महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में OBC आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. अदालत ने साफ कहा कि अभी कोई अंतिम राय नहीं दे रही लेकिन यदि चुनाव ऐसे तरीके से करवाए गए जो संविधान के खिलाफ हों तो उन्हें बाद में रद्द भी किया जा सकता है.
सुनवाई के दौरान CJI ने पूछा कि किन स्थानीय निकायों में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. सरकार की ओर से बताया गया कि 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जबकि महानगर निगम, जिला परिषद और पंचायत समितियों में चुनावी प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है. अदालत ने सरकार से कहा कि वे पूरा होमवर्क करके आएं, 'आज कोई राय नहीं दे रहे. शुक्रवार को देखेंगे.'
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि केंद्र का पक्ष पहले भी समय मांग चुका है और 5-जजों की बेंच पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि आरक्षण 50% सीमा से ऊपर नहीं जा सकता. इस पर CJI ने कहा कि अगर चुनाव हुए और हमें लगा कि प्रक्रिया संवैधानिक रूप से सही नहीं है तो अदालत उन्हें सेट-एसाइड कर सकती है. जो भी अभी हो रहा है, सब इस कोर्ट के आदेशों के अधीन रहेगा. सुनवाई शुक्रवार तक टाल दी गई है.
सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणियां
वरिष्ठ वकील ने कहा कि एक पूर्व फैसले में 'प्रतिनिधित्व के अनुपात' के मुताबिक आरक्षण की बात है और दूसरे फैसले में कहा गया है कि 50% से ज्यादा नहीं जा सकता. 'अगर किसी इलाके में 99% आबादी जनजातीय है तो क्या किया जाए?'
दूसरी ओर, कोर्ट से कहा गया कि 1931 के बाद भारत में कोई जाति जनगणना नहीं हुई है. बिना जनगणना के OBC की वास्तविक संख्या कैसे तय होगी? CJI ने कहा कि जो भी करना है, समाज को जाति के आधार पर और वोट बांटने के बिना करना चाहिए. देखेंगे क्या किया जा सकता है. मामले की सुनवाई अब शुक्रवार को होगी और तब सरकार से पूरी जानकारी और निर्देश लेकर आने को कहा गया है.
सृष्टि ओझा