उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने एक बड़ा कारनामा किया है. डॉक्टरों ने एक लड़के के अंदर मिले यूट्रस और ओवरी को बाहर निकाला. केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के सर्जन डॉक्टर विश्वजीत सिंह आजतक से खास बातचीत में बताया कि 21 साल का एक पेशेंट उनके पास आया था. बचपन से ही उसके माता-पिता ने उसे मेल चाइल्ड के तौर पर पाला था. लेकिन जब वह बड़ा हुआ तो उसके सेक्सुअल ऑर्गन के अंदर कुछ दिक्कतें देखने को मिली.
पेशेंट के गुप्तांग के स्कोटम में एक टेस्टिस (Testis) था और एक टेस्टिस नहीं था. साथ ही लिंग के अंदर पेशाब का रास्ता नहीं बना था. इसे प्रोक्सेल हाइपोडियस कहते हैं. डॉक्टर विश्वजीत ने बताया कि मरीज के माता-पिता ने जब अपने बच्चे की किसी अस्पताल में जांच कराई तो अल्ट्रासाउंड के जरिए उसमें यूट्रस और ओवरी पाए गए इसके बाद मरीज के माता-पिता लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टरों को दिखाया और फिर एसजीपीजीआई में भी संपर्क किया.
माता-पिता ने बचपन से मेल चाइल्ड के तौर पर पाला था
बाद में परिजनों ने केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग में डॉक्टरों को दिखाया.उसके बाद पेशेंट की डायग्नोसिस एंडोक्रिनोलोजिस्ट,यूरोलॉजिस्ट और रेडियोलॉजिस्ट के माध्यम से कराई गई और पाया गया कि मरीज के अंदर अनुवांशिक रूप से 46 एक्स एक्स(XX) क्रोमोजोम पाए गए. जिसका मतलब है कि वह जेनेटिकली फीमेल था लेकिन उसके माता-पिता ने बचपन से ही उसे मेल चाइल्ड के रूप में पाला था. जिसके बाद वह मानसिक और शारीरिक रूप से पुरुष की तरह ही पला बढ़ा इसीलिए मरीज चाहता था कि उसके अंदर जो महिलाओं के भाग पाए गए हैं उसे पूर्ण रूप से सर्जरी के जरिए हटा दिया जाए.
मरीज में काफी अविकसित मेल पार्ट्स थे
पेशेंट में मेल के अविकसित पार्ट्स थे लिंग में तनाव भी पैदा होता था. जिसे पूरी तरह से विकसित किया गया. क्योंकि वह बचपन से ही पुरुष के तौर पर पला बढ़ा था. उसके बाद हम लोगों ने उसकी एंडोस्कोपी जांच कराई तो हमें उसमें एक और चीज देखने को मिली जिसे ब्लाइंड पाउच कहते हैं यानी कि,अविकसित वेजाइना जोकि यूट्रस और ओवरी से इंटरकनेक्टेड थे. इन सभी बातों को परिजनों को बताया गया तो परिजनों ने सर्जरी पर सहमति जताई और फिर हम लोग मरीज की गोपनीयता बढ़ते हुए उसके अंदर महिलाओं के मिले अविकसित भाग को जैसे फलोंपिन ट्यूब,वजाइना यूट्रस,ब्लाइंड पाउच और ओबरी को ऑपरेशन के माध्यम से हटा दिया उसके बाद फ़ैलस रिकंस्ट्रक्शन के जरिए अनडेवेलोपेड लिंग को ग्लैनो प्लास्टि और ट्यूब कंस्ट्रक्शन के जरिए उसे सही कर दिया और ऑपरेशन सफल रहा.
इस जटिल सर्जरी को करने में 4 घंटे लगे
प्रोफेसर सिंह ने आगे बताया कि ऐसे मरीज लाखों में एक ही देखने को मिलता है. मरीज के एक टेस्टिस के एफएनएसी की जांच कराई तो उसमें शुक्राणु मिले हैं. ऑपरेशन करने में साढ़े 4 घंटे लगे क्योंकि उसमें शरीर के पार्ट्स को हाथों के जरिए निर्माण किया जाता है. ऑपरेशन सफल रहा और मरीज पूरी तरीके से स्वस्थ है और उसे डिस्चार्ज भी कर दिया गया है.
सत्यम मिश्रा