यूपी: 10 दिन में तीन आंदोलन, सड़क पर सपाई करते नजर आ रहे संघर्ष

उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार को घेरने की कवायद शुरू कर दी है. हाल के दिनों में सपा ने जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरकर संघर्ष का रास्ता अख्तियार किया है. जिसके जरिए एक तरफ बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश में है तो दूसरी तरफ इसे अपने खोए हुए जनाधार को वापस लाने का प्रयास माना जा रहा है. 

Advertisement
समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता सड़क पर प्रदर्शन करते हुए समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता सड़क पर प्रदर्शन करते हुए

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST
  • सपा ने छात्रों की फीस माफी को लेकर दिया धरना
  • रोजगार के मुद्दे पर सपा का 9 सितंबर को प्रदर्शन
  • छात्रसभा इन दिनों हर रोज सड़क पर है

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण और लाकडाउन के संकट का बादल छटते ही राजनीतिक दलों ने अपनी सक्रियता बढ़ाना शुरू कर दिया है. सूबे की मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार को घेरने की कवायद शुरू कर दी है. हाल के दिनों में सपा ने जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरकर संघर्ष का रास्ता अख्तियार किया है, जिसके जरिए एक तरफ बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश है तो दूसरी तरफ इसे खोए हुए जनाधार को वापस लाने का प्रयास माना जा रहा है. 

Advertisement

अखिलेश यादव सोशल मीडिया के जरिए केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार को नियमित रूप से निशाने पर ले रहे हैं. हाल ही में उन्होंने सपा के संगठनात्मक बदलाव किया है और लगातार जिला अध्यक्षों की नियुक्त कर रहे हैं. इसके अलावा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वो अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क भी बनाए रख रहे हैं. वहीं, उन्होंने सपा के छात्र और युवजन संगठनों को सूबे की सड़क पर सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए उतार दिया है. 

सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आह्वान पर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने योगी सरकार को घेरने का अब कोई मौका नहीं गंवा रहे हैं. कोरोना काल में रोजगार का नुकसान और नीट-जेईई पर छात्रों-युवा के गुस्से को सपा ने बीजेपी सरकार के खिलाफ एक सियासी हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर कर दिया है. पिछले दस दिनों के अंदर सपा के कार्यकर्ता हर रोज किसी न किसी जनहित से जुडे़ मुद्दे पर योगी सरकार के खिलाफ हल्ला बोले रहे हैं. 

Advertisement

सपा के युवा कार्यकर्ताओं ने सोमवार को बेहाल किसान, महंगी शिक्षा, बेरोजगारी, निजीकरण, भ्रष्टाचार और नष्ट रोजगार, आरक्षण पर वार और यूपी में बीएड प्रवेश परीक्षा में दलित छात्रों के निशुल्क प्रवेश पर रोक मुद्दे पर योगी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर धरना देने के साथ-साथ जिला कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देने का काम किया. हालांकि, सपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच टकराव भी देखने को मिला. सूबे में कई जिलों में धरने पर बैठे सपा कार्यकर्ता को उठाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया और उन्हें गिरफ्तार किया. 

दरअसल, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में दो साल से कम का समय बचा हुआ है. ऐसे में सूबे की योगी सरकार को सपा ने आक्रामक रूप से घेरने की रणनीति बनाई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस बात को बेहतर तरीके से समझते हैं कि बिना सड़क पर संघर्ष किए हुए सत्ता में वापसी का रास्ता नहीं तलाश किया जा सकता है, क्योंकि कांग्रेस इसी संघर्ष के जरिए सूबे में अपनी सियासी जमीन बनाने में जुटी है. 

सपा के छात्र सभा के अध्यक्ष दिग्विजय सिंहदेव ने बताया कि कोरोना काल में अनलॉक लगने के बाद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 25 जुलाई को छात्रों की फीस के मुद्दे पर धरना प्रदर्शन किया था. इसके बाद सपा के चारो विंग छात्रसभा, युवजन सभा, लोहिया वाहिनी और मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के विधानसभा के सामने धरना दिया. हाल ही में 26 और 31 अगस्त को सपा के छात्र सभा ने नीट-जेईई की परीक्षा को लेकर राजभवन के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान सपा के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आठ छात्र नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया था.  

Advertisement

दिग्विजय सिंह कहते हैं कि सपा ने बेरोजगारी के मुद्दा पर 9 सितंबर को रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घर की लाइट बंद कर मोमबत्तियां जलाने के अभियान को प्रदेश में सपोर्ट किया था. इस दौरान सपा के 13 नेताओं को धरना देने के चलते पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस दौरान छात्रसभा के नेता अमित यादव पुलिस की लाठीचार्ज में घायल भी हो गए थे. उन्होंने कहा कि सपा मजबूती के साथ विपक्ष की भूमिका को निभा रही है. हम सिर्फ धरना करने के लिए पुलिस की लाठियां भी खा रहे हैं, लेकिन हम अपने पीछे हटने वाले नहीं है. जनता के लिए आवाज उठाने का काम सपा करती रहेगी. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement