सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था के बीच मोदी सरकार के लिए खेती बनी नई चिंता

कृषि मंत्रालय ने इस साल खरीफ की फसल के लिए जो अनुमान जारी किया है उसके मुताबिक इस साल उत्पादन में कमी हो सकती है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

बालकृष्ण

  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:14 AM IST

धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था और नौकरियों में कमी से जूझ रही मोदी सरकार के लिए अब चिंता की एक और वजह है. कृषि मंत्रालय ने इस साल खरीफ की फसल के लिए जो अनुमान जारी किया है उसके मुताबिक इस साल उत्पादन में कमी हो सकती है.

कृषि मंत्रालय का अनुमान है की बारिश की कमी की वजह से खरीफ की फसल की बुवाई कम हुई और इससे उत्पादन 5 फ़ीसदी तक गिर सकता है. कृषि मंत्रालय ने साल 2017-18 के लिए खरीफ की फसल के बारे में अनुमान जारी किया है.

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जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक इस साल चावल और दाल जैसे ख़रीफ़ फ़सलों के उत्पादन में क़रीब 38.6 लाख टन कमी की आशंका है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में कम बारिश की वजह से सूखे जैसी स्थिति बनी और चावल और दाल की बुआई कम हो पाई.

पिछले साल यानी 2016 -17 में ख़रीफ़ फ़सलों का उत्पादन क़रीब 13.85 करोड़ टन हुआ था, जो देश में आजतक का रिकॉर्ड उत्पादन था. 2017 -18 में ख़रीफ़ का कुल उत्पादन 13.46 करोड़ टन रहने की उम्मीद है. कम बारिश का असर चावल के उत्पादन में भी पड़ेगा. अनुमान के मुताबिक इस साल पिछले साल के मुकाबले चावल का उत्पादन 20 लाख टन कम हो सकता है. साल 2016 -17 में चावल का उत्पादन 9.64 करोड़ टन हुआ था वहीं इस वर्ष इसका उत्पादन 9.44 करोड़ टन रहने की संभावना है.  

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इसी तरह अरहर दाल के उत्पादन में गिरावट की भी आशंका है.  2016 -17 में जहां अरहर दाल का उत्पादन रिकॉर्ड 47.8 लाख टन हुआ था, वहीं इस साल इसमें ज़बर्दस्त कमी आने का अंदेशा है. 2017 -18 में अरहर दाल का उत्पादन क़रीब 40 लाख टन ही रहने की आशंका है, जबकि सरकार ने लक्ष्य 42.5 लाख टन उत्पादन का रखा था. लेकिन सरकार के लिए राहत की बात सिर्फ इतनी है कि देश में चावल का पर्याप्त भंडार होने के चलते इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना फ़िलहाल नहीं है.

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