सुबह-सुबह आया एक कॉल, प्रचार वाली साड़ी और पीयूष गोयल से बात... स्मृति ईरानी ने बताई पहली बार मंत्री बनने की पूरी कहानी

स्मृति ईरानी ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह के लिए मैं शिमला से आ रही थी, तो मैंने पीयूष गोयल को फोन किया और कहा कि मेरी एक बेटी साथ आना चाहती है, लेकिन हमारे पास शपथ ग्रहण समारोह का पास नहीं है, तो क्या आप एक पास दे सकते हैं, ताकि परिवार समारोह में शामिल हो सके. तो पीयूष गोयल ने कहा कि तुम्हें कैबिनेट मिनिस्टर बनना है.

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स्मृति ईरानी ने पहली बार मंत्री बनने की कहानी बताई (Photo: ITG) स्मृति ईरानी ने पहली बार मंत्री बनने की कहानी बताई (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:37 PM IST

अमेठी की पूर्व सांसद और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने आजतक से खास बातचीत में अपने पहली बार मंत्री बनने की कहानी बताई. उन्होंने कहा कि 26 जून 2014 को सुबह लगभग 7 बजे एक फोन कॉल आया कि आपको शपथ लेनी है. इससे एक दिन पहले तक मुझे इसकी जानकारी नहीं थी. मेरी कोई तैयारी भी नहीं थी. उस दिन मैंने साड़ी पहनी हुई थी, जिस पर कमल का फूल छपा हुआ था, वो साड़ी किसी कार्यकर्ता की पत्नी ने प्रचार के लिए दी थी.

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स्मृति ईरानी ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह के लिए मैं शिमला से आ रही थी, तो मैंने पीयूष गोयल को फोन किया और कहा कि मेरी एक बेटी साथ आना चाहती है, लेकिन हमारे पास शपथ ग्रहण समारोह का पास नहीं है, तो क्या आप एक पास दे सकते हैं, ताकि परिवार समारोह में शामिल हो सके. तो पीयूष गोयल ने कहा कि तुम्हें कैबिनेट मिनिस्टर बनना है. स्मृति ने कहा कि अगर पीयूष भाई ने नहीं बोला होता तो मुझे राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचने के बाद पता चलता.

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर स्मृति ने कहा कि पार्लियामेंट में फैक्ट रखने का अधिकार सरकार की है. देश फैक्ट से चलेगा. आज के जमाने में सच नहीं छुपता. उन्होंने कहा कि सरकार इतना दमखम रखती है कि सारे फैक्ट को संसद के माध्यम से देश के सामने रखे. हमें इस बात का अहसास होना चाहिए कि आंतरिक सुरक्षा और जियो-पॉलिटिकली कुछ फैक्ट ऐसे हैं जो पॉलिटिकल पार्टी के लीडर्स तक सीमित रहेंगे और सार्वजनिक नहीं होंगे. इस मैच्योर रियलिटी को समझना चाहिए.

भाषा विवाद पर क्या बोलीं स्मृति?

भाषा विवाद पर स्मृति ईरानी ने कहा कि मेरी पार्टी सभी भाषाओं का सम्मान करती है. बीजेपी कई प्रांतों, धर्मों और भाषाओं की पार्टी है. भाषा के नाम पर हिंसा ठीक नहीं है. हिंसक स्वरूप अपनाने से आप किसी को मजबूर करते हैं तो आप साधारण हिंदुस्तानी की फितरत नहीं समझते. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी गुजरात से आते हैं, लेकिन वाराणसी से सांसद हैं, उन्होंने कभी भी गुजराती नहीं थोपी.

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