार, टिहरी गढ़वाल, गोपेश्वर, रूद्रप्रयाग जैसे कई वन्य क्षेत्र आग की चपेट आ गए थे. उत्तराखंड वन विभाग के मुताबिक, आग लगने से 749.6375 रिजर्व फॉरेस्ट एरिया (हेक्टेयर) प्रभावित हुआ था.

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(इनपुट: संजय सिंह)

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