हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में गुरुवार को पड़ोसी पंजाब की एक नीति का मुद्दा उठा. हरियाणा विधानसभा में चर्चा किसी नए वादे या कागजी बहस की नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली पंजाब सरकार की एक नीति पर हुई. पंजाब सरकार की यह नीति है- जिसका खेत, उसकी रेत. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र का एक वीडियो ट्वीट किया है.
अनुराग ढांडा ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि हरियाणा विधानसभा में पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार की शानदार नीतियों की गूंज सुनाई दी. उन्होंने कहा है कि कई नेताओं ने हरियाणा विधानसभा के भीतर मांग उठाई कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार की ओर से किसानों की मदद के लिए लागू की गई ‘जिसका खेत, उसकी रेत’ नीति को हरियाणा में भी लागू किया जाना चाहिए.
अनुराग ढांडा के इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लिखा कि यह गर्व की बात है. आज हरियाणा विधानसभा में भी पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के जनहितकारी कामों की चर्चा हो रही है. उन्होंने कहा कि भगवंत मान की सरकार की ‘जिसका खेत, उसकी रेत’ नीति ने पंजाब के किसानों को उनका हक दिया और रेत माफिया पर लगाम लगाई.
अरविंद केजरीवाल ने साफ शब्दों में कहा कि अच्छी नीतियां सीमाएं नहीं देखतीं और अब दूसरे राज्य भी पंजाब मॉडल अपनाने की बात कर रहे हैं. अरविंद केजरीवाल के इसी ट्वीट को पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान ने भी रीट्वीट किया, जिसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि पंजाब सरकार अपने किसान हितैषी फैसलों पर पूरी तरह से आश्वस्त है और उसे देश के सामने एक मॉडल के रूप में पेश कर रही है.
पंजाब में बाढ़ के बाद खेतों में जमा रेत को किसान की संपत्ति मानते हुए सरकार ने किसानों को उसे हटाने और बेचने की अनुमति दी. इससे किसान अपने खेत साफ कर पाए, फसल की तैयारी कर सके और अतिरिक्त आमदनी भी अर्जित की. इस नीति से रेत की कीमतों में 30–35 प्रतिशत तक की कमी आई और अवैध खनन पर भी लगाम लगा. आम आदमी पार्टी का दावा है कि पंजाब सरकार का मशीनरी उपलब्ध कराना यह दिखाता है कि हमारी सरकार सिर्फ घोषणाएं नहीं करती, जमीन पर उतरकर काम भी करती है.
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दूसरी ओर, हरियाणा में हालात अलग हैं. यमुनानगर, अंबाला, करनाल, पानीपत, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा जैसे जिलों में बाढ़ के कारण खेतों में भारी मात्रा में रेत और गाद जमा है. दिसंबर 2025 तक भी कई खेत, खेती के लायक नहीं बन पाए हैं और किसान रबी की बुआई में पिछड़ रहे हैं. इसके बावजूद हरियाणा सरकार नियम-कानून का हवाला देकर किसानों को राहत देने से बचती नजर आ रही है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि जब पंजाब सरकार समाधान निकाल सकती है, तो हरियाणा सरकार क्यों नहीं.
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आम आदमी पार्टी का कहना है कि यह मुद्दा अब सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि किसानों के हक और सम्मान का बन चुका है. पंजाब मॉडल ने यह साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति हो तो प्राकृतिक आपदा के समय भी किसान को मजबूत किया जा सकता है. हरियाणा विधानसभा में उठी इस मांग और उस पर केजरीवाल और भगवंत मान की प्रतिक्रिया को लेकर आम आदमी पार्टी का कहना है कि पंजाब सरकार की किसान हितैषी नीतियां अब दूसरे राज्यों के लिए भी रास्ता दिखाने का काम कर रही हैं.
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