कोरोना काल में कई बिजनेस ठप पड़ चुके हैं. लाखों लोगों ने अपनी नौकरी से हाथ धो दिया. इस महमारी ने ऐसे दिन दिखा दिए हैं कि अब कई लोग पाई-पाई के लिए मोहताज नजर आ रहे हैं. किसी के पास खाने के पैसे नहीं हैं तो कोई कई महीनों से बेरोजगार बैठा है. कोई अपने बच्चों की स्कूल फीस जमा नहीं कर पा रहा है तो कोई अपने रिश्तेदार का कोरोना के दौर में इलाज नहीं करवा पा रहा है. कष्ट कई हैं, लेकिन समाधान कोई मिलता नहीं दिख रहा.
लॉकडाउन में पाई-पाई को मोहताज कलाकार
इस समय यूपी के भी कई ऐसे दिग्गज कलाकार हैं जो हुनर के मामले में तो किसी से कम नहीं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति हर बीतते दिन के साथ बदतर होती जा रही है. आलमबाग के रहने वाले सत्यम शिवम सुंदरम सिंह पिछले 40 वर्षों से तबला वादक हैं. यहीं नहीं वे नाल भी बजाते हैं.
उन्होंने देश-विदेश में अपनी इस प्रतिभा से लोगों का मनोरंजन किया और खूब नाम भी कमाया है. लेकिन आज हालात यह है कि पैसों की कमी की वजह से वे अपने भाई का समय रहते इलाज भी नहीं करवा पाए हैं. नतीजा ये हुआ कि उनके भाई कोरोना से जंग हार गए और इस दुनिया को हमेशा के लिए छोड़कर चले गए. घर में खाने को दाना भी नहीं है और काम तो पूरी तरीके से बंद है. आत्मसम्मान इतना है कि किसी से मांग भी नहीं सकते.
लखनऊ के विराटनगर में ही रहने वाले शोभा नाथ चौरसिया भी एक काबिल म्यूजिशियन हैं. वे संगीत में कई वाद्य यंत्रों से साइड रिदम देने का काम करते हैं. लेकिन अब कोरोना संक्रमण और इस लॉकडाउन ने उनके परिवार को तोड़ कर रख दिया है. उनके बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं और घर में खाने के लाले पड़े हुए हैं.
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ना काम की व्यवस्था ना खाने का इंतजाम
लखनऊ के आशियाना क्षेत्र में रहने वाले चंद्रेश पांडे हारमोनियम पर मक्खन की तरह उंगलियां चलाते हैं. उनकी धुन पर लोगों का झूमना हमेशा ही लाजिमी रहता है. उन्होंने कई बड़े शो में हिस्सा लिया है, कई बड़े प्लेटफॉर्म पर अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाया है. लेकिन अब कोरोना काल में वे भी बेरोजगारी की कगार पर आ गए हैं. पैसे कमाने हैं, इसलिए छोटे-मोटे प्रोग्राम में भी जाना शुरू कर दिया है. लेकिन स्थिति फिर भी नहीं सुधर पा रही है. वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और मदद करने के लिए कोई नहीं दिख रहा है.
आशीष श्रीवास्तव