तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने राज्य सरकार के 10 जरूरी बिलों को रोके जाने को अवैध बताते हुए राज्यपाल आरएन रवि को फटकार लगाई है.
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास ऐसा कोई विवेकाधिकार नहीं है. उन्हें मंत्रिपरिषद की सहायता और उनकी सलाह पर ही कार्रवाई करनी होती है.
राज्यपाल आरएन रवि की गतिविधियों को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक समयसीमा भी निर्धारित की, जिसके तहत राज्यपालों को विधानसभाओं से पारित बिलों पर कार्रवाई करनी होगी.
अदालत ने कहा कि राज्यपाल को किसी भी तरह के बिल रोकने या उसे राष्ट्रपति के पास भेजने का काम मंत्रिपरिषद की सलाह पर एक महीने के भीतर करना होगा. अगर विधानसभा बिल को दोबारा पारित करती है तो राज्यपाल को एक महीने के भीतर इसे मंजूरी देनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को एक दोस्त, दार्शनिक और राह दिखाने वाले की तरह होना चाहिए. आप संविधान की शपथ लेते हैं. आप किसी राजनीतिक दल की तरफ से काम नहीं कर सकते. आपको उत्प्रेरक बनना चाहिए, अवरोधक नहीं. राज्यपाल को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई बाधा उत्पन्न नहीं हो.
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उन्होंने विधानसभा की ओर से पारित 10 विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे जाने से रोक दिया था. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह उनकी संवैधानिक शक्तियों से परे था. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के इस फैसले को गैरकानूनी और त्रुटिपूर्ण बताया.
कोर्ट ने कहा है कि विधानसभा में दूसरी बार पेश होने के बाद यह समझा जाएगा कि इस विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है. अदालत ने कहा कि राज्यपाल के पास ऐसे अधिकार नहीं हैं कि वह विधेयकों को रोक ले और उस पर कोई फैसला नहीं करे.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बड़ी जीत बताया. उन्होंने कहा कि यह फैसला सिर्फ तमिलनाडु के लिए ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों के लिए बड़ी जीत है. तमिलनाडु ने राज्य की स्वायत्तता और डीएमके की विचारधारा के लिए लड़ाई लड़ी. तमिलनाडु लड़ेगा और तमिलनाडु जीतेगा.
बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने विशेष सत्र में इन बिलों को पारित किया था. राज्यपाल आरएन रवि ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पारित 12 में से 10 बिलों को 13 नवंबर 2023 को बिना कारण बताए विधानसभा में लौटा दिया था और दो बिलों को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था. इसके बाद 18 नवंबर को तमिलनाडु विधानसभा के विशेष सत्र में इन 10 बिलों को फिर से पारित किया गया और गवर्नर की मंजूरी के लिए भेजा था.
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