राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए सी. सदानंदन मास्टर को नॉमिनेट किया है. वह एक महशूर शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और राष्ट्रवादी विचारक हैं. उनका जीवन, 'एक जीवन, एक मिशन’ की भावना के साथ राष्ट्र सेवा को समर्पित है. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी देश सेवा और समाज के भले के लिए जी है.
जब वे 30 साल के थे तो एक राजनीतिक हिंसा में उनका दोनों पैर गंवाने पड़े. हालांकि इसके बावजूद उनका हौसला नहीं टूटा. आज भी वो कृत्रिम (आर्टिफिशियल) पैरों से चलकर समाज और देश के लिए काम कर रहे हैं.
शिक्षा और करियर
सदानंदन का जन्म 1 मई 1964 को केरल के कन्नूर ज़िले के एक गांव पेरिनचेरी में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई अपने गांव की स्कूल में ही की. इसके बाद उन्होंने बी.कॉम की डिग्री ली और असम जाकर बीएड किया. उन्होंने टीचर के तौर पर अपना करियर की शुरुआत की. 1992 में उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. वे त्रिशुर जिले में एक स्कूल में सोशल साइंस पढ़ाते थे. 2020 में उन्होंने शिक्षक के तौर पर रिटायरमेंट ली.
शिक्षक के अलावा उन्होंने मीडिया में भी काम किया. एक अखबार में भी उन्होंने काम किया. तो उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में अनाउंसर का काम भी किया.
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शुरू से ही उनका दिल समाज के लिए धड़कता है. जब वो 17 साल के थे तो उन्होंने समाज सेवा का काम करना शुरू कर दिया. वे कई देशभक्त संगठनों से जुड़े और युवाओं को देश के लिए कुछ भी कर जाने के लिए प्रेरित करते थे. इतना ही नहीं उन्होंने एक संगठन के अध्यक्ष बने जो कि मानसिक रूप से कमजोर लड़कियों की देखभाल करती है.
उन्होंने देशभक्ति और लोगों के बीच संस्कार को लेकर कई लेख भी लिखे. वे छात्रों के लिए कैंप लगाते थे और उन्हें अच्छा इंसान बनने की सीख देते थे.
पुरस्कार जो उन्हें मिले
विचार, आदर्श और परिवार
1984 में सदानंदन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ज्वाइन किया था. फिर इस संगठन में कई पदों पर रहे और लोगों को देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी.
उनके रोल मॉडल स्वामी विवेकानंद और डॉ. हेडगेवार हैं. उनके पत्नी भी शिक्षक रह चुकी हैं. उनकी एक बेटी है - यमुनाभारती, जिन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की है.
शिबिमोल