पंजाब के लुधियाना में दो आतंकियों का एनकाउंटर, टेरर ग्रुप बब्बर खालसा से जुड़े हैं तार

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इन दोनों संदिग्धों को हैंड ग्रेनेड इकट्ठा करके तयशुदा जगहों पर फेंकने का काम सौंपा गया था. पुलिस ने मौके से हैंड ग्रेनेड, कुछ पिस्तौल और कारतूस भी बरामद किए हैं.

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लुधियाना में पुलिस और आतंकियों के बीच एनकाउंटर की खबर है (Photo: Screengrab) लुधियाना में पुलिस और आतंकियों के बीच एनकाउंटर की खबर है (Photo: Screengrab)

असीम बस्सी / कमलजीत संधू

  • लुधियाना,
  • 20 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:42 PM IST

पंजाब के लुधियाना में पुलिस और आंतकियों के बीच मुठभेड़ की खबर है. यह मुठभेड़ दिल्ली-अमृतसर नेशनल हाईवे पर लाडोवाल टोल प्लाजा के पास हुई है. 

शुरुआती जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने एक दिन पहले कुछ आतंकी हैंड ग्रेनेड के साथ पकड़े थे. इनसे पूछताछ के बाद इन आतंकियों के बारे में पता चला, जिसके बाद पुलिस ने इन्हें पकड़ने के लिए ट्रैप लगाया था. लेकिन पुलिस के घेरने पर उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद पुलिस ने जवाबी फायरिंग की. जिसमें पुलिस की गोली लगने से दो आतंकी घायल हो गए.

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लुधियाना के पुलिस कमिश्नर स्वप्न शर्मा ने बताया कि हमने पहले ही एक टेरर मॉडयूल का भंडाफोड़ किया और तीन लोगों को पकड़ा है. आज बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) संगठन के दो आतंकियों का इनपुट था, जो ISI के इशारे पर काम कर रहे थे. हमने घेराबंदी की और मुठभेड़ में दोनों संदिग्ध गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. 

लुधियाना एनकाउंटर से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है. इलाका छावनी में तब्दील हो गया है. पुलिस के आला अधिकारी जांच में जुटे हुए हैं. पुलिस का कहना है कि ये एक टेरर मॉड्यूल था, जो पाकिस्तान आईएसआई के सपोर्ट से चल रहा था. इन्होंने कोई बड़ी वारदात करनी थी. 

इस मामले में और जानकारी जुटाई जा रही है. कहा जा रहा है कि आरोपियों द्वारा किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए तैयार किया जा रहा था. इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन अलर्ट हो गया है. इलाके में जगह-जगह चेकिंग की जा रही है. 

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बता दें कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) एक चरमपंथी समूह है, जो साल 1978 में बना था. खालिस्तान को लेकर बने इस गुट को मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने टैररिस्ट ऑर्गेनाइजेशंस की लिस्ट में सबसे ऊपर रखा है. इसकी ताकत और असर का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि नब्बे के दशक में जब चरमपंथ को रोकने का अभियान चला था और साल 1993 में पाकिस्तान या विदेशी शक्तियों की मदद से चल रहे थे. ऐसे तमाम समूह खत्म हो गए, तब भी जो बचे-खुचे संगठन थे, उनमें बीकेआई एक था. साथ ही साउथ एशिया टैररिज्म पोर्टल में बीकेआई को सबसे संगठित और खतरनाक समूहों में रखा गया है.

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