चांदी का घोड़ा, मार्बल से बनी शतरंज... भारत आए पुतिन को पीएम मोदी ने दिए 6 अनमोल तोहफे

भारत दौरे पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह खास गिफ्ट भेंट किए, जो भारतीय कला, परंपरा, आध्यात्मिकता और कारीगरी की विविधता का प्रतीक हैं. इसमें असम की मशहूर काली चाय से लेकर रूसी भाषा में श्रीमद्भगवद्गीता शामिल है.

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PM मोदी ने पुतिन को असम चाय से लेकर गीता तक छह अनमोल उपहार देकर भारत–रूस मित्रता का सम्मान बढ़ाया (Photo: PTI) PM मोदी ने पुतिन को असम चाय से लेकर गीता तक छह अनमोल उपहार देकर भारत–रूस मित्रता का सम्मान बढ़ाया (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:37 PM IST

भारत दौरे पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय संस्कृति, परंपरा और दोस्ती का अनूठा तोहफा दिया. कुल छह खास उपहार, जिनमें हर एक उपहार में भारत की आत्मा और सांस्कृतिक धरोहर की झलक दिखाई देती है.

पहला उपहार रहा असम की मशहूर ब्लैक टी - अपने मज़बूत स्वाद और खास सुगंध के लिए जानी जाने वाली यह चाय भारत की समृद्ध खेती और चाय परंपरा की पहचान है. 

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दूसरे उपहार के रूप में मुरादाबाद की पारंपरिक कारीगरी से बना सिल्वर टी सेट दिया गया, जो भारत और रूस के साझा “टी कल्चर” यानी चाय की परंपरा की दोस्ताना भावना को दर्शाता है.

तीसरे उपहार के रूप में महाराष्ट्र की कला झलकती है - खूबसूरती से उकेरा गया सिल्वर हॉर्स. इसका आगे बढ़ता हुआ रूप भारत–रूस संबंधों की ऊर्जा, गति और प्रगति का प्रतीक बताया गया है.

चौथा तोहफ़ा है आगरा की शिल्पकला से सजा मार्बल चेस सेट - जिसमें रंगीन सेमी-प्रेशियस स्टोन के साथ बारीक इनले वर्क किया गया है. यह हस्तकला भारतीय कलाकारों की सुंदरता और सटीकता का उदाहरण है.

पांचवां तोहफ़ा कश्मीर का अनमोल ख़ज़ाना - ज़ाफ़रान (केसर), जिसे “लाल सोना” कहा जाता है और जो जीआई टैग से सम्मानित है. यह उपहार भारत की प्राकृतिक सौगात के साथ-साथ कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है.

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और आख़िर में, पीएम मोदी ने भेंट की श्रीमद्भगवद्गीता का रूसी संस्करण - जो न सिर्फ़ आध्यात्मिक ग्रंथ है बल्कि जीवन, कर्तव्य और आत्मचिंतन का मार्गदर्शन देता है.

ये छह उपहार केवल औपचारिकता नहीं थे - इनमें भारत की आत्मा, परंपरा और रूस के साथ उसकी सच्ची मित्रता का भाव गहराई से झलकता है.

इन उपहारों के ज़रिए भारत ने न केवल शिल्प और कला का परिचय कराया, बल्कि उस आत्मीय रिश्ते को भी और मज़बूत किया जो नई दिल्ली  और मॉस्को को जोड़ता है.

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