'कई लोग गिर पड़े, कुछ जान बचाने के लिए झुक गए थे...' पहलगाम आतंकी हमले की पीड़िता ने सुनाई खौफनाक दास्तान

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश है. इस हमले में अपने पति को खो चुकी कोलकाता की सोहिनी अधिकारी अब भी उस खौफनाक मंजर को याद कर सहम जाती हैं. उन्होंने बताया कि कैसे एक पल में सब कुछ बदल गया- बेटे की मासूम आवाज गूंज रही थी, “मामा... साउंड... फायर.” और गोलियों के बीच कई लोग गिर गए थे.

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इंजीनियर बिटान अधिकारी पहलगाम आतंकवादी हमले में मारे गए. वे पत्नी व बच्चे के साथ गए थे. (File) इंजीनियर बिटान अधिकारी पहलगाम आतंकवादी हमले में मारे गए. वे पत्नी व बच्चे के साथ गए थे. (File)

सूर्याग्नि रॉय

  • कोलकाता,
  • 25 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 10:11 AM IST

कोलकाता के रहने वाले बिटान अधिकारी की पत्नी सोहिनी पहलगाम आतंकी हमले की प्रत्यक्षदर्शी हैं, वे अब भी सदमे में हैं. अपने पति के अंतिम संस्कार के अगले ही दिन जब उन्होंने मीडिया से बातचीत की, तो उनकी आंखों में आंसू और दिल में डर साफ झलक रहा था. उन्होंने बताया कि कैसे कुछ ही सेकेंडों में पहलगाम की खूबसूरत वादियां आतंक की आग में तब्दील हो गईं.

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सोहिनी ने बताया कि उनका बेटा अचानक चीखने लगा- मम्मा... साउंड... फायर... वह गोली चलने की आवाज से डर गया था, तभी उनके पति बिटान अधिकारी ने उनका हाथ पकड़ा और दौड़ने लगे. सोहिनी ने पीछे मुड़कर देखा, तो एक शख्स को गोली मारते देखा. कई लोग गिर पड़े, कुछ जान बचाने के लिए झुक गए थे. मेरे पति ने कभी नहीं सोचा था कि वहां आतंकी हमला हो सकता है.

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उन्होंने बताया कि हमलावर पर्यटकों से पहले धर्म पूछते थे, फिर गोली मारते थे. उन्होंने पूछा- कोई हिंदू है यहां? फिर गोली चलाई. किसी से पूछा – कलमा पढ़ना आता है? जवाब नहीं मिलने पर गोली मार दी. सोहिनी ने बताया कि मृतकों की लाशों पर भी आतंकियों ने दोबारा गोली चलाई, ताकि कोई जिंदा न बचे. हमारे पास सिर झुकाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था. वहां न कोई पुलिस थी, न कोई सुरक्षा बल. अगर सुरक्षाकर्मी होते, तो शायद कई जानें बच सकती थीं.

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घटना के बाद सोहिनी ने सरकार से दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह केवल एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि इंसानियत पर हमला था. इस हमले में सोहिनी ने अपना जीवनसाथी खो दिया, उनका मासूम बेटा डरा हुआ है.

बता दें कि इंजीनियर बिटान अधिकारी मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे. कुछ साल पहले वे अपनी फैमिली के साथ फ्लोरिडा में जाकर बस गए थे. बीते 8 अप्रैल को वह अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए कोलकाता लौटे थे और फिर परिवार के साथ कश्मीर की यात्रा पर गए थे. बिटान अधिकारी के साथ उनका तीन साल और छह महीने का बेटा भी था.

22 अप्रैल को यह परिवार जब कश्मीर की खूबसूरती का आनंद ले रहा था, तब आतंकियों ने हमला कर दिया. आतंकवादियों ने गैर-कश्मीरी पर्यटकों को अलग किया, उनसे उनका धर्म पूछा और फिर एक-एक करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया. बिटान अधिकारी भी उन्हीं बेगुनाहों में थे, जो आतंकियों के हाथों मारे गए, और यह हत्या उनके परिवार के सामने हुई.

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