दिल्ली की नई BJP सरकार को सत्ता में आए लगभग तीन महीने हो चुके हैं, फिर भी नौकरशाहों का बड़े स्तर पर फेरबदल नहीं किया गया है. जबकि फरवरी में सरकार बनने के बाद से ही सीनियर अधिकारियों के बीच बड़े बदलावों को लेकर अटकलें चल रही थी, लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक कोई बड़ा फेरबदल नहीं हुआ है.
वहीं, पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के दौरान राजनीतिक माहौल को देखते हुए ये देरी खास तौर पर दिलचस्प है, क्योंकि AAP सरकार अक्सर नौकरशाही मशीनरी पर स्वतंत्र रूप से काम करने का आरोप लगाती थी. BJP के सत्ता में आने के साथ, ये उम्मीद थी कि नई सरकार ब्यूरोक्रेसी को अपनी प्राथमिकताओं के अनुरूप ढालने के लिए जल्द कदम उठाएगी. समय पर फेरबदल से सरकार को प्रमुख प्रशासनिक पदों पर नियंत्रण मजबूत करने और नीति कार्यान्वयन में सुधार करने में मदद मिल सकती थी.
देरी के पीछे क्या कारण है?
दिल्ली सरकार के प्रशासनिक हलकों में शीर्ष अधिकारियों के फेरबदल को लेकर काफी चर्चा है, लेकिन इस देरी के कारण स्पष्ट नहीं हैं. इस संबंध में आजतक से बात करने वाले ब्यूरोक्रेटिक सूत्रों के अनुसार, रेखा गुप्ता के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के गठन ने कई सीनियर ब्यूरोक्रेट्स के राजधानी में वापस लौटने की उम्मीद जगाई है जो कई सालों से बाहर हैं. दिल्ली की ओर लौटने वाले अधिकारियों के एक लंबी लिस्ट है.
उन्होंने आगे कहा कि इस स्थिति में केंद्र सरकार को सावधानीपूर्वक तय करना होगा कि किसको वापस बुलाया जाए और किसका ट्रांसफर किया जाए. नई सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने पूर्ववर्ती सरकार से अलग तरीके से काम करने का इरादा रखती है.
सूत्रों ने ये भी कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों ही नौकरशाहों के पोर्टफोलियो और ट्रैक रिकॉर्ड की बारीकी से जांच कर रहे हैं, ताकि उन अधिकारियों की पहचान की जा सके जो विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव और विकास लाने की असाधारण क्षमता रखते हों. जोर उन अधिकारियों की नियुक्ति पर है जिनमें नेतृत्व क्षमता, प्रशासनिक दक्षता और जनकल्याण के प्रति प्रतिबद्धता हों.
'अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले अधिकारियों...'
दिल्ली सरकार शहर के प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले अधिकारियों को नियुक्त करने की इच्छुक है. हालांकि, अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग में चल रही देरी सरकार के नियमित कामकाज को तेजी से प्रभावित कर रही है. वर्तमान में कई अधिकारी महत्वपूर्ण विभागों के अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं, एक अस्थायी व्यवस्था जो लंबे समय तक टिकाऊ नहीं हो सकती है.
मानसून और अन्य चुनौतीपूर्ण मौसमों के करीब आने के साथ, समय पर प्रशासनिक फेरबदल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. अधिकारियों को उनके निर्धारित पदों पर रखने में देरी से परिचालन अक्षमता हो सकती है और बाढ़, बुनियादी ढांचे की मरम्मत और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं जैसी मौसमी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से जवाब देने की सरकार की क्षमता में बाधा आ सकती है.
सरकार के सूत्रों से मिली रिपोर्ट से चिंता और बढ़ गई है कि आबकारी और जीएसटी जैसे प्रमुख राजस्व-उत्पादक विभागों में कई वरिष्ठ स्तर के पद खाली हैं या अस्थायी आधार पर भरे जा रहे हैं.
इस तरह की अनियमितताएं सरकार के राजस्व संग्रह प्रयासों को सीधे प्रभावित करती हैं.सरकार की विकास योजनाओं और कल्याण कार्यक्रमों के वित्तपोषण के लिए कुशल राजस्व संग्रह महत्वपूर्ण है. इन विभागों में सक्षम नेतृत्व के बिना, सरकार को संसाधन जुटाने और अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में संघर्ष करना पड़ सकता है.
कुमार कुणाल