RSS के शताब्दी समारोह में शामिल होंगे PM मोदी, स्पेशल डाक टिकट और स्मृति सिक्का करेंगे जारी

विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर शताब्दी समारोह आयोजित किया जा रहा है. पीएम मोदी इसमें बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे. आरएसएस की स्थापना वर्ष 1925 में नागपुर (महाराष्ट्र) में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी.

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कार्यक्रम डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित होगा. (File Photo- ITG) कार्यक्रम डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित होगा. (File Photo- ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:41 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 अक्टूबर को विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित शताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे. यह कार्यक्रम सुबह 10:30 बजे डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित होगा.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पीएम मोदी इस अवसर पर प्रधानमंत्री एक विशेष रूप से तैयार किया गया स्मृति डाक टिकट और सिक्का भी जारी करेंगे और उपस्थित लोगों को संबोधित करेंगे.

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पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर भी इसकी जानकारी दी. उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, "विजयादशमी के पावन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के गौरवशाली 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. देशभर में इसके लाखों स्वयंसेवक पिछली एक सदी से राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ मां भारती की सेवा में समर्पित रहे हैं. 1 अक्टूबर को सुबह करीब 10.30 बजे नई दिल्ली में आरएसएस शताब्दी समारोह में शामिल होने का सौभाग्य मिलेगा. यहां एक विशेष डाक टिकट और स्मृति सिक्का भी जारी किया जाएगा."

दरअसल, आरएसएस की स्थापना वर्ष 1925 में नागपुर (महाराष्ट्र) में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी. इसे एक स्वयंसेवक-आधारित संगठन के रूप में शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य नागरिकों में सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को विकसित करना था.

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पीएमओ द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि पिछली शताब्दी में आरएसएस ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और आपदा राहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसके स्वयंसेवकों ने बाढ़, भूकंप और चक्रवात सहित प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और पुनर्वास प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लिया है.

इसमें आगे कहा गया है कि इसके अलावा, आरएसएस के विभिन्न सहयोगी संगठनों ने युवाओं, महिलाओं और किसानों को सशक्त बनाने, जन भागीदारी को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों को मजबूत करने में योगदान दिया है. शताब्दी समारोह न केवल आरएसएस की ऐतिहासिक उपलब्धियों का सम्मान करता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा में इसके स्थायी योगदान और राष्ट्रीय एकता के संदेश को भी उजागर करता है.

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