वाराणसी: मरीज को बेहोश किए बिना की गई ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी, डॉक्टरों ने वजह बताई

वाराणसी के एमपीएमएमसीसी अस्पताल में एक मरीज की ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी की गई है. लेकिन सर्जरी करने के दौरान मरीज को बेहोश नहीं किया गया था. डॉक्टरों ने सर्जरी करने के दौरान लगातार मरीज से बातचीत भी की. डॉक्टरों का कहना है कि ब्रेन के जिस हिस्से की सर्जरी होनी थी उसके लिए मरीज का सचेत रहना जरूरी था.

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मरीज के साथ डॉक्टरों की टीम मरीज के साथ डॉक्टरों की टीम

रोशन जायसवाल

  • वाराणसी,
  • 28 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 12:03 AM IST
  • बेहोश किए बिना मरीज की हुई ब्रेन सर्जरी
  • मरीज से बात करते रहे डॉक्टर

वाराणसी के महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र (MPMMCC) में डॉक्टरों ने एक अनोखी सर्जरी की है. इसमें मरीज को बेहोश किए बगैर उसके ब्रेन से ट्यूमर को निकाला गया. यह इस अस्पताल की इस तरह की पहली सर्जरी है. सर्जरी के बाद से मरीज की स्थिति स्थिर है और उसे जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी. अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि शल्य चिकित्सा की भाषा में इस तरह की सर्जरी को ''अवेक क्रेनियोटोमी'' (Awake Craniotomy) कहा जाता है. जिसका साधारण शब्दों में अर्थ है ''सचेत अवस्था में ब्रेन सर्जरी को अंजाम देना''.

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एमपीएमएमसीसी के न्यूरो सर्जरी विभाग की असिस्टेंट प्रो. डॉ. शुभी दुबे ने बताया कि हाल ही में अस्पताल में 25 वर्षीय एक मरीज आया था. जिसकी जांच किए जाने पर ब्रेन ट्य़ूमर की पुष्टि हुई थी. ट्यूमर ब्रेन के ऐसे हिस्से में था, जिसे निकालने के लिए मरीज को सचेत अवस्था में रखना जरूरी था.

सभी जरूरी जांच के बाद बुधवार को मरीज की सर्जरी की गई. लगभग 1.30 घंटे तक चली इस सर्जरी के दौरान बीच-बीच में सर्जरी की टीम मरीज से बातचीत करती रही ताकि यह समझा जा सके कि ट्यूमर निकालने की प्रक्रिया के दौरान मरीज को किसी तरह की क्षति न हुई हो. हालांकि, मरीज को सर्जरी के दौरान दर्द न हो इसलिए सिर के हिस्से में ''लोकल एनेस्थीसिया'' दिया गया था.

डॉ. शुभी ने आगे बताया कि इस तरह की सर्जरी एमपीएमएमसीसी में पहली बार की गई है. साथ ही उत्तर प्रदेश में इस तरह की सर्जरी की सुविधा कुछ ही अस्पतालों में उपलब्ध है.

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इसलिए नहीं किया गया बेहोश

डॉ. शुभी ने बताया कि मरीज के ब्रेन के जिस हिस्से में ट्यूमर था उसके पास ही मरीज के बातचीत समझने, महसूस करने, हाथ पांव के ताकत, और गणितीय क्षमता का केंन्द्र था. हमें यह सुनिश्चित करना था कि सर्जरी के दौरान ब्रेन के इन हिस्सों पर कोई असर न पड़े. अगर मरीज को बेहोश करके यह सर्जरी की जाती तो इन सेंटर्स पर पड़ने वाले असर का एहसास हमें नहीं होता और संभवतः जीवनभर के लिए मरीज की सोचने-समझने की क्षमता में कमी हो सकती थी. यही कारण था कि हमने अवेक क्रेनियोटोमी (Awake Craniotomy) करने का फैसला किया.

उपलब्धि पर निदेशक ने जताई खुशी

अस्पताल के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने इस उपलब्धि पर सर्जरी में शामिल एनेस्थीसिया विभाग के असिस्टेंट प्रो. मोनोतोष प्रमाणिक, न्यूरो सर्जरी विभाग की डॉ. शुभी दुबे सहित पूरी टीम को बधाई दी और कहा कि अस्पताल आने वाले सभी कैंसर मरीज को आधुनिक और गुणवत्तापरक इलाज सुनिश्चि हो यह हम सभी की जिम्मेदारी है. पिछले कुछ महीनों में कैंसर मरीजों के लिए कई नई सुविधाओं की शुरुआत हुई है, जो आने वाले समय में भी होती रहेगी.

 

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