सुप्रीम कोर्ट की हालिया सख्ती का असर पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों पर साफ तौर पर दिखाई देने लगा है. पिछले हफ्ते के दौरान पंजाब सरकार ने पराली जलाने की 27 घटनाओं को रिकॉर्ड किया और संबंधित किसानों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया. इसके साथ ही 14 किसानों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है. यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद की गई है.
दरअसल, 17 सितंबर को चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने पंजाब सरकार से कड़ी टिप्पणी की थी कि कई किसान सरकारी आदेश का उल्लंघन करके पराली जला रहे हैं, और केवल जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा. पीठ ने स्पष्ट किया कि किसान अन्नदाता और अन्न उत्पादक हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे पर्यावरण और जनजीवन के प्रति लापरवाह हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को पर्यावरण और आम जनता के स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदार और जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM), सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सर्दियों से पहले वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सख्त और समयबद्ध कदम उठाए जाएं. कोर्ट ने चेताया कि प्रदूषण स्तर हर साल सर्दियों में खतरनाक रूप से बढ़ जाता है, इसलिए कार्रवाई में कोई ढील नहीं दी जा सकती.
पंजाब सरकार ने पराली जलाने की वीडियोग्राफी 15 सितंबर से शुरू की है, और यह प्रक्रिया 30 नवंबर तक जारी रहेगी. रिकॉर्डिंग और जांच के आधार पर 27 लोगों को चिह्नित करते हुए 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इनमें से 14 किसानों के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है.
सरकार का कहना है कि अब सख्ती और निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिले. अधिकारियों का कहना है कि वीडियो रिकॉर्डिंग और नियमित निरीक्षण से किसानों को चेतावनी देने और कानून का पालन करवाने में मदद मिलेगी.
पंजाब में पिछले साल भी पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थीं, लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और तकनीक का उपयोग (वीडियोग्राफी) करने से सरकार ने प्रभावी कदम उठाए हैं. अब यह देखा जाएगा कि आने वाले हफ्तों में किसानों का व्यवहार और वायु गुणवत्ता पर इसका असर कैसा होता है.
संजय शर्मा