कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला दिया है. इसी हमले में आतंकियों का निशाना बने एक व्यक्ति का तीन साल का बच्चा बार-बार अपनी मां से पूछता है- पापा कहां हैं? क्या वो कहीं गए हैं? इन सवालों के बीच उसकी मां के पास कोई जवाब नहीं है, केवल आंसू हैं, जो दिल को छलनी कर देते हैं. यह परिवार कश्मीर में छुट्टियां मनाने पहुंचा था, लेकिन आतंकवादियों ने बच्चे के पिता को गोली मार दी.
एजेंसी के अनुसार, बिटान अधिकारी मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे. कुछ साल पहले वे अपनी फैमिली के साथ फ्लोरिडा में जाकर बस गए थे. बीते 8 अप्रैल को वह अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए कोलकाता लौटे थे और फिर परिवार के साथ कश्मीर की यात्रा पर गए थे. बिटान अधिकारी के साथ उनका तीन साल और छह महीने का बेटा भी था.
22 अप्रैल को यह परिवार जब कश्मीर की खूबसूरती का आनंद ले रहा था, तब आतंकियों ने हमला कर दिया. आतंकवादियों ने गैर-कश्मीरी पर्यटकों को अलग किया, उनसे उनका धर्म पूछा और फिर एक-एक करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया. बिटान अधिकारी भी उन्हीं बेगुनाहों में थे, जो आतंकियों के हाथों मारे गए, और यह हत्या उनके परिवार के सामने हुई.
बिटान की पत्नी अब अपने पति के न रहने पर बेटे के भविष्य को लेकर गहरे शोक में हैं. अपनी दुखभरी कहानी बताते हुए कहती हैं कि आतंकियों ने हमें अलग किया, हमसे हमारा धर्म पूछा, और फिर एक-एक करके लोगों को मार डाला. मेरे सामने मेरे पति को मार दिया गया. अब मैं अपने बेटे को कैसे बताऊं कि उसके पापा अब कभी नहीं आएंगे? वह दर्द और हताशा से कहती हैं कि मुझे नहीं पता कि मैं अपने बेटे को कैसे बताऊं कि उसके पापा अब हमेशा के लिए चले गए हैं.
कोलकाता में शोक की लहर है. बिटान सिर्फ पति और पिता ही नहीं थे, बल्कि अपने बीमार और वृद्ध माता-पिता के लिए भी उनका सहारा थे. बिटान अपने 87 वर्षीय पिता बीरेश्वर अधिकारी, और 75 वर्षीय मां माया अधिकारी का इलाज करवा रहे थे. बिटान नियमित रूप से दवाइयों के लिए विदेश से पैसे भेजते थे.
बिटान के रिश्तेदार बताते हैं कि वह भले ही विदेश में रहते थे, लेकिन कभी हमें उनकी कमी महसूस नहीं हुई. वह हर डॉक्टर के चेकअप से लेकर हर दवाई का खर्चा उठाते थे. अब यह सब कौन संभालेगा?
बता दें कि पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले में 25 भारतीय पर्यटक और एक नेपाली नागरिक की जान गई. आतंकवादियों द्वारा गैर-कश्मीरी पर्यटकों को धर्म के आधार पर चुनकर मारने के तरीके ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया है.
अब कोलकाता में जहां बिटान के परिवार वाले और पड़ोसी दुख में शरीक हो रहे हैं, बिटान की पत्नी ने कहा कि मैं सिर्फ यह चाहती हूं कि कोई मेरे बेटे को यह समझाए कि उसके पापा अब कभी नहीं आएंगे. और मुझे न्याय चाहिए- न केवल मेरे पति के लिए, बल्कि उस दिन मरने वाले हर निर्दोष व्यक्ति के लिए.
इस घटना के बाद टीएमसी नेता कुनाल घोष ने सोशल मीडिया पर एक भावुक अपील की. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से बिटान के वृद्ध माता-पिता के लिए आर्थिक मदद का अनुरोध किया. उन्होंने लिखा कि मुआवजा राशि बिटान अधिकारी के माता-पिता को भी दें. वे पूरी तरह से असहाय हैं. बिटान की मौत के बाद वे और भी ज्यादा असहाय हो गए हैं.
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