नक्सलियों की ओर से एक महीने का युद्धविराम समाप्त, शांति वार्ता के प्रस्ताव का केंद्र ने नहीं दिया जवाब

नक्सलियों ने केंद्र सरकार को शांति वार्ता का प्रस्ताव देते हुए मुख्यधारा में शामिल होने की जताई थी. नक्सलियों ने एक महीने के युद्धविराम का भी ऐलान किया था, जिसकी अवधि अब समाप्त हो गई है.

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नक्सलियों ने 15 अगस्त को पत्र जारी कर किया था सीजफायर का ऐलान (Photo: AI/@Grok) नक्सलियों ने 15 अगस्त को पत्र जारी कर किया था सीजफायर का ऐलान (Photo: AI/@Grok)

जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:42 PM IST

नक्सलियों के खिलाफ अर्धसैनिक बलों का अभियान जारी है. सरकार ने देश को 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. नक्सल विरोधी अभियान में कई टॉप कमांडर मारे जा चुके हैं और इसके बाद नक्सल समूहों ने शांति वार्ता का प्रस्ताव रखते हुए एक महीने के युद्धविराम का ऐलान किया था. यह युद्धविराम आज समाप्त हो रहा है.

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नक्सलियों की ओर से घोषित एक महीने के युद्धविराम के दौरान भी केंद्रीय बलों का नक्सल विरोधी अभियान जारी रहा. नक्सलियों की ओर से युद्धविराम का यह पत्र 15 अगस्त को लिखा गया था, जो 16 सितंबर को सामने आया है. इस पत्र में नक्सल संगठन ने सशस्त्र संघर्ष को एक महीने के लिए रोकने और सरकार के साथ शांति वार्ता आगे बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था.

नक्सल संगठन ने मुख्यधारा में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से एक महीने के संघर्ष विराम की घोषणा करने की अपील की थी. एक महीने के संघर्ष विराम के ऐलान की अपील के पीछे यह तर्क दिया गया कि इससे हमें अपने कैडर से विचार-विमर्श करने का समय मिल जाएगा. यह पत्र कॉमरेड अभय के नाम से जारी किया गया था, जो संगठन के महासचिव बताए जा रहे हैं.

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जानकारी के मुताबिक नक्सलियों की ओर से 15 अगस्त को जारी पत्र को एक महीने से अधिक समय बीत गया, युद्धविराम की अवधि भी बीत गई, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पत्र का कोई जवाब अब तक नहीं दिया है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है.

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बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह खुद संसद में भी यह कह चुके हैं कि 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने की बात कह चुके हैं. जनवरी 2024 से सुरक्षाबलों ने नक्सल विरोधी अभियान तेज कर दिए, जिसके बाद केंद्रीय बलों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई है और कई टॉप नक्सल कमांडर मारे जा चुके हैं.

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