प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात पश्चिम बंगाल के श्रीधाम ठाकुरनगर में मतुआ धर्म महा मेले को संबोधित किया. अपने इस वर्चुअल भाषण में पीएम ने मतुआ समाज से आग्रह किया कि सिस्टम से करप्शन को मिटाने के लिए समाज के स्तर पर जागरूकता बढ़ाएं. अगर कहीं भी किसी का उत्पीड़न हो रहा हो, तो वहां जरूर आवाज उठाएं. ये हमारा समाज के प्रति भी और राष्ट्र के प्रति भी कर्तव्य है.
पीएम मोदी ने आगे कहा, राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है. लेकिन राजनीतिक विरोध के कारण अगर किसी को हिंसा से डरा-धमकाकर कोई रोकता है तो वो दूसरे के अधिकारों का हनन है. इसलिए ये हमारा कर्तव्य है कि हिंसा,अराजकता की मानसिकता अगर समाज में कहीं भी है तो उसका विरोध किया जाए.
हालिया बीरभूम हिंसा के बाद प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण का काफी अहम माना जा रहा है. बता दें कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट के बागतुई गांव में एक परिवार के आठ लोगों को जिंदा जलाकर मार डाला गया था. ऐसी ही राजनीतिक हत्याओं को लेकर बीजेपी समेत विपक्षी दल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमलावर हैं.
PM मोदी के भाषण की खास बातें:-
- ये मतुआ धर्मियो महामेला, मतुआ परंपरा को नमन करने का अवसर है. ये उन मूल्यों के प्रति आस्था व्यक्त करने का अवसर है जिनकी नींव श्री श्री हॉरिचांद ठाकुर जी ने रखी थी. इसे गुरुचांद ठाकुर जी और बोरो मां ने सशक्त किया. आज शांतनु जी के सहयोग से ये परंपरा इस समय और समृद्ध हो रही है.
- हम अक्सर कहते हैं कि हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता महान है. ये महान इसलिए है क्योंकि इसमें निरंतरता है, ये प्रवाहमान है, इसमें खुद को सशक्त करने की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है.
- आज जब भारत बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के अभियान को सफल बनाता है, जब माताओं-बहनों-बेटियों के स्वच्छता, स्वास्थ्य और स्वाभिमान को सम्मान देता है, जब स्कूलों-कॉलेजों में बेटियों को अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन करते अनुभव करता है.
- जब समाज के हर क्षेत्र में हमारी बहनों-बेटियों को बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्रनिर्माण में योगदान देते देखता है, तब लगता है कि हम सही मायने में श्री श्री हॉरिचांद ठाकुर जी जैसी महान विभूतियों का सम्मान कर रहे हैं.
- जब सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के आधार पर सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाती है, जब सबका प्रयास, राष्ट्र के विकास की शक्ति बनता है, तब हम सर्वसमावेशी समाज के निर्माण की तरफ बढ़ते हैं.
- श्री श्री हॉरिचांद ठाकुर जी ने एक और संदेश दिया है जो आज़ादी के अमृतकाल में भारत के हर भारतवासी के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उन्होंने ईश्वरीय प्रेम के साथ-साथ हमारे कर्तव्यों का भी हमें बोध कराया.
- कर्तव्यों की इसी भावना को हमें राष्ट्र के विकास का भी आधार बनाना है. हमारा संविधान हमें बहुत सारे अधिकार देता है. उन अधिकारों को हम तभी सुरक्षित रख सकते हैं, जब हम अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाएंगे.
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