एक नाम, दो वोट बैंकः प्रमोद महाजन के नाम पर महाराष्ट्र में योजना लॉन्च करने की क्या है कहानी

महाराष्ट्र सरकार ने अखबारों में विज्ञापन दिया है. मजमून यह है कि सरकार प्रमोद महाजन ग्रामीण कौशल विकास केंद्र योजना की शुरुआत कर रही है, जिसके तहत 511 कौशल केंद्रों का उद्घाटन किया गया. सरकार प्रमोद महाजन ग्रामीण कौशल विकास केंद्र योजना की शुरुआत कर रही है, जिसके तहत 511 कौशल केंद्रों का उद्घाटन हुआ. उद्घाटन पीएम मोदी ने किया और सीएम शिंदे, व दोनों डिप्टी सीएम प्रमुख अतिथियों के तौर पर मौजूद रहे. 

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प्रमोद महाजन (फाइल फोटो) प्रमोद महाजन (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 7:26 AM IST

3 मई 2006. उस रोज की सुबह जब घरों में अखबारों ने दस्तक दी तो फ्रंट पेज की लीड वाला हिस्सा सुर्ख सफेद था. वहां लगी हेडिंग शोक ग्रस्त थी जिसमें एक शख्स के निधन की सूचना दर्ज थी.  शख्स कद्दावर था, इसलिए ये सूचना अखबार से आगे-आगे दौड़ रही थी और फिर थोड़ी देर में सारा देश जान गया कि प्रमोद महाजन नहीं रहे. 22 अप्रैल 2006 की सुबह उन्हें उनके ही भाई प्रवीण महाजन ने तीन गोलियां मार दी थीं और 13 दिनों तक हिंदुजा अस्पताल में जीवन-मौत के बीच जूझते हुए उन्होंने आखिरी सांस ली. इस तरह बीजेपी के कद्दावर नेता रहे प्रमोद महाजन परलोक सिधारे. 

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महाराष्ट्र सरकार ने दिया विज्ञापन
इस घटना के 17 साल बाद... तारीख 19 अक्टूबर 2023. एक बार फिर जब घरों में अखबारों ने दस्तक दी, तो जैकेट पेज पर सामने ही नाम चमका. प्रमोद महाजन. इस बार उनके नाम के साथ एक योजना का भी दर्ज दिखा. असल में महाराष्ट्र सरकार ने अखबारों में विज्ञापन दिया है. मजमून यह है कि सरकार प्रमोद महाजन ग्रामीण कौशल विकास केंद्र योजना की शुरुआत कर रही है, जिसके तहत 511 कौशल केंद्रों का उद्घाटन हुआ. उद्घाटन पीएम मोदी ने किया और सीएम शिंदे, व दोनों डिप्टी सीएम प्रमुख अतिथियों के तौर पर मौजूद रहे. 

इस विज्ञापन के जरिए भारतीय राजनीति में एक बार फिर प्रमोद महाजन का नाम नेपथ्य से निकलकर सामने आया, इसने खास तौर पर आश्चर्य में डाला. महापुरुषों, जातियों और वर्गों के समीकरण की राजनीति के बीच प्रमोद महाजन के नाम पर योजना को लॉन्च करने की जरूरत क्यों आन पड़ी? आखिर महाराष्ट्र में शासन कर रही शिवसेना और दूर से उसकी डोर थाम रखी बीजेपी प्रमोद महाजन के जरिए कौन से समीकरण साध रही है? 

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क्या पंकजा मुंडे की नाराजगी है वजह?
यहां पंकजा मुंडे का नाम पहले इसलिए लिया गया क्योंकि वह दिवंगत प्रमोद महाजन की भानजी हैं. लगातार ऐसी खबरें हैं कि वह बीजेपी से नाराज चल रही हैं. महाराष्ट्र की पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे ने जून 2023 को कहा था कि वह बीजेपी की हैं लेकिन पार्टी उनकी नहीं है.

दरअसल, बीजेपी के दिवंगत वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा 2019 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद से राजनीति से दूर रह रही हैं. 2014 से 2019 के बीच देवेंद्र फडणवीस सरकार में वह कैबिनेट मंत्री थीं. पिछले राज्य चुनावों में पंकजा अपने चचेरे भाई और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता धनंजय मुंडे से अपनी सीट परली में हार गई थीं. उन्होंने इसी दौरान आरएसपी को अपना मायका कहा था. अब अगर पंकजा मुंडे ऐसा करती हैं तो बीजेपी को महाराष्ट्र में मुंडे समर्थक वोट बैंक का नुकसान उठाना पड़ सकता है. 

पूनम महाजन के प्रति प्रतिबद्धता
प्रमोद महाजन के बाद उनकी बेटी पूनम महाजन को बीजेपी उनकी विरासत के तौर पर लेकर चल रही है. इसलिए पूनम महाजन को इग्नोर नहीं किया जा सकता है. दूसरा दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे का महाजन परिवार के साथ पारिवारिक संबंध रहा है. ऐसे में बीजेपी परिवार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर कर रही है. 

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एक साथ दो वोट बैंक साधने की कोशिश
महाराष्ट्र में बीजेपी को सफलता के मुकाम तक पहुंचाने वाली रणनीति को आकार देने में गोपीनाथ मुंडे की खास भूमिका रही है. जातीय गणित के मास्टर रहे मुंडे ने राज्य के मराठा वर्चस्व के खिलाफ दूसरी जातियों को एक धुरी पर जमा किया था. मुंडे पिछड़ी वंजारी जाति से ताल्लुक रखते थे, इसलिए उन्होंने विभिन्न पिछड़ी जातियों को एकजुट किया. 1985 से साल 2006 तक महाजन और मुंडे की जोड़ी का महाराष्ट्र बीजेपी में एकक्षत्र राज चलता था. बीजेपी इन दोनों नामों से जुड़े वोटबैंक को फिर से ध्रुवीकृत कर रही है, लिहाजा महाराष्ट्र में प्रमोद महाजन ग्रामीण कौशल विकास केंद्रों का उद्घाटन किए जाने को इस तौर पर की गई एक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. 
 

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