Mystery of Samadhi: समाधि क्या है? क्या वाकई समाधि का कोई सच है? क्या सचमुच कोई इंसान दिनों, महीनों या सालों तक समाधि में जाने के बाद वापस जिंदा लौट सकता है? समाधि को लेकर ये सवाल सदियों से रहे हैं. समाधि का इतिहास सदियों पुराना है. भारत में समाधि को लेकर अनगिनत किस्से कहानियां बिखरी पड़ी हैं.
आखिर समाधि कहते किसे हैं? ध्यान और समाधि में क्या फर्क है? समाधि और मौत में क्या फर्क है? क्या समाधि से कोई वापस लौट सकता है? समाधि के फायदे और नुकसान क्या हैं? समाधि की बात चलते ही जेहन में ये सवाल अपने आप कौंधने लगते हैं.
जाहिर है समाधि अध्यात्म की वो स्थिति है, जो सबके वश का रोग नहीं. यही वजह है कि समाधि को लेकर हिंदू धर्मग्रंथों और भारत में सदियों से लाखों बातें होती रही हैं. आज भी समाधि एक आम इंसान के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है.
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जानकारों का कहना है कि अर्ध दिमागी स्थिति में इंसान हर वक्त अपने जिस्म यानी शरीर से जुड़ा रहता है. और यही वजह है कि ये माना जाता है कि समाधि में जाने वाला शख्स कभी भी चेतना की सामान्य अवस्था में लौट सकता है.
लोग मानते हैं कि भारत में श्यामाचरण लाहिड़ी, स्वामी योगानंद, स्वामी विवेकानंद जैसे न जाने कितने ही संत होंगे, जो एक नहीं कई बार समाधि में गए और वापस लौट आए.
आशुतोष महाराज और आशुतोषांबरी ने ली है समाधि
लखनऊ के आनंद आश्रम में साध्वी आशुतोषांबरी (Sadhvi Ashutoshambari) ने एक महीने पहले समाधि ले ली थी. वहीं साध्वी के गुरु आशुतोष महाराज (Ashutosh Maharaj) दस साल पहले समाधि में चले गए थे.
जीरो डिग्री से नीचे 14 सालों से डीप फ्रीजर में बंद आशुतोष महाराज की समाधि का राज क्या है? क्या क्लिनिकली डेड (clinically dead) होने के बाद भी इंसान जिंदा हो सकता है? क्या मौत के बाद भी किसी का जी उठना मुमकिन है?
आशुतोष महाराज के अनुयायियों का दावा है कि महाराज समाधि में हैं और ये समाधि पूरी होते ही वो कभी भी लौट आएंगे. यानी उस जिस्म में वापस आ जाएंगे, जिस जिस्म को मेडिकल साइंस के माहिर डेड बता चुके हैं.
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दरअसल, 29 जनवरी 2014 को ही डॉक्टरों ने आशुतोष महाराज को क्लिनिकली डेड (clinically dead) बता दिया था. इसके बाद उनके शिष्यों ने आशुतोष महाराज के समाधि में जाने की बात कहकर उनके शरीर को फ्रीजर में रख दिया. तब से हालात जस के तस हैं.
तरह तरह की समाधियां
अलग-अलग बाबा और तरह-तरह की समाधियां. पहले एक बाबा ने अग्नि समाधि ली. फिर एक बाबा ने बर्फीली समाधि ली और डीप फ्रीजर में सो गए. इसके बाद एक बाबा ने भू-समाधि ली. ये बाबा 15 दिनों तक जमीन के नीचे रहकर हंसते मुस्कुराते बाहर निकल आए थे. इस कहानी को लेकर आपको फ्लैशबैक में लेकर चलते हैं.
Flash Back Story: मौनी बाबा की भू-समाधि, सुरंग जितना गहरा रहस्य
साल- 2016. जगह- बिहार की राजधानी पटना से 300 किलोमीटर दूर मधेपुरा का एक गांव. यहां 30 साल के प्रमोद बाबा मधेपुरा के गांव में कई साल से रहते हैं. गांव के लोगों का कहना है कि बाबा ने जन कल्याण के लिए विष्णु महायज्ञ का ऐलान किया है.
यज्ञ से पहले भू-समाधि की इच्छा जाहिर की. लोग मानते हैं कि बाबा 12 साल से बगैर अन्न खाए और बगैर बोले रहते हैं. उन्हें मौनी बाबा के नाम से भी लोग जानते हैं. भू-समाधि की तैयारियां की जा चुकी हैं.
एक हफ्ते में बाबा की भू-समाधि के लिए मैदान में दस मीटर लंबी और 14 फीट गहरी एक सुरंग खोदी गई है. तारीख है- 28 फरवरी 2016. दोपहर के ढाई बज रहे हैं. बाबा सुरंग में जाते हैं, और गुम हो जाते हैं. बाबा के कहने पर सुरंग के मुहाने को बांस की कमानियों और मिट्टी से ढक दिया गया है.
भक्तों का कहना है कि सुरंग के अंदर बाबा ने समाधि लेकर पूजा पाठ शुरू कर दिया है. बाहर बाबा की एक झलक पाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ लगने लगी है. पूरा इलाका जयकारों से गूंज रहा है.
भू-समाधि को लेकर तमाम बातें होने लगी हैं, लेकिन इस सबके बीच बड़ा सवाल यही है कि क्या 15 दिनों के बाद बाबा सचमुच भू-समाधि से सही सलामत निकलेंगे. मगर तमाम कुदरती कायदे कानूनों के उलट 15 दिन बाद बाबा सबके सामने आए और चौंका दिया.
भक्तों ने समाधि वाले पूरे इलाके को घेर रखा है. मीडिया के कैमरों को दूर रखा गया. इलाके के लोगों ने कहा कि ये बाबा की हठयोगनुमा समाधि थी. इस दौरान समाधि पर सवाल भी उठाए गए.
मौनी बाबा के नाम से मशहूर प्रमोद बाबा जब समाधि के लिए जमीन के नीचे गए तो बाहर मेला लग गया. हवन पूजन से लेकर जयकारों का दौर शुरू हो गया, लेकिन न तो बाबा को किसी ने जमीन के नीचे जाते देखा और न ही बाहर आते हुए.
पूरे बिहार में बाबा की समाधि को लेकर किस्से कहानी होने लगे. समाधि को लेकर जितने लोगों में भक्ति है, उससे ज्यादा कौतूहल. यहां बाबा की भू-समाधि के लिए खोदी गई सुरंग जितनी गहरी थी, बाबा की समाधि का राज भी उतना ही गहरा था.
सवाल ये है कि आखिर कोई भी शख्स बगैर खाए पिए और खुली हवा में सांस लिए पूरे 15 दिनों तक जमीन के नीचे कैसे रह सकता है. क्या ये बाबा का चमत्कार था या फिर कुछ और?
ध्यान को लेकर आज की ध्योरी पर क्या कहते हैं लोग
जिंदगी के तमाम खट्टे मीठे अनुभव रखने वाले एक मित्र कहते हैं कि हम मिथकों के आगोश में कहानियों की थपकियों के सहारे सुकून से सोना चाहते हैं. ध्यान या समाधि को लेकर उनका कहना है कि आज के दौर में मैनेजमेंट गुरुओं ने मोटिवेशन की वजह तलाशते हुए 'फ्लो थ्योरी' दी. इसके मुताबिक कभी कोई इंसान अपने काम में इतना डूब जाता है कि वह काम करते करते एक ट्रांस में चला जाता है. उसे आसपास का, अपना कोई भान नहीं रहता. यह एक तरह से ध्यान या समाधि की अवस्था है, जहां काम एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है. इसे 'फ्लो स्टेट' कहा गया है.
अतुल कुशवाह